जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। चर्चित व्यापम घोटाले में सीबीआई के 40 अधिकारियों ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 40 शहरों में एकसाथ छापेमारी की है। गुरुवार सुबह एक साथ दोनों राज्यों के अलग अलग शहरों में छापे मारे गए।
सीबीआई की टीम इस मामले से जुड़े कुछ दस्तावेज और लोगों की तलाश कर रही है। इसके साथ ही अब तक पकड़े जा चुके कुछ अहम आरोपियों से पूछताछ के आधार जिन लोगों के नाम सामने आए हैं, उनको भी तलाश किया जा रहा है।
सीबीआई को व्यापमं घोटाले की जांच का जिम्मा जुलाई में सौंपा गया था। इसके लिए 40 अफसरों की टीम बनाई गई है। इस टीम को असम-मेघालय कैडर के आईपीएस अफसर और सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर आरपी अग्रवाल लीड कर रहे हैं। गुरुवार को छापामारी करने वाली टीमों में कई महिला अफसर भी शामिल थीं।
व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) मध्य प्रदेश में उन पदों की भर्तियां करता है, जिनकी भर्तियां म.प्र. लोक सेवा आयोग नहीं करता। इसके तहत प्री मेडिकल टेस्ट, प्री इंजीनियरिंग टेस्ट और कई सरकारी नौकरियों के एग्जाम होते हैं। घोटाला उस वक्त सामने आया जब कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स, ट्रैफिक पुलिस, सब इंस्पेक्टरों की भर्ती परीक्षा के अलावा मेडिकल एग्जाम में ऐसे लोगों को पास किया गया जिनके पास एग्जाम में शामिल होने तक की योग्यता नहीं थी। सरकारी नौकरियों में करीब हजार से ज्यादा और मेडिकल एग्जाम में 500 से ज्यादा भर्तियां शक के घेरे में हैं।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में सरकारी महकमों में भर्ती के नाम पर यह अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। जिसमें सरकार के कई आला अधिकारी और बड़े नेताओं के नाम शामिल हैं। इस मामले में अब तक सैंकडो लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। यहां तक कि इस मामले से जुडे कई लोगों की संदिग्ध मौत भी हुई है।
व्यापमं की ओर से हुई प्री-मेडिकल टेस्ट में गड़बड़ी के सिलसिले में कई एफआईआर दर्ज की जा चुकी थीं। लेकिन जुलाई 2013 में यह घोटाला बड़े रूप में तब सामने आया जब इंदौर क्राइम ब्रांच ने जगदीश सगर की गिरफ्तारी की। सागर के घर से कई करोड़ रुपए कैश बरामद हुआ था। सागर ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने 3 साल के दौरान 100 से 150 स्टूडेंट्स को एमबीबीएस कोर्स में गलत तरीके से एडमिशन दिलाया था।