जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सामाजिक कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण की इस विनती को खारिज कर दिया कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में सजा तय करने संबंधी दलीलों की सुनवाई शीर्ष अदालत की दूसरी पीठ द्वारा की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को बयान पर पुनर्विचार के लिए 2-3 दिन का समय दिया है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने भूषण को विश्वास दिलाया कि जब तक उन्हें अवमानना मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर निर्णय नहीं आ जाता, सजा संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
इधर अवमानना मामले में दोषी पाये जाने के बाद वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से एक बार फिर इनकार कर दिया। प्रशांत भूषण ने कहा कि वो सजा से नहीं डर रहे। उन्हें अदालत की दया या उदारता की दरकार नहीं है। प्रशांत भूषण ने कहा, उन्हें जो भी सजा दी जाएगी वो मंजूर है। प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, मैं दया की भीख नहीं मांगूंगा, मैं उदारता दिखाने की अपील भी नहीं करूंगा। अदालत जो सजा देगी उसे खुशी-खुशी स्वीकार कर लूंगा। प्रशांत भूषण ने कहा कि वह दो-तीन दिन में अपने वकीलों से परामर्श लेंगे और उच्चतम न्यायालय की सलाह पर विचार करेंगे।
कोर्ट में भूषण के वकील दुष्यंत दवे से कहा कि वह न्यायालय से अनुचित काम करने को कह रहे हैं कि सजा तय करने संबंधी दलीलों पर सुनवाई कोई दूसरी पीठ करे। शुरुआत में दवे ने मामले में सजा तय करने पर दलीलों की सुनवाई टालने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह दोषी करार दिये जाने के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे।
क्या कहा अटॉर्नी जनरल ने
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने न्यायालय से अनुरोध किया कि अवमानना मामले में प्रशांत भूषण को कोई सजा नहीं सुनाई जाए, कहा कि उन्हें पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। इसपर न्यायालय ने कहा कि वह अटॉर्नी जनरल के अनुरोध पर तब तक विचार नहीं कर सकते जब तक प्रशांत भूषण ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगने के अपने पहले के रुख पर पुन: विचार नहीं कर लेते।
न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल से कहा, प्रशांत भूषण के बयान की शैली, सार और विषय वस्तु ने इसे और खराब कर दिया, क्या यह प्रतिरक्षा है या क्रोध। अगर गलती का अहसास हो तो अदालत काफी नरमी दिखा सकती है। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने न्यायपालिका के खिलाफ भूषण के दो अपमानजनक ट्वीट को लेकर उन्हें 14 अगस्त को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था।
सुनवाई के दौरान अदालत ने वरिष्ठ वकील से कहा कि अगर हम आपको दंडित करते हैं तो समीक्षा पर निर्णय तक यह लागू नहीं होगा। हम आपके साथ निष्पक्ष रहेंगे। हमें लगता है कि आप इस पीठ से बचने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं उनके वकील ने कहा कि यदि सजा को टाल दिया जाता है तो कोई आफत नहीं आएगी।
अदालत में प्रशांत भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि न्यायिक समीक्षा के तहत अपील सही है और सजा को स्थगित किया जा सकता है। यदि सजा टाल दी जाएगी तो कोई आफत नहीं आएगी। अदालत ने आपराधिक अवमानना के लिए सजा के खिलाफ उनकी समीक्षा याचिका दायर करने और निर्णय आने तक उनकी सजा पर सुनवाई टालने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि सजा के बाद ही फैसला पूरा होता है।
केके वेणुगोपाल ने किया प्रशांत भूषण को सजा न देने का आग्रह
प्रशांत भूषण का कहना है कि वह अपने वकीलों से सलाह लेंगे और 2-3 दिनों में उच्चतम न्यायालय के सुझाव पर विचार करेंगे। वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत से प्रशांत भूषण को कोई सजा नहीं देने का आग्रह किया। उनका कहना है कि उन्हें पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। इसपर अदालत ने कहा कि जब तक प्रशांत भूषण अपने ट्वीट के लिए माफी नहीं मांगते, तब तक वो अटॉर्नी जनरल के अनुरोध पर विचार नहीं कर सकते। अटॉर्नी जनरल से अदालत ने कहा कि प्रशांत भूषण के बयान की शैली, सार और विषय वस्तु ने इसे और खराब कर दिया, क्या यह प्रतिरक्षा है या क्रोध। इसके बाद न्यायालय ने कहा कि अगर गलती का अहसास हो तो अदालत काफी नरमी दिखा सकता है।
क्या है पूरा मामला
अदालत और उच्चतम न्यायालय को लेकर विवादित ट्वीट करने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी ठहराया था। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा था कि 20 अगस्त को सजा पर बहस होगी।