जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । औद्योगिक प्रदेश गुजरात के विकास यात्रा में एक और सफलता का अध्याय शामिल हो गया। गुजरात में नई औद्योगिक नीति 2020 लागू होने के बाद कई प्रमुख उद्योग हस्तियों ने राज्य में 10 हजार 500 करोड़ के निवेश करने की घोषणा की। जिसमें वेदांत ग्रुप द्वारा 4500 करोड़ रुपये—धातु, किरी इंडस्ट्रीज द्वारा 3 हजार करोड़ रुपये- विशेष रसायन, वेलस्पन समूह द्वारा 2 हजार करोड़ रुपये — कपड़ा और यूएनओ की मिंडा समूह द्वारा 1 हजार करोड़ रूपये इंजीनियरिंग उद्योग में निवेश करने की घोषणा की गई।
गुजरात के मुख्यमंत्री विजयभाई रूपानी ने कोरोना रूपी महामारी में अभूतपूर्व समर्थन के लिए उद्योग जगत का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योग जगत द्वारा केवल गुजरात ही नहीं बल्कि देश व प्रदेश सरकारों को अपनी कार्यक्षमता के आधार पर सहयोग दिया गया। बड़े पैमाने पर दस्ताने, पीपीई किट, एचसीक्यू आदि के निर्माण में तेजी
लाकर देश को आत्मनिर्भर बनाने में उद्योग जगत का विशेष योगदान रहा।
रूपानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को पूरा करने में गुजरात सरकार हमेशा तत्पर और प्रयन्नशील रही है। गुजरात औद्योगिक नीति 2020 इसी प्रयत्न का एक उदाहरण है। रूपानी ने कहा कि इस उदाहरण से गुजरात आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने वाला पहला राज्य बन गया है। उन्होंने नई गुजरात औद्योगिक नीति 2020 को प्रगतिशील और साहसिक कदम बताया है।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस औद्योगिक नीति का उद्देश्य “न्यूनतम सरकार और अधिकतम अधिकार” के विचार को स्थापित करना है। भारत में अपनी तरह की यह पहली पहल है। एसजीएसटी से डी-लिंकिंग कर प्रोत्साहन, सभी बैंकिंग लाभों के साथ उद्योगों को लंबी अवधि के पट्टे पर सरकारी भूमि प्रदान करना, अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करने के लिए निजी कंपनियों को सहायता देना और मजदूरों के लिए शयनगृह बनाने के लिए उद्योगों को सहयोग देने जैसी पहल इसी का उदाहरण हैं।
विजयभाई रूपानी ने एमएसएमई को गुजरात के औद्योगिक क्रांति की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा एमएसएमई को अप्रत्यक्ष प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने एमएसएमई में सौर ऊर्जा का उपयोग को आसान बनाना, विदेशी प्रौद्योगिकी के अधिग्रहण में राजकोष से समर्थन, बढ़ी हुई पूंजी और ब्याज में सब्सिडी देने जैसी पहल को अमल में लाया गया है।
फिक्की की अध्यक्ष और अपोलो हॉस्पिटल्स की संयुक्त एमडी डॉ. संगीता रेड्डी ने कहा कि नई गुजरात औद्योगिक नीति 2020 जैसे उपायों ने ही गुजरात को वास्तव में हर उद्योग क्षेत्र में अग्रणी बनाया है। इस नीति में भूमि, श्रम, पूंजी, बिजली और रसद जैसे मुख्य पहलुओं को समाहित किया गया है। डॉ. रेड्डी ने घोषणा करते हुए कहा की माननीय मुख्यमंत्री द्वारा औद्योगिक विकास के लिए लागू किए गए पहल से प्रभावित होकर, वह गुजरात में अपोलो अस्पताल की बैक एंड-मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव रखतीं हैं।
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (एसोचैम), भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) व उद्योग संघों के प्रतिनिधियों और उनकी टीम का माननीय मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने गुजरात के साथ आने की सराहना करते हुए कहा कि औद्योगिक नीति 2020 द्वारा महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का समाना करने में भी सहायता मिलेगी।
एसोचैम के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट और ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के एमडी विनीत अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि उदारीकरण की शुरुआत के बाद से गुजरात में नवाचार को आगे बढ़ाने का सराहनीय कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में नए निवेश लाने और अधिक रोजगार पैदा करने में नई गुजरात नीति 2020 प्रमुख भूमिका का निर्वाह करेगी। उन्होंने विशेष रूप से गुजरात के उत्कृष्ट आधारभूत सुविधाएँ की प्रशंसा किया।
इस मौके पर गुजरात सरकार के मुख्य सचिव अनिल मुकीम ने कहा कि गुजरात ने जहां विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में बड़े-बड़े निवेश हुए हैं, वहीं सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिए रूप से ध्यान दिया है।
गुजरात सरकार के उद्योग व खनन विभाग और मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव एमके दास ने अपने संबोधन में नई गुजरात औद्योगिक नीति 2020 के बेहतरीन बिंदुओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि व्यापार करने में आसानी को बढ़ाने के लिए गुजरात सरकार ने जिन उपायों को पेश किया, उनमें 1 हजार दिनों की अवधि के लिए सभी श्रम कानूनों से नई कंपनियों को छूट, एमएसएमई को तीन वर्ष की अवधि के लिए अनुमति प्राप्त करने से छूट देते हुए गुजरात में औद्योगिक स्थापना और संबंधित मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए सिंगल विंडो पोर्टल की सुविधा मुख्य है। उन्होंने सेवा क्षेत्र के उद्यमों को दिए जा रहे प्रोत्साहन पर भी अपने संबोधन में प्रकाश डालते हुए कहा कि यह नीति सभी क्षेत्रों में “अयोग्य उद्योगों” को हर संभव सहायता और प्रोत्साहन देने का काम करेगी।