जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का पर्व श्राद्ध मंगलवार को प्रारंभ हो गया. प्रथम दिन पूर्णिमा का श्राद्ध मनाया गया. बुधवार को प्रतिपदा का श्राद्ध रहेगा.
सनातन धर्म के मुताबिक, मनुष्य पर 3 ऋण होते हैं, देव, ऋषि, पितृ ऋण होते हैं और श्राद्ध पक्ष के दौरान पिंडदान और तर्पण करने से पितृ तर्पण चुकाने का फल मिलता है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए लोग शहर के पवित्र जलाशय पर जाकर पंडितों की अगुवाई में पितृ तर्पण के कार्यक्रम कर रहे हैं.
श्राद्ध पक्ष में दान पुण्य के साथ परंपरा अनुसार विभिन्न कार्यक्रम भी होते हैं. ज्योतिष गणना के अनुसार, इस बार तिथियों का अंतर होने के कारण 4 सितंबर को श्राद्ध नहीं रहेगा. इस बार श्राद्ध पक्ष और नवरात्र के बीच में अश्वनी अधिक मास आ रहा है. ऐसे में 19 साल बाद श्राद्ध पक्ष और शारदीय नवरात्रि में एक माह का अंतर रहेगा.
श्राद्ध पक्ष 17 सितंबर तक रहेगा और 18 से 16 अक्टूबर तक अधिक मास रहेगा. इस तरह 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू होगा. वहीं, सरोवर पर तर्पण करने आने वाले श्रद्धालुओं और पुजारी कोरोना गाइड लाइन का पूरा पालन करते हुए तर्पण करवा रहे हैं.