जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। बेटी को डोली में बिठाने जा रहे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफस सीबीआई की छापे मारी पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हजारों करोड़ के घोटाले में फंसे भाजपा के मुख्य मंत्रियो के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जांच करवाने तक से कतराती है लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय और आयकर ट्रिब्यूनल में चल रहे मामलों के बावजूद कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों के खिलाफ गैर कानूनी तरीके से छापेमारी करवा रही है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार मुलायम सिंह यादव, मायावती और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को घेरने के लिए केंद्र सरकार सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है।
कांग्रेस नेता ने संवाददाताओं से कहा कि जब ये मामला ट्रिब्यूनल और दिल्ली हाइकोर्ट में विचाराधीन है तो फिर सीबीआई छापेमारी कैसे कर सकती है? आजाद ने कहा कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ ललित गेट कांड को लेकर संसद तक नही चल सकी। 45000 करोड़ रूपए के खनन घोटाले में फंसी हुई है।
इसी तरह दुनिया का सबसे बड़ा व्यापम घोटाले सामने आने के बावजूद मोदी सरकार चुप्पी साधे बैठी हुई है। 76 लाख छात्रों का भविष्य इस घोटाले के कारण दांव पर लगी हुई है। छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्री 36000 करोड़ रुपए के राशन घोटाले में शामिल हैं। लेकिन मोदी सरकार ऐसे मुख्यमंत्रियों का त्यागपत्र तक नहीं मांग रही है। लेकिन महज 6 करोड़ रुपए के आयकर मामले में मुख्यमंत्री के घर छापे मरवाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कांग्रेस मुख्यमंत्रियों को निशाने पर ले रही है ताकि कांग्रेस पर दबाव बनाया जा सके। आजाद ने कहा कि मामला जब दिल्ली उच्च न्यायालय में और ट्रिब्यूनल में चल रहा है तो सीबीआई छापेमारी का औचित्य नहीं बनता है।
गौरतलब है कि वीरभद्र सिंह संप्रग सरकार में इस्पात मंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने 2009 से 2011 के बीच 6.1 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की। उन्होंने बताया कि आरोपों के मुताबिक, सिंह ने केंद्रीय मंत्री के पद पर रहते हुए अपने और अपने परिजनों के नाम जीवन बीमा पॉलिसियों में एलआईसी एजेंट चौहान के माध्यम से 6.1 करोड़ रुपये का निवेश किया।