अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली। भारतीय लोकतंत्र का मंदिर संसद की नई इमारत को बनाने की जिम्मेदारी टाटा ग्रुप को दिया गया है। संसद की इस नई इमारत के निर्माण के लिए टाटा की तरफ से 861.90 करोड़ रुपये की बोली लगाई गई। जबकि लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) लिमिटेड की तरफ से इसके लिए 865 करोड़ रुपये की बोली लगाई गई थी।
कुल तीन कंपनियों ने टेक्निकल राउंड क्वालिफाई किया था, लेकिन सिर्फ दो ने ही फर्म्स फाइनेंशियल बिड्स जमा कराए। कंपनियों को बुधवार तक फाइनेंशियल बिड्स जमा कराने थे। एक सरकारी आधिकारिक सूत्र ने बताया, पहले राउंड में सिर्फ तीन कंपनियों ने प्री-क्वालिफाई किया था और सिर्फ दो ने ही बिड्स आज जमा कराए।
नए संसद भवन के लिए दोनों कंपनियों में से, टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने 861.90 करोड़ और लार्सन एंड टर्बो लिमिटेड ने 865 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। अधिकारी ने बताया कि कुछ हफ्तों में अंतिम रूप से कंपनी का चयन किया जाएगा।
नए संसद भवन परिसर के निर्माण के लिए चार कंपनियों को अयोग्य करार दिए जाने के बाद ठेके के लिए बोली लगाने वालों की लिस्ट में मुंबई की तीन कंपनियां रह गई थीं- लार्सन एंड टर्बो लिमिटेड, टाटा प्रोजेक्ट्स और शम्पूर्जी पल्लोन्जी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड।
नया संसद 60 हजार मीटर स्क्वायर में बनेगा, जो प्लाट संख्या 118 पर बनाया जाएगा। इस त्रिकोणीय आकार के भवन में 120 दफ्तर होंगे, जिसमें सांसद, सदस्य, उप-राष्ट्रपति और स्पीकर समेत विशिष्ट अतिथियों के निकलने के लिए छह अलग-अलग दरवाजे होंगे। नए भवन में एक साथ 1350 सांसद बैठ सकेंगे। गैलरी में 336 से अधिक लोग बैठ पाएंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, संसद भवन की नई इमारत के ऊपर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक लगाने की संभावना है, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि निर्माण निविदा के लिए राज्य प्रतीक के साथ डिजाइन को अंतिम रूप दिया गया है। आर्किटेक्चर फर्म के एक प्रवक्ता ने कहा कि नया भवन त्रिकोणीय आकार की दो मंजिला इमारत हो सकती है।
सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्ल्यूडी) की तरफ से तकनीकी राउंड में मुंबई के कंस्ट्रक्शन एंड सिविल इंजीनियरिंग कंपनी आईटीडी सीमेंटेशन इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद-हेडक्वार्टर्ड एनसीसी लिमिटेड, पीएसपी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ऑफ अहमदाबाद और उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के यूपी राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड को प्रोजेक्ट के लिए अयोग्य करार दिया गया था।
मूल्यांकन के आधार पर सीपीडब्ल्यूडी ने बोली लगाने वाले डॉक्यमेंट में उल्लिखित मानदंडों की पूर्ति न करने सहित अन्य कारणों को लेकर चार कंपनियों को अयोग्य घोषित कर दिया।
गौरतलब है कि संसद की यह नई इमारत संसद भवन के प्लॉट संख्या 18 पर बनाई जाएगी। इस इमारत का निर्माण सेंट्रल विस्टा रिडेवलपमेंट परियोजना के तहत के तहत किया जाएगा। इसका निर्माण कार्य अब टाटा ग्रुप की तरफ से किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे साल 2022 में भारत की स्वतंत्रता के 75 साल पूरा होने के मौके पर तैयार कर लिया जाएगा।