सुधांशु त्रिवेदी / पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होते ही चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है. हालांकि प्रमुख राजनीतिक दलों ने अभी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, लेकिन संभावित उम्मीदवारों ने अपने-अपने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान चलाकर चुनावी बिगुल फूंक दिया है. इस बार के चुनाव में सबसे रोचक मुकाबला बाहुबलियों के शहर लखीसराय में होने जा रहा है.
भूमिहारों को लुभाने की कवायद
विकास के नाम पर चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले सभी दल जातीय समीकरण को साधने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. यही कारण है कि इलाके पर वर्चस्व रखने वाले भूमिहारों को लुभाने की कवायद की जा रही है. भाजपा, राजद सहित अधिकांश दल भूमिहार जाति के उम्मीदवारों को चुनावी समर में उतारने जा रहे हैं. भाजपा के मौजूदा विधायक विजय कुमार सिन्हा को फिर से मौका मिल सकता है. हालांकि इनके नाम को लेकर भाजपा के अंदर ही फूट है. अधिकांश भाजपा कार्यकर्ता विजय सिन्हा को टिकट नहीं देने की मांग कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं का गुस्सा इस कदर है कि वे पार्टी से बगावत करने के लिए आमादा हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि विजय सिन्हा पर क्षेत्र की जनता ने दो बार भरोसा जताया, इसके बावजूद उन्होंने जनता के हित में कार्य नहीं किया. विकास कार्यों के नहीं होने से जनता में रोष है, जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना होगा. लिहाजा इस बार चेहरा बदलने से ही लखीसराय में ‘कमल’ को खिलाया जा सकता है.
कुमारी बबीता की चर्चा
भाजपा विधायक विजय सिन्हा की जगह जिसके नाम की चर्चा सर्वाधिक है उसमें कुमारी बबीता सबसे अग्रणी हैं. पेशे से वकील कुमारी बबीता अपने समर्थकों के साथ मोटरसाइकिल रैली निकाल कर जनसंपर्क अभियान में जुट चुकी हैं. उनका दावा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें टिकट देने का आश्वासन दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि कुमारी बबीता भी भूमिहार जाति से हैं, साथ ही महिला हैं, जिसका लाभ पार्टी को मिलेगा.
अन्य दलों की स्थिति
इसी प्रकार कांग्रेस और राजद में से किसके खाते में यह सीट जाएगा, फिलहाल इसका पता नहीं है. लेकिन दोनों ही पार्टियों द्वारा भूमिहार उम्मीदवारों पर ही दांव खेले जाने की चर्चा है. कांग्रेस से व्यवसायी अजय सिंह तथा राजद से पूर्व विधायक फुलैना सिंह को टिकट मिलने की चर्चा है. इसके अलावा भूमिहार के कद्दावर नेता और जदयू नेता सुजीत कुमार भी चुनाव लड़ने की दौड में शामिल हैं. पिछली बार सुजीत कुमार ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी गणित को प्रभावित किया था.