लोकसभा के बेल में आकर प्रदर्शन कर रहे पप्पू यादव को जब लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सीट पर बैठने के लिए कहा तो पप्पू यादव ने सीना चौड़ा करते हुए कहा था पांच बार से अपने दम पर सांसद हूं, किसी पार्टी के दम पर नहीं। लेकिन पप्पू यादव अपने संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए कितना काम किए हैं इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता हैं कि देश के छोटी छोटी जगहों पर आप हवाई जहाज, ट्रेन व कार-बस से आप पहुंच सकते हैं लेकिन सहरसा-मधेपुरा आप ट्रेन छोड़कर किसी वाहन से नहीं जा सकते। सुशासन बाबू के 15 साल के शासनकाल में भी सहरसा-मधेपुरा हाशिए पर ही रहा।
पहलीबार विधायक बने अरूण कुमार से जब janjivan.com ने क्षेत्र के खास्ता हाल की बात की तो विधायक ने अपने निधि से हर पंचायत में सामुदायिक भवन, छतदार चबूतरा, कला मंच बनाने का दावा किया।
दरअसल सहरसा-मधेपुरा जाने के लिए महेखुंट से लगमाघाट होते हुए सड़क बनी हुई थी, जो लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्रीत्वकाल में कोसी नदी में ज्यादा पानी आने से समा गई। उसके बाद न तो लालू प्रसाद यादव व ना नीतीश कुमार इस सड़क को बनवाने के लिए कोई कदम उठाया। सहरसा की जनता का दर्द इससे जानिए कि मानसी स्टेशन पर यदि समय रहते नहीं पहुंचे व आपकी ट्रेन छुट गई तो आपको कई घंटे तक इंतजार करना पड़ सकता है।
सहरसा विधानसभा सीट इस बार महागठबंधन व एनडीए के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई है। एक समय ब्राह्मण बहुल इस विधान सभा क्षेत्र को तहस नहस करने में राजद व भारतीय जनता पार्टी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। फिलहाल इस सीट पर राजद का कब्जा है, लेकिन पिछली बार की अपेक्षा इस बार चुनावी समीकरण बदला हुआ है। पिछली बार जहां जदयू राजद के साथ था वहीं इस बार जदयू और राजद आमने सामने है।
बनगांव, चैनपुर, सिहौल, पड़री समेत कई गांव ऐसे हैं जहां सिर्फ ब्राह्मणों की आबादी है। अकेले बनगांव में लगभग 20000 मतदाता हैं। बनगांव वाले जिसको चाहे एक झटके में विधायक बना दे। यही कारण है कि बनगांव निवासी रमेश झा हों या सतीश चन्द्र झा इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहें।
जिला मुख्यालय की सड़कें जर्जर
सहरसा जिले को उग्रतारा स्थान, कंदाहा सूर्य मंदिर को बौद्ध सर्किट से जोड़े जाने की बात होती रही है। लेकिन सरकारी घोषणाओं, नेताओं के बयानबाजी और चुनावी वादे के बीच सहरसा की जर्जर सड़क विकास की ऐसी-तेसी कर रहा है।
सहरसा के गली-मोहल्ले को कौन कहे मुख्य सड़कों पर रोज लोग गिरकर दुघर्टना के शिकार हो रहे हैं। जिले के किसी भी इलाके में जाने के लिए सड़क सवारी ही नहीं उसपर बैठे सवार की भी चूलें हिला रही है। अपनी यात्रा पूरी कर लोग भगवान को दुहाई देते हैं। चंद किलोमीटर की दूरी पार करने में लोगों को घंटों समय लग जाता है। न तो मरीज समय पर अस्पताल पहुंच पाता और न ही अन्य लोग नियम समय पर अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच पाते हैं। हर दिन गाड़ियों के पलटने-लोगों के दुघर्टनाग्रस्त होने की खबरें आती है। उबड़-खाबड़ रास्ते पर चलने वाले जनता की इस पीड़ा से उन नेताओं को क्या मतलब, जिन्हें रास्ते बदल- बदलकर चलने के लिए लग्जरी गाड़ियां है। सत्ता से विपक्ष में गए लोग वर्तमान सत्ता को इसके लिए जिम्मेवार ठहरा रहे हैं और सत्ता में बैठे लोग अभी भी आमजनता को आश्वासनों की पिला रहे है। उम्मीदों पर जीनेवाली निरीह जनता आज भी बेहतर सड़क पर चलने के सपने के साथ अपने जनप्रतिनिधि और और प्रशासन की ओर टकटकी लगाए हुए हैं।
पहलीबार विधायक बने अरूण कुमार से जब janjivan.com ने क्षेत्र के खास्ता हाल की बात की तो विधायक ने अपने निधि से हर पंचायत में सामुदायिक भवन, छतदार चबूतरा, कला मंच बनाने का दावा किया।
जब उनसे सड़कों की जर्जर हालत के बारे में पूछा गया तो अरूण कुमार ने भाजपा के पूर्व विधायक आलोक रंजन का हवाला देते हुए कहा कि बनगांव गांव के अंदर आधे किमी तक सड़कों पर पानी भरा रहता है। इस समस्या को दूर करने का आगे प्रयास किया जाएगा। वे लगातार सड़कों की बदहाली का मुद्दा विधानसभा में उठाते रहे, विभागीय मंत्री को भी स्थिति की जानकारी देते रहे, परंतु सड़क निर्माण विभाग और नगर परिषद की लापरवाही के कारण सड़कों की हालत दुरूस्त नहीं हो सकी। हालांकि उनका दावा है कि उनके प्रयास से ही सहरसा विधान सभा का हर गांव प्रखंड मुख्यालय से जुड़ सका। शहरी क्षेत्र में पेयजल- बिजली आदि के बारे में पूछे जाने पर विधायक ने कहा कि हर- घर नल का जल का कार्य उनके प्रयास से शहरी क्षेत्र में दु्रतगति से चल रहा है। बिजली की निर्बाध आपूर्ति के लिए भी वे प्रयास करते रहे।
स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाल हालत के संबंध में पूछे जाने पर विधायक ने कहा कि सहरसा सदर अस्पताल इस इलाके का एम्स है। इसमें डाक्टर, कम्पांउडर नर्स की बहाली और अन्य व्यवस्था को दुस्स्त करने के लिए कई बार विधान सभा में सवाल उठाया, परंतु सरकार की मंशा ही ठीक नहीं है। सहरसा में एम्स की स्थापना के उनके प्रयास के बार में जब पूछा गया, तो विधायक ने कहा कि उन्होंने विभागीय मंत्री ही नहीं मुख्यमंत्री को भी कहा कि अगर बैजनाथपुर पेपर मिल खोला जाना संभव नहीं है, तो उस एक सौ एकड़ जमीन के बगल में और जमीन प्रबंध कर उसमें एम्स खोला जाए, मुख्यमंत्री ने इस दिशा में साकारात्मक पहल करने का भी आश्वासन दिया, परंतु सरकार विपक्षियों की बात को अनसुनी करती है। शिक्षण संस्थानों के बदहाल हालत में पूछे जाने पर विधायक ने कहा कि उन्होंने गोबरगरहा स्थित आईटीआई, ओबीसी स्कूल के जमीन और भवन का भी मामला उठाया। सरकार से आश्वासन तो मिला, परंतु इसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अन्य सवालों के जबाव में विधायक ने कहा कि उन्होंने बनगांव को नगर पंचायत बनाने, बनगांव के उत्तर से बाईपास सड़क बनाने, सौरबाजार और अमरपुर उच्च विद्यालय में स्टेडियम निर्माण का भी प्रस्ताव दिया है। वे जनता की हर समस्याओं के लिए सड़क से सदन तक लगातार प्रयासरत हैं।