जनजीवन ब्यूरो / पटना । पूरे भारत में मोकामा टाल क्षेत्र की पहचान दलहन पैदावार के रुप में है, लेकिन दूसरा पहलू कुख्यात अपराध का भी है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में हमेशा से सत्ता संघर्ष रहा है। आजादी के बाद से इलाके में जितने भी विधानसभा चुनाव हुए हैं उनमें से ज्यादातर बार यहां से कोई दमदार छवि वाला नेता ही चुनाव जितता रहा है। पिछले डेढ़ दशक से यहां के विधायक अनंत सिंह हैं। कहा जाता है कि अनंत सिंह की इजाजत के बिना पत्ता तक नहीं हिलता है।
बाहुबली अनंत सिंह को चुनौती देने उतरे साधु
आप अगर टाल क्षेत्र के लोगों से बात करेंगे तो आपको अनंत सिंह के बाहुबल की अनंत कथा सुनने को मिलेगी। बेहद गरीब परिवार से आने वाले अनंत सिंह कैसे भाई दिलीप सिंह की मदद से अपराध की दुनिया में आए फिर कैसे सफेदपोश बने। नंत सिंह पर दर्जनों अपराध के मुकदमे दर्ज हैं। फिलहाल वह जेल में हैं। लंबे समय तक नीतीश कुमार के खास रहे अनंत सिंह इस बार राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं। अपराध की दुनिया के बेताज बादशाह के सामने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजीव लोचन को उतारा है। लोचन की पहचान साधु के रूप में है।
राजीव लोचन नारायण सिंह उर्फ अशोक नारायण मोकामा के सकरवार टोला गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता वेंकटेश नारायण सिंह उर्फ बीनो बाबू पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों से प्रेरित रहे। बीनो बाबू का रिश्ता नीतीश कुमार से भी काफी अच्छा रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री रहते हुए जब बाढ़ के टाल में बने एनटीपीसी का शिलान्यास करने आए थे तब उन्होंने बीनो बाबू से अलग से मुलाकात की थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने मोकामा आने पर बीनो बाबू के यहां विश्राम भी किया था। नीतीश कुमार जब राजनीति के शुरुआती दिनों में बाढ़-मोकामा के इलाकों में वोट मांगने आते तो बीनो बाबू उनके लिए मंच का इंतजाम करते थे।
राजीव लोचन के पिता बीनो बाबू के बारे में कहा जाता है कि वह नीतीश कुमार के पुराने परिचित रहे हैं। नीतीश कुमार जब 1989 से 2004 के लोकसभा चुनाव तक बाढ़ से जितनी बार लोकसभा का चुनाव लड़े तब तब बीनो बाबू ने उनकी मदद की। दरअसल, नीतीश कुमार कुर्मी समाज से आते हैं और बाढ़ लोकसभा (अब यह मुंगेर लोकसभा सीट का हिस्सा हो गया है) क्षेत्र में पड़ने वाले मोकामा के कई गांवों में भूमिहारों का वर्चस्व है। उस दौर में जातीय संघर्ष होने के चलते कुर्मी जाति के प्रत्याशी भूमिहारों के इलाके में जाने से हिचकते थे। ऐसी हालत में बीनो बाबू ने नीतीश कुमार की काफी मदद की थी। बीनो बाबू की ही तरह उनके बेटे राजीव लोचन भी बिल्कुल ही साधू स्वभाव के हैं। इलाके के लोग उन्हें आम बोलचाल में साधू बाबा कहते हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर नीतीश कुमार ने बाहुबली अनंत सिंह के सामने साधु छवि वाले राजीव लोचन को मैदान में उतारा है।
हमेशा पर्दे के पीछे से राजनीति करते रहे राजीव लोचन
अपने पिता वेंकटेश नारायण सिंह उर्फ बीनो बाबू की ही तरह राजीव लोचन भी हमेशा पर्दे के पीछे रहकर राजनीति में रहे। इलाके के लोग बताते हैं पिछले करीब 40 साल से राजीव लोचन बीजेपी या यूं कहें कि एनडीए के लिए काम करते रहे हैं। उन्होंने बीजेपी के किसान मोर्चा में राज्य स्तर पर कई अहम पदों पर जिम्मेदारी निभाई है।
मोकामा के भूमिहार बाहुल्य गांवों में राजीव लोचन की अच्छी पकड़
राजीव लोचन यूं तो मोकामा में चिर परिचित चेहरा नहीं हैं, लेकिन बीजेपी और जेडीयू के ज्यादातर कार्यकर्ता उन्हें भली-भांति जानते हैं। वे लंबे समय से एनडीए के प्रत्याशी के लिए वोट जुटाते रहे हैं। राजीव लोचन के बातचीत करने का लहजा बेहद सामान्य और मीठा है। इलाके लोगों तक उनकी पहुंच सुगम है। अब नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है तो रातों-रात उनका नाम इलाके में आग की तरह फैल रही है। देखना होगा कि यह नाम वोट में कितना तब्दील होता है।