जनजीवन ब्यूरो / पटना । सीपीआई नेता कन्हैया कुमार के बाद बिहार की राजनीति में जेएनयू के दो पूर्व छात्र संदीप सौरव और निखिल आनंद नई शुरुआत करेंगे। कन्हैया कुमार 2019 के लोकसभा चुनावों में बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से गिरिराज सिंह से हार गए थे।
सौरव और आनंद के अलावा जेएनयू के दो अन्य पूर्व छात्र बिहार की राजनीति में कानूनविदों की भूमिका में सक्रिय हैं। इनमें से एक मुंगेर जिले के कदवा से कांग्रेस पार्टी के विधायक शकील अहमद खान और दूसरे विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्य जद (यू) के सदस्य तनवीर अख्तर हैं। दोनों खान और अख्तर के अलावा कन्हैया जवाहरलाल नेहरू छात्र संघ (JNUSU) के अध्यक्ष थे।
इससे पहले 1993 में जेएनयूएसयू उपाध्यक्ष रहे चंद्रशेखर प्रसाद ने दो बार जेएनयू के अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा किया। वे अपना राजनीतिक क्षेत्र बनाने के लिए बिहार स्थित अपने गृहनगर सीवान लौट आए और सीपीआई (एमएल) के लिए काम कर रहे थे। हालांकि उनका राजनीतिक सफर कम ही दिनों का रहा। 1997 में कथित रूप से राजद नेता सैयद सहाबुद्दीन के गुंडों ने उनकी हत्या कर दी थी।
जवाहरलाल नेहरू छात्र संघ के पूर्व महासचिव सौरव पटना जिले के पालीगंज से सीपीआई (एमएल) के उम्मीदवार हैं। मनेर के निवासी सौरव जेएनयू परिसर में केंद्र की नीति के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। पटना विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 2007 में जेएनयू में स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज (एसएल) के तहत भारतीय भाषाओं के केंद्र में प्रवेश किया और हिंदी साहित्य में एमए, एम फिल और पीएचडी पूरी की। उन्होंने जेएनयूएसयू में पार्षद पद के लिए चुनाव लड़कर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की और बाद में महासचिव बने।
हालांकि सौरव के लिए जीत की राह आसान नहीं होगी। पालीगंज निर्वाचन क्षेत्र से 25 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसके अलावा वह राजद छोड़कर जदयू ज्वाइन करने वाले वर्तमान विधायक जय वर्धन यादव उर्फ बच्चा यादव के साथ सीधी लड़ाई में होंगे। 2015 के चुनावों में सौरव की पार्टी सीपीआई (एमएल) तीसरे स्थान पर रही थी और उसके उम्मीदवार अनवर हुसैन ने 19,464 वोट हासिल किए थे।
वहीं आनंद मनेर के बीजेपी प्रत्याशी के रूप में पहली बार पटना जिले में आरजेडी के दिग्गज भाई वीरेंद्र के खिलाफ अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मनेर विधानसभा सीट के लिए 3 नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा। जेएनयू में आनंद की राजनीतिक यात्रा 1993 में शुरू हुई। वह कोरियाई अध्ययन में स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज (एसएल) के छात्र थे। उन्होंने आईआईएमसी से पत्रकारिता में डिप्लोमा भी किया और बाद में 2018 में राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से पीएचडी पूरी की। स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज के छात्र होने के दौरान वे छात्र राजद के संस्थापक सदस्यों में से थे। बाद में वह कांग्रेस में चले गए और फिर बिहार भाजपा में शामिल होकर पार्टी के प्रवक्ता के पद पर पहुंच गए। मनेर से तीन बार के राजद विधायक भाई वीरेंद्र के खिलाफ चुनाव लड़ रहे 45 वर्षीय आनंद की लड़ाई कठिन हो सकती है।
एक अन्य जेएनयू नेता खान को कदवा से चुनाव लड़ने के लिए फिर से कांग्रेस पार्टी ने सिंबल दिया है। खान 1992-93 में जेएनयूएसयू अध्यक्ष थे और पूर्ववर्ती वर्ष में संघ के उपाध्यक्ष भी थे। वे 1999 में कांग्रेस में शामिल हुए और 2015 में पहली बार कदवा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। जबकि खान ने छात्र संघ चुनावों को भारत के वामपंथी-संबद्ध छात्र महासंघ (एसएफआई) के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ा था। विश्वविद्यालय की राजनीति से बाहर निकलते हुए उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर लिया।
वहीं जब 1991-92 में अहमद उपाध्यक्ष थे तो जेएनयू एल्यूमस जदयू एमएलसी और गया में शेरघाटी के निवासी तनवीर अख्तर जेएनयूएसयू अध्यक्ष थे। अख्तर ने कांग्रेस से संबद्ध नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) से जेएनयूएसयू चुनाव लड़ा था। वह कैंपस से निकलने के बाद भी कांग्रेस के साथ बने रहे और उन्हें पार्टी का विधान परिषद सदस्य बनाया गया। वह बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष और बिहार यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे। हालांकि, वह 2018 में जद (यू) में शामिल हो गए।
भाजपा की बिहार इकाई के अलावा पार्टी के लिए कई जेएनयू के पूर्व छात्र काम कर रहे हैं। बिहार के भाजपा महासचिव, देवेश कुमार ने 1993 में पार्टी की छात्र शाखा एबीवीपी से उपाध्यक्ष पद के लिए भी असफल रूप से चुनाव लड़ा था।वहीं कुछ अन्य जेएनयू के पूर्व छात्र सुशील कुमार चौधरी, रंजन कुमार गौतम और उमाशंकर सिंह बिहार भाजपा में पार्टी के पदाधिकारी के पद पर हैं।
इससे पहले बिहार के बांका के पूर्व सांसद और जमुई जिले के गिद्धौर के मूल निवासी दिग्विजय सिंह जिनका निधन 2010 में हुआ था। वे 1982 में छात्रों के लिए डेमोक्रेटिक सोशलिज्म (डीवाईएस) संगठन से जेएनयूएसयू के महासचिव थे। वर्तमान में सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह जमुई निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। जमुई में 28 अक्टूबर को पहले चरण में मतदान होने जा रहा है।