जनजीवन ब्यूरो / दानापुर : दानापुर में एक बार फिर भाजपा-राजद में सीधा मुकाबला है। निर्वतमान विधायक भाजपा प्रत्याशी आशा देवी और राजद प्रत्याशी रीतलाल यादव के बीच मुकाबला होने से लड़ाई दिलचस्प हो गयी है। हालांकि, वोटरों की चुप्पी सभी को परेशान कर रही है।
चुनाव मैदान में 19 प्रत्याशी हैं। इसमें कई बागी भी हैं। रालोसपा प्रत्याशी सह नगर परिषद के उप मुख्य पार्षद दीपक कुमार अपने दमखम और पार्षदों के समर्थन से लड़ाई को उलझा दिए हैं। निर्दलीय प्रत्याशी सुरेन्द्र प्रसाद चौरसिया भी वैश्य समाज पर दावा कर रहे हैं। कुल मिलाकर बागी प्रत्याशी और भीतरघात करने वाले कहीं बना बनाया खेल न बिगाड़ दें। राजधानी का एक हिस्सा बन चुके इस विधानसभा का एक हिस्सा दियारा में मिल जाता है। ऐसे में इसका मिलाजुला मिजाज है। बाहर से आकर बसने वाले वोटरों का मिजाज भांपना मुश्किल हो रहा है। विपक्ष जहां यहां समस्याओं का अंबार गिनाता है तो भाजपा प्रत्याशी आशा सिन्हा ने अपने कार्यकाल में विकास कार्यों का खाका बुन देती हैं।
वे कहती हैं कि दियारा में बिजली राजग की सरकार ने पहुंचायी है और पक्का पुल बनायेगी। फिलहाल मनेर के शेरपुर से दिघवारा तक बनने वाले पुल का एप्रोच रोड पतलापुर में गिरेगा। शहरी क्षेत्र में जलजमाव से निजात को लेकर कई योजनायें स्वीकृत हैं। 2021 में जलजमाव से मुक्ति मिल जायेगी। राजद प्रत्याशी रीतलाल राय मतदाताओं से सिर्फ एक बार सेवा करने का मौका देने की बात कह रहे हैं। राय का मानना है कि वर्षों क्षेत्र के लोगों के सुख-दुख में शामिल होते रहे हैं। उनका आशीर्वाद जरूर मिलेगा। रालोसपा के दीपक कुमार कहते हैं कि राजग के 15 साल से बिहार में सरकार व दानापुर में विधायक है। लेकिन समस्या का निदान नहीं हुआ। सरकारी र्बोंरगों का अस्तिव मिट चुका है। किसान अपने दम और भाग्य पर खेती करने पर मजबूर है।
लालू दो बार यहां से जीत चुके हैं चुनाव
1995 में जनता दल से लालू यादव चुनाव लड़े और भाजपा के बिजय सिंह यादव को हराया। उसके बाद लालू ने दानापुर सीट को छोड़ दिया। 1996 में हुए उपचुनाव में भाजपा के बिजय सिंह यादव ने जनता दल के डॉ. रामानंद यादव को हराया। उसके बाद बदले राजनीतिक समीकरण में बिजय सिंह यादव आरजेडी और रामानंद यादव ने भाजपा में चले गए। 2000 में हुए विस चुनाव में एक बार फिर आरजेडी से लालू प्रसाद यादव चुनाव लड़े और भाजपा के रामानंद यादव को हराया। फिर लालू प्रसाद ने दानापुर सीट को छोड़ दिए और रामानंद यादव ने आरजेडी का दामन थाम लिया।
आशा सिन्हा ने लगाया जीत का चौका
30 अप्रैल 2003 को भाजपा नेता सत्य नारायण सिन्हा की हत्या हो गयी। सिन्हा की हत्या के बाद उनकी पत्नी आशा देवी को भाजपा ने फरवरी 2005 में हुए चुनाव में दानापुर से उम्मीदवार बनाया। वह अब तक जीत का चौका लगा चुकी हैं।
पक्का पुल और शहरवासियों से जलजमाव पर मांग रहे वोट
चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशी वोटरों को अपनी ओर करने के लिए रात-दिन एक किए हुए हैं। उन सबों के बीच दियारा में पीपापुल की जगह पक्का पुल बनाने और शहर को जलजमाव से मुक्त कराना चुनावी मुद्दा बना हुआ है। हर प्रत्याशी इन दोनों बात को पूरा करने का दम भर रहे हैं। इन दोनों के बीच ग्रामीण क्षेत्र की समस्याएं गौण हैं।
1957 में दानापुर विधानसभा का गठन किया गया
दानापुर विधानसभा का गठन 1957 में किया गया। गठन के बाद दानापुर की जनता ने सभी पार्टी के नेताओं को सेवा करने का मौका दिया। 1957 में कांग्रेस के जगत नारायण लाल ने चुनाव जीते। फिर 1962 व 1967 में सोशलिस्ट पार्टी के राम सेवर्क ंसह को दानापुर की जनता ने विधानसभा में भेजा। वयोवृद्व निवासी मनहर प्रसाद ने बताया कि राम सेवक जी क्षेत्र का भ्रमण साइकिल से अकेले ही किया करते थे। उसके बाद 1969 से 1980 तक बुद्धदेव सिंह ने तीन बार और राम लखन सिंह यादव एक बार कांग्रेस से चुनाव जीते। बुद्वदेव सिंह मंत्री भी बने। 1985 में अपराध की दुनिया से राजनीतिक की दुनिया में आए बिजेन्द्र राय उर्फ बिजेन्द्र गोप निर्दलीय चुनाव जीते, फिर 1990 में जनता दल से चुनाव जीता। उसके बाद कांग्रेस को ऐसा झटका लगा कि दानापुर में अब अपनी जगह तलाश रही है।
कुल मतदाता: 3,51,950
पुरुष: 1,85, 842
महिला: 1,66,099
थर्ड जेंडर: 09
अब तक रहे विधायक
1957- जगत नारायण लाल कांग्रेस
1962- राम सेवक सिंह- सोशिल्ट पार्टी
1967- राम सेवर्क सिंह- सोशिल्ट पार्टी
1969- बुद्धदेव सिंह- कांग्रेस
1972- बुद्धदेव सिंह- कांग्रेस
1977- राम लखन सिंह यादव- कांग्रेस
1980- बुद्धदेर्व सिंह- कांग्रेस
1985- बिजेन्द्र राय- निर्दलीय
1990- बिजेन्द्र राय- जनता दल
1995- लालू प्रसाद यादव- जनता दल
1996 उपचुनाव- बिजय सिंह यादव- भाजपा
2000- लालू प्रसाद यादव- आरजेडी
2002- उपचुनाव डा रामानंद यादव- आरजेडी
2005 फरवरी- आशा देवी- भाजपा
2005 अक्टूबर- आशा देवी- भाजपा
2010- आशा देवी- भाजपा
2015- आशा देवी- भाजपा