अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । बिहार चुनाव से पहले दूसरे दलों के नेता सिर्फ बीजेपी में शामिल होते थे. बीजेपी छोड़कर जाने वालों की संख्या ना के बराबर रहती थी, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव ने बीजेपी के इस नीति पर सवाल खड़ा कर दिया है. इस चुनाव ने बीजेपी को एक और रिकार्ड बनाने का अवसर दे दिया. राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण दल छोड़कर जाने वाले लगभग 40 नेताओं को बीजेपी ने छह साल के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया है. इनमें दो वर्तमान विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद समेत अलग-अलग पद पर तैनात पार्टी के पदाधिकारी शामिल हैं.
यह पहला मौका है, जब बीजेपी ने पार्टी विरोधी गतिविधि के कारण इतने व्यापक स्तर पर कार्रवाई की है. भाजपा एक संगठनात्मक पार्टी के तौर पर जानी और पहचानी जाती है, लेकिन इस बार के चुनाव में नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा इतनी प्रबल होकर सामने आयी कि उन्होंने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर बगावती तेवर अख्तियार कर लिया.
कई बार समझाने के बाद भी जब ये लोग नहीं माने, तो पार्टी को इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी पड़ी. पार्टी के आला कमान का कहना है कि इस बार जिन्हें छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया है. उनकी वापसी बीच में होने का कोई सवाल ही नहीं उठता है. छह साल मतलब छह साल और इसके बाद ही कुछ विचार किया जा सकता है.
इस बार एनडीए में भाजपा के साथ तीन अन्य घटक दल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. सीटों का बंटवारा आपस में होने की वजह से कई नेताओं का समीकरण बिगड़ गया. कइयों की सीट दूसरे दलों के खाते में जाने की वजह से भी ये बेटिकट हो गये. कई नेताओं को पार्टी छोड़ने का बड़ा कारण यह है कि इन्हें लोजपा नाम की एक ऐसी छत मिल गयी, जिसका सहारा लेकर ये बागी होकर चुनावी मैदान में कूद गये हैं, जिन्हें 40 नेताओं को पार्टी से निकाला गया है. उनमें 75 फीसदी नेता लोजपा के टिकट पर अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं. शेष 25 फीसदी भाजपा के विरोध में प्रचार कर रहे हैं या क्षेत्र में एनडीए के अलावा दूसरे दल के उम्मीदवारों को मदद कर रहे हैं.
इन प्रमुख चेहरों ने की बगावत
जिन प्रमुख लोगों को पार्टी से निकाला गया है. उसमें वर्तमान में अमनौर विधायक चोकर बाबा उर्फ शत्रुघ्न तिवारी, सीवान के एमएलए ब्यासदेव प्रसाद और रक्सौल से अजय सिंह शामिल हैं. अजय सिंह लगातार पांच बार विधायक रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी सीट जदयू के कोटे में जाने से उनका टिकट कट गया. इसके अलावा प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह, पूर्व राष्ट्रीय मंत्री रामेश्वर चौरसिया, पूर्व सांसद विश्वमोहन मंडल, पालीगंज की पूर्व विधायक उषा विद्यार्थी, अररिया के जिलाध्यक्ष बबन सिंह, मृणाल शेखर (अमरपुर से पिछली बार चुनाव भी लड़े थे पार्टी के टिकट पर), हाजीपुर के प्रो. अजीत, सीवान के जितेंद्र स्वामी, पूर्व एमएलसी मनोज सिंह समेत अन्य लोग शामिल हैं.
बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि जिन्हें इस बार छह साल के लिए पार्टी से निकाला गया है, उनकी किसी भी हालत में बीच में इंट्री नहीं होगी. छह साल बाद ही पार्टी उन पर कुछ विचार करेगी. इस बार जिन पर सख्त कार्रवाई की गयी है, उस पर किसी तरह का नरम रुख नहीं अपनाया जायेगा.