जनजीवन ब्यूरो
वाशिंगटन : बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सबसे बड़ी परीक्षा होगी, बल्कि अमेरिका तक में इस चुनाव को लेकर बेकरारी बनी हुई है। अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक के अनुसार बिहार चुनाव परिणाम का असर राज्य की समीओं से बाहर भी पड़ेगा । अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक कार्नेगी इंडावमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के मिलान वैष्णव और सक्षम खोसला ने एक संपादकीय में लिखा है. जिसके मुताबिक बिहार के मतदाता क्या निर्णय लेते हैं यह मायने नहीं रखता है लेकिन इसके नतीजों का असर सीमाओं से परे महसूस किया जायेगा।
उन्होंने लिखा है कि मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनावी परीक्षा होगी । अगर जीत मिलती है तो यह जीत केंद्र सरकार को नई गति प्रदान कर सकती है । इस जीत से भाजपा राज्यसभा में बहुमत के करीब पहुंच सकती है और 2016 और 2017 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में इससे इसे मजबूती मिलेगी । कार्नेगी के विद्वानों ने लिखा है कि अगर इसमें हार मिलती है तो यह एक बहुत बड़ा झटका होगा । विशेषकर इसलिए क्योंकि मोदी ने प्रचार में अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर लगा रखा है. यहां तक की राज्य के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की गयी है।
थिंक टैंक के विद्वानों ने कहा है कि इस चुनाव के परिणाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके नये सहयोगी लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक कैरियर की दिशा भी तय करेंगे । उन्होंने लिखा है, एक समय था जब राज्य के सभी नेताओं के बीच कुमार का सितारा बुलंदी पर था । लेकिन 2014 के आम चुनाव के बाद उनकी चमक फीकी हुयी है । उधर, लालू प्रसाद यादव के लिये जीत का मतलब होगा कि राज्य की राजनीति में उनके और उनके परिवार की प्रासंगिकता बरकरार है । उन्होंने लिखा है, हाल में अकेले चुनाव लड़ने से कांग्रेस को मिली चुनावी पराजय से बिहार में एक गंठबंधन में शामिल होने से उसे कुछ राहत मिलेगी और पार्टी के उत्तराधिकारी राहुल गांधी के रुख को मजबूती मिलेगी ।