जनजीवन ब्यूरो / पटना । बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के तीसरे और आखिरी चरण के मतदान से ठीक पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की जनता से भावुक अपील करते हुए रिटायरेंट की घोषणा कर दी। नीतीश कुमार ने पूर्णिया के धमदाहा में चुनाव प्रचार के दौरान मंच से अपील की है कि इस बार का विधानसभा चुनाव उनका आखिरी चुनाव है। नीतीश कुमार की अपील पर लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान और आरजेडी (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने निशाना साधा है। तेजस्वी यादव ने कहा कि मेरी बात सच साबित हो गई।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की अपील पर कहा, “आदरणीय नीतीश जी बिहारवासियों की आकांक्षाओं, अपेक्षाओं के साथ-साथ ज़मीनी हकीकत भी स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। हम शुरू से कहते आ रहे है कि वो पूर्णत: थक चुके है और आज आखिरकार उन्होंने अंतिम चरण से पहले हार मानकर राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर हमारी बात पर मुहर लगा दी।”
वहीं लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने तंज करते हुए कहा कि अगर रणभूमि से नेता ही गद्दी छोड़ कर भाग जाए तो बाकी के लोग क्या करेंगे? अब JDU का कोई अस्तित्व नहीं बचा है। अगर नीतीश कुमार जी ये सोच रहे हैं कि ये घोषणा करके वो जांच की आंच से बच जाएंगे तो ये मैं होने नहीं दूंगा। चिराग पासवान ने कहा, “साहब ने कहा है कि यह उनका आख़िरी चुनाव है। इस बार पिछले 5 साल का हिसाब दिया नहीं और अभी से बता दिया कि अगली बार हिसाब देने आएंगे नहीं। अपना अधिकार उनको ना दें जो कल आपका आशीर्वाद फिर मांगने नहीं आएंगे। अगले चुनाव में ना साहब रहेंगे ना जेडीयू। फिर हिसाब किससे लेंगे हम लोग?”
लोजपा अध्यक्ष ने आगे कहा कि जेडीयू प्रत्याशी को दिया गया एक भी वोट कल आप के बच्चे को पलायन पर मजबूर करेगा। बिहार को और बर्बाद नहीं होने देना है। आप सभी लोजपा-भाजपा सरकार के लिए सभी लोजपा और भाजपा के प्रत्याशी को अपना आशीर्वाद दें।
जनता से बिहार के विकास के लिए एनडीए को वोट देने की अपील करते हुए नीतीश कुमार ने कहा, “आज चुनाव का आखिरी दिन है और परसों चुनाव है, ये मेरा आखिरी चुनाव है। अंत भला तो सब भला। अब आप बताएये इनको वोट दीजिएगा या नहीं। हाथ उठाकर बताइए।”
ऐसे हुई राजनीतिक सफर की शुरुआत
नीतीश के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1977 में हुई थी। इस साल नीतीश ने जनता पार्टी के टिकट पर पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। साल 1985 को नीतीश बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए। इस बीच साल 1987 को नीतीश कुमार बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बने। 1989 को नीतीश कुमार को जनता दल का महासचिव बना दिया गया। साल 1989 नीतीश के राजनीतिक करियर के लिए काफी अहम था। इस साल नीतीश 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए। लोकसभा के लिए ये नीतीश का पहला कार्यकाल था। इसके बाद साल 1990 में नीतीश अप्रैल से नवंबर तक कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे।
साल 1991 में दसवीं लोकसभा का चुनाव हुए नीतीश एक बार फिर से संसद में पहुंचे। इसी साल नीतिश कुमार जनता दल के महासचिव बने और संसद में जनता दल के उपनेता भी बने। करीब दो साल बाद 1993 को नीतीश को कृषि समित का चेयरमैन बनाया गया। एक बार फिर से आम चुनाव ने दस्तक दी। साल 1996 में नीतीश कुमार 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए। नीतीश साल 1996-98 तक रक्षा समिति के सदस्य भी रहे। साल 1998 ने नीतीश फिर से 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए। 1998-99 तक नीतीश कुमार केंद्रीय रेलवे मंत्री भी रहे।
एक बार फिर चुनाव हुए साल 1999 में नीतीश कुमार 13वीं लोकसभा के लिए चुने गए। इस साल नीतीश कुमार केंद्रीय कृषि मंत्री भी रहे। साल 2000 नीतीश के राजनीतिक करियर का सबसे अहम मोड़ था। इस साल नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनका कार्यकाल 3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक चला। साल 2000 में नीतीश एक बार फिर से केंद्रीय कृषि मंत्री रहे। साल 2001 में नीतीश को रेलवे का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। साल 2001 से 2004 तक नीतीश केंद्रीय रेलमंत्री रहे। साल 2002 के गुजरात दंगे भी नीतीश कुमार के कार्यकाल के दौरान हुए थे। साल 2004 में नीतीश 14वीं लोकसभा के लिए चुने गए। साल 2005 में नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बने। बतौर 31वें मुख्यमंत्री नीतीश का ये कार्यकाल 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक चला। 2010 में भी उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन कार्यकाल के पूरा होने के पहले ही 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार का जिम्मा लेते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को मुख्यहमंत्री पद का कार्यभार दिया था। 22 फरवरी 2015 को उन्होंने एक बार फिर बिहार की कमान संभाली और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राजग की चुनौती को मुंहतोड़ जवाब देते हुए बिहार की सत्ता पर काबिज हुए और महागठबंधन की सरकार बनाई। हालांकि 18 महीने बाद ही राजद से उनका मोहभंग हो गया और यह गठबंधन टूट गया। इसके बाद नीतीश ने एक बार फिर भाजपा की मदद से एनडीए में शामिल होकर बिहार में अपनी सरकार बनाई।