जनजीवन ब्यूरो / सहरसा : कोसी इलाके में बिहार बिधानसभा चुनाव के लिए 7 नवंबर को मतदान डाले जाएंगे। यह इलाका राजद का गढ़ माना जाता है। सहरसा जिले की चार विधानसभा सीटों सोनबरसा, सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर और महिषी है जिनमें से दो पर राजद का कब्जा है और दो पर जदयू का।
सहरसा विधानसभा क्षेत्र में इस बार नीतीश कुमार के खिलाफ नाराजगी है लेकिन एनडीए यहां इतना कमजोर नहीं है जितना कहा जा रहा है। लवली आनंद के सहरसा सीट से महागठबंधन के उम्मदीवार होने से सवर्ण खासकर राजपूत मतदाताओं के वोट बंटने की आशंका पैदा हो गई है और एनडीए कैंडिडेट आलोक रंजन को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। 2015 के चुनाव में इस सीट से आरजेडी के अरुण कुमार यादव ने जीत दर्ज की थी लेकिन इसबार तेजस्वी यादव ने अरुण का पत्ता काट दिया और दो दिन पहले पार्टी में शामिल होने वाली लवली को टिकट था दिया था।
सोनबरसा में बड़ी टक्कर
सोनबरसा सीट जेडीयू की परंपरागत सीट मानी जाती है और फिलवक्त यहां से रत्नेश सदा विधायक हैं। वह लगातार तीसरी बार यहां से खड़े हैं। 2010, 2015 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर उन्हें जीत मिली थी। इसमें कोई शक नहीं कि यहां जेडीयू भारी है लेकिन, एलजेपी के असर को कम करके नहीं आंका जा सकता है। इस बार भी एलजेपी ने इस सीट से सरिता देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस ने तरनी ऋषिदेव को खड़ा किया है। इसमें कोई शक नहीं है कि एलजेपी जेडीयू को कुछ नुकसाना पहुंचाएगी। ऐसे में यहां त्रिकोणीय लड़ाई है। जरा सा ऊपर-नीचे हुआ तो फिर कोई भी जीत सकता है।’ बता दें कि 2010 से इस सीट पर जेडीयू का कब्जा है।
सिमरी बख्तियारपुर में एनडीए की साख दांव पर
सिमरी बख्तियारपुर सीट एनडीए के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। यहां से एनडीए के घटक विकासशील इंसान पार्टी के चीफ मुकेश सहनी चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 के उपचुनाव में इस सीट को आरजेडी ने जेडीयू से छीन लिया था। आरजेडी के जफर इस्लाम ने यहां से विजय हासिल की थी। इसे जेडीयू की परंपरागत सीट माना जाता था इस विधानसभा क्षेत्र से 2005 से ही जेडीयू के उम्मीदवार जीत रहे थे। हालांकि इस बार तेजस्वी ने यहां से यूसुफ सलाहूद्दीन और एलजेपीने संजय कुमार सिंह को खड़ा किया है। यह सीट एनडीए के लिए काफी मुश्किल लग रही है। यहां आरजेडी के परंपरागत वोटर यादव और मुस्लिमों की तादाद काफी ज्यादा है। सहनी के लिए यहां मुकाबला आसान नहीं होने वाला है।
महिषी में पूर्व अधिकारी बनेगा चैंपियन या फिर तीर चलेगा?
महिषी विधानसभा सीट पर रोचक मुकाबला होने की उम्मीद है। आरजेडी ने अपने 2015 के विजयी उम्मीदवार डॉ अब्दुल गफूर का टिकट काटकर पूर्व अधिकारी गौतम कृष्ण को अपना उम्मीदवार बनाया है। जेडीयू ने यहां से गुंजेश्वर शाह को खड़ा किया है। खास बात ये है कि गफूर इस सीट से 4 बार चुनाव जीत चुके थे। एलजेपी ने यहां से अल्पसंख्यक अब्दुर रज्जाक को अपना उम्मीदवार बनाया है। ललितेश मिश्रा ने बताया कि यहां मुकाबला रोचक हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘दो अल्पसंख्यक उम्मीदवार होने का कारण यहां जेडीयू के लिए मौका बन सकता है। लेकिन, ये इसपर निर्भर करता है कि एलजेपी का उम्मीदवार अल्पसंख्यकों का कितना वोट अपने पाले में करने में सफल होता है।’