जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। किसानों के मुद्दे पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को एक और तगड़ा झटका लगा है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है। पार्टी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने इसकी घोषणा की है। बता दें कि पिछले दिनों बेनीवाल ने किसान आंदोलन के समर्थन में 26 दिसंबर को 2 लाख किसानों को लेकर राजस्थान से दिल्ली कूच करने का एलान किया था।
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इससे पहले किसानों के मुद्दे पर ही एनडीए के सहयोगी दल अकाली दल ने भी उसका साथ छोड़ दिया था। एनडीए के सभी सहयोगी दलों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, जो किसानों को कृषि कानून के लाभ समझाने का प्रयास कर रही है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली सिंघू बॉर्डर पर पिछले कई दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं।
इससे पहले बेनीवाल ने कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार के पास 303 सांसद हैं जिस वजह से वह कृषि कानूनों को वापस नहीं ले रही है। 1,200 किलोमीटर दूर राजस्थान के किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं। एनडीए में बने रहने के बारे में उन्होंने कहा कि हरियाणा बॉर्डर के शाहजहांपुर में बैठक के बाद एनडीए में रहने या छोड़ने पर फैसला लिया जाएगा।
कांग्रेस से नहीं कर रहे गठबंधन : बेनीवाल
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होने के एलान के बाद हनुमान बेनीवाल ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के समर्थन में एनडीए का साथ छोड़ा है। नए कृषि कानून किसान विरोधी हैं। एनडीए छोड़ा है इसका अर्थ यह नहीं कि हमारी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी।
बेनीवाल ने तीन संसदीय समितियों से दे दिया था इस्तीफा
बता दें कि बीती 19 दिसंबर को ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने किसानों के आंदोलन के समर्थन में तीन संसदीय समितियों से इस्तीफा दे दिया था। बेनीवाल ने अपना इस्तीफा पत्र लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजा था।
हालांकि बेनीवाल के इस्तीफे का प्रमुख कारण बाड़मेर में उन पर हुए हमले से जुड़े मामले में विशेषाधिकार हनन का मामला बना, जिसमें संसद के दखल के बाद भी एक साल तक मुकदमा दर्ज नहीं होना व कार्रवाई नहीं होना बताया।