जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले कांगेस की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने वाले जी-23 में शामिल वरिष्ठ कांग्रेसी नेता आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के साथ पार्टी के गठबंधन को लेकर सवाल उठाए हैं। शर्मा ने कहा कि गठबंधन का यह फैसला पार्टी की विचारधारा के विपरीत है। वरिष्ठक नेता और असंतुष्टं खेमे से संबद्ध आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल चुनाव में कांग्रेस की रणनीति पर सवालिया निशान लगाया है। आनंद शर्मा ने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ ‘जंग’ में कांग्रेस ‘सिलेक्टिव’ नहीं हो सकती।
सोमवार को ट्वीट कर आनंद शर्मा ने पश्चिम बंगाल में आईएसएफ के कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन में शामिल होने को लेकर सवाल उठाए हैं। शर्मा ने कहा, ‘आईएसएफ जैसी पार्टियों और ऐसी अन्य ताकतों के साथ गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा के विपरीत है।’ उन्होंने कहा कि यह फैसला पार्टी की आत्मा गांधीवादी और नेहरूवादी सेक्युलरिज्म के तरीके के विपरीत है। ऐसे फैसलों के लिए सेंट्रल वर्किंग कमिटी की मंजूरी की जरूरत होती है।
शर्मा ने आगे कहा, ‘ कांग्रेस सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने में सिलेक्टिव नहीं हो सकती। पार्टी को धर्म और रंग में भेद ना करते हुए सभी जगह सांप्रदायिकता का विरोध करना चाहिए। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष का इसको बढ़ावा देना दर्दनाक और शर्मनाक है। उन्हें इसपर सफाई देनी चाहिए।’
इस पर अधीर रंजन ने प्रतिउत्तबर में कहा कि उन्हों ने दिल्लीस स्थित लीडरशिप के ‘साइनऑफ’ के बिना कभी कोई डिसीजन नहीं लिया। चौधरी का कहना है कि ‘हम राज्यस के प्रभारी है और किसी भी मंजूरी के बिना अपनी तरफ से कोई फैसला नहीं करते।’
कांग्रेस का बंगाल की प्लालन, चीफ मिनिस्ट र ममता बनर्जी के विरोध के इर्दगिर्द केंद्रित है हालांकि ममता को कांग्रेस से बड़ी चुनौती बीजेपी से मिल रही है। कांग्रेस पार्टी, बंगाल में उन वामदलों के साथ है जो केरल के विधानसभा चुनाव में उसके सीधे प्रतिद्वंद्वी हैं। मिली रिपोर्टों के अनुसार, अधीर रंजन सहित बंगाल कांग्रेस के नेताओं ने मुस्लिम धर्मगुरु अब्बामस सिद्दीकी के नेतृत्वा वाले ISF के साथ गठजोड़ को लेकर आशंकाएं जताई हैं। अब्बाास अपने समर्थकों में ‘भाईजान’ के नाम से लोकप्रिय हैं। अपनी धामिक तकरीरों में वे विवादास्पीद कमेंट के लिए ‘कुख्यात’ हैं। हालांकि वामदलों ने इस बात से इनकार किया है कि अब्बाबस सिद्दीकीसंगठन ISF सांप्रदायिक है।
पीरजादा अब्बास सिद्दीकी पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के फुरफुरा शरीफ के प्रभावशाली मौलवी माने जाते हैं। कुछ वक्त पहले तक पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के करीबी रहे सिद्दीकी ने हाल ही में नई पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) बनाई है। इस पार्टी के शुरुआत में असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की खबरें आई थीं, लेकिन पिछले हफ्ते ही आईएसएफ ने लेफ्ट-कांग्रेस के गठबंधन में शामिल होने का ऐलान किया है।
हाल के कुछ महीनों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कई मौकों पर सार्वजनिक तौर पर पार्टी नेतृत्व के फैसलों पर सवाल खड़े कर चुके हैं। 2 दिन पहले ही बगावती तेवर अपनाने वाले जी-23 ग्रुप के नेता जम्मू में एक कार्यक्रम में जुटे थे। इस कार्यक्रम में सभी नेताओं ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी लगातार कमजोर हो रही है।
कार्यक्रम में आनंद शर्मा ने अप्रत्यक्ष रूप पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा था कि हममें से कोई खिड़की-रोशनदान से नहीं आया है। हम सभी छात्र आंदोलन और युवक आंदोलन से आए हैं। उन्होंने कहा था कि हमें कोई यह नहीं बता सकता कि हम कांग्रेसी हैं या नहीं। उन्होंने इस कार्यक्रम में कहा था कि पिछले 10 सालों में कांग्रेस कमजोर हुई है। कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, राज बब्बर, मनीष तिवारी समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने इस कार्यक्रम में कांग्रेस की वर्तमान हालत को लेकर पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा था।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर खलबली मचा दी थी। इस पत्र में कांग्रेस में पूर्णकालिक अध्यक्ष की नियुक्ति और संगठन के चुनाव कराने की मांग की गई थी। बाद में सोनिया गांधी ने असंतुष्ट नेताओं के साथ बैठक भी की थी।