अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । राजस्थान देश का पहला राज्य बनने जा रहा है जो इंटर स्टेट इलेक्ट्रिक बस चलाएगा। राज्य में पर्यटन की अपार संभावना है और लोग आरामदायक सवारी की यात्रा करना बेहद पसंद करते हैं। राज्य की अशोक गहलोत सरकार न सिर्फ पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगी आग से राज्य की जनता को बचाने का प्रयास करने जा रही है बल्की प्रदूषण की मार से भी लोगों को बचाएगी। दुनिया में डेनमार्क का कोपेनहेगन शहर पर्यावरण के अनुकूल शहरों की सूची में नंबर वन पर पहुंच गया है। सरकार के इस पहल से माना जा रहा है कि जयपुर 2025 तक कार्बन डाईऑक्साइड मुक्त हो जाएगा। नई दिल्ली स्थित रेसिडेंट कमीशनर रोली सिंह गहलोत सरकार के इस पहल को साकार करने के लिए पूरी ताकत लगाई हुईं हैं।
राजस्थान के रणथंभोर, सरिस्का, जयपुर, जोधपुर, गंगानगर जैसे कई अन्य जगहों का सैर सपाटा पूरी दुनिया के लोग करते हैं। ऐतिहासिक शहरों के कारण राज्य में पर्यटन एक उद्योग का रुप ले चुका है। लेकिन कोरोना काल में इंटर स्टेट बसों का परिचालन बंद कर दिया गया था। जिसके कारण राज्य के राजस्व पर भारी असर पड़ा। साथ ही पेट्रोल डीजल की कीमत में भारी बढ़ोत्तरी के कारण बसों का परिचालन काफी महंगा साबित हो रहा है। फिलहाल इस मार्ग पर करीब 80 वाल्वो बसों का संचालन हो रहा है। लेकिन राज्य सरकार इस मार्ग पर लगभग 50 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की ओर अग्रसर है। रेसिडेंट कमीशनर रोली सिंह का कहना है कि इलेक्ट्रीक बसों के परिचालन से ना सिर्फ प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है बल्कि लोगों को सस्ती यात्रा उपलब्ध करवाया जा सकता है। इतना ही नहीं फिलहाल राजस्थान रोडवेज की जो बसें दिल्ली शहर के अंदर बीकानेर हाउस तक नहीं जा पा रही हैं, इलेक्टीक बसें आने से रोडवेज बसें वहां से संचालित हो सकेंगी।
सबसे खासबात यह है कि इलेक्ट्रिक बसों के आने से लोगों का खर्च घटेगा और सहूलियत होगी। इससे दुर्घटनाएं भी कम होंगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
केंद्र सरकार ने देश के 64 शहरों के लिये 5,595 इलेक्ट्रिक बसों की मंजूरी दी है। इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से बढ़ावा देने की फेम योजना के दूसरे चरण के तहत लायी जा रही इन बसों को शहरों के भीतर और शहरों के बीच चलाया जाएगा।
नीति आयोग के अनुसार जिन शहरों को इलेक्ट्रिक बसों के लिये चुना गया है राजस्थान के जयपुर, आंध्र प्रदेश के विशाखापट्नम में 100, विजयवाडा, अमरावती, तिरुपति और ककिनाडा में 50-50 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। असम में 100 बसें, बिहार की राजधानी पटना में 25 बसें, छत्तीसगढ़ के रायपुर में 50 बसें, दादर और नागर हवेली क्षेत्र में 25 बसें, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 300 बसें, गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा समेत राजकोट में 550 बसें चलाई जाएंगी। इधर दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम में 50 बसें और हिमाचर प्रदेश में 100 बसें चलाई जाएंगी।
जम्मू-कश्मीर में 150 बसें, कर्नाटक में 350 बसें और केरल में 250 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक बसें मुंबई में चलाई जाएंगी। मुंबई के बीईएसटी मुंबई, पुणे, नवी मुंबई, नागपुर, नासिक और सोलापुर में सबसे ज्यादा 725 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। मध्य प्रदेश में 340 बसें, ओडिशा में 50, राजस्थान की राजधानी जयपुर में 100 बसें चलाई जाएंगी। इधर तेलंगाना में 325 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना है। तमिलनाडु में 525, त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में 50, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 30 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। अगर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो 600 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। पश्चिम बंगाल में 100 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना है।
ये इलेक्ट्रिक बसें 4 सौ करोड़ किलोमीटर के परिचालन के साथ ही 120 करोड़ लीटर ईंधन की बचत करेंगी। इलेक्ट्रिक बसों के परिचालन से कार्बन उत्सर्जन को भी कम किया जाएगा।
रोली सिंह का कहना है कि जयपुर- दिल्ली रुट पर इलेक्ट्रीक बसों के परिचालन के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। साथ ही इंटर स्टेट परिचालन के लिए दिल्ली सरकार के साथ आवश्यक मसौदे भी हल किए जा रहे हैं।