जनजीवन ब्यूरो / कोलकाता । ममता बनर्जी ने विधानसभा की कुल 294 सीटों में से 291 के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। दार्जिलिंग की 3 शेष सीटों पर तृणमूल कांग्रेस के सहयोगी दल चुनाव लड़ेंगे। इस मौके पर ममता ने कह कि मैं नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ूंगी, जबकि शोभनदेब चट्टोपाध्याय भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हमने कला, खेल, मीडिया और संस्कृति के क्षेत्रों से प्रतिष्ठित हस्तियों को टिकट दिये हैं। जानकारी के अनुसार तृणमूल कांग्रेस के 23-24 मौजूदा विधायकों को उम्र और अन्य कारणों से इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतारा गया है। ममता ने कहा कि मुझ पर विश्वास रखो, केवल तृणमूल कांग्रेस बंगाल को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।
कोलकाता में शोभनदेब की जेंटलमैन छवि
ममता बनर्जी ने अपने करीबी शोभनदेब चट्टोपाध्याय को भवानीपुर सीट पर क्यों उतारा है। इस पर बंगाल की सियासत को करीब से जानने वाले बताते हैं कि वह राज्य के बिजली मंत्री हैं। साथ ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बहुत खास हैं। नारदा, सारदा किसी भी मामले में इनका नाम नहीं आया है। बेहद साफ-सुथरी छवि है। साथ ही टीएमसी की स्थापना के समय से वह ममता बनर्जी के साथ हैं। कोलकाता शहर में उनकी छवि जेंटलमैन के रूप में है। साथ ही वह बंगाली ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। आम जनता के बीच उनकी अच्छी इमेज है। इसके अलावा वह जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं।’
65 प्रतिशत गैर बंगाली वोटर, भवानीपुर में दीदी का घर
ममता बनर्जी की भवानीपुर सीट के बारे में वीके शर्मा ने बताया, ‘159-भवानीपुर विधानसभा सीट पर करीब 65 प्रतिशत गैर बंगाली वोटर हैं। गुजराती, मारवाड़ी और दूसरे समुदाय के लोग इस निर्वाचन क्षेत्र में ज्यादा हैं। जग्गू बाबू बाजार और अलीपुर जैसे इलाके इस सीट के दायरे में आते हैं। यहां हिंदी बोलने वाले लोगों की तादाद ज्यादा है। इसके साथ ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिस जगह रहते थे, वह नेताजी भवन भी इसी इलाके में आता है। इस सीट पर राज्यसभा सदस्य स्वप्न दास गुप्ता का नाम बीजेपी की ओर से चल रहा है। साथ ही इसी इलाके में कालीघाट के 73 नंबर वॉर्ड स्थित हरीश चटर्जी रोड पर ममता बनर्जी का अपना घर है। वह रमेश मित्रा इंस्टिट्यूट पोलिंग बूथ पर चुनाव में वोट देती रही हैं।’
ममता ने क्यों बदली भवानीपुर सीट?
माना जा रहा है कि सुवेंदु अधिकारी को संदेश देने के लिए ममता बनर्जी ने नंदीग्राम का रुख किया हैं। साथ ही वह ये मेसेज भी देना चाहती हैं कि टीएमसी की पकड़ शहर के साथ-साथ गांव-गांव में है। इसलिए उन्होंने अपनी पुरानी शहरी सीट की जगह पर नंदीग्राम को चुना है। ममता दक्षिणी कोलकाता के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार चुनाव लड़ चुकी हैं। 2011 के उप-चुनाव में यहां डाले गए कुल मतों का 77.6% ममता के हिस्से में आया था। वह 50,000 से भी ज्यादा वोटों के अंतर से जीती थीं, लेकिन अगली बार 2016 के चुनाव में हिस्सेदारी काफी घट गई। पिछली बार उन्हें कुल पड़े मतों का सिर्फ 48% मिला। यानी, साफ है कि इस इलाके में ममता का जनाधार कम हुआ है। इसकी एक वजह यह है कि ममता बनर्जी अक्सर बाहरी बनाम स्थानीय की बात करती हैं। इस वजह से भी गैर-बंगाली मतदाता उनसे दूर जाने लगे हैं।