जनजीवन ब्यूरो / दिल्ली : वरिष्ठ कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर राज्यसभा में दिल्ली बार्डर पर जान गंवाने वाले किसानों के नाम शोक संदेश में शामिल करने की मांग उठाई। सोमवार को 3 पूर्व सांसदों के निधन पर शोक प्रस्ताव के दौरान दीपेंद्र ने कहा कि किसान आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले किसानों व उनके परिवारों का अपमान सरकार कर रही है।
दीपेंद्र ने कहा, अगर सरकार शहीद किसानों के नाम शोक प्रस्ताव में शामिल नहीं करती तो उनके परिजनों के प्रति कम से कम संवेदना के दो शब्द तो कहे। सरकार की तरफ से कोई मंत्री ही शोक प्रकट करे लेकिन सरकार ने इस बात को भी स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा, अब वक्त है कि देश चर्चा के लिए सही मुद्दों का चुनाव करे। अब तक लगभग 300 किसान अपने प्राणों की आहुति दे चुके हैं। आखिर हम कब तक मूकदर्शक बने रहेंगे। सरकार के लिए आंदेालन में जान गंवाने वाले किसान और उनका परिवार ‘महत्वपूर्ण विषय’ नहीं होंगे, पर उनके (मेरे) लिए हैं।
उन्होंने कहा, मैं किसान का बेटा हूं और बहुत करीब से अपने भाइयों का संघर्ष देखा है। उनका दर्द महसूस किया है। मैं हर शहीद परिवार से मिलने और उनकी हरसंभव मदद के लिए कटिबद्ध हूं। कांग्रेस नेता ने कहा कि देश ने आखिरी कौन सा ऐसा आंदोलन देखा था, जहां 300 किसानों की शहादत पर भी सन्नाटा हेा। मीडिया चुप है और सरकार चुनावों में व्यस्त है। उन्होंने कहा कि इतिहास इन क्षणों को भी नहीं भूलेगा। उन चेहरों को कभी नहीं भूलेगा जो अन्नदाता की मृत्यु पर संवेदना तक व्यक्त नहीं कर सके।
राज्यसभा सांसद ने कहा कि बजट सत्र के पहले चरण में भी किसान आंदोलन में जान की कुर्बानी देने वाले 194 किसानों के नाम राष्ट्रपति अभिभाषण में शामिल करने की मांग उठाई थी और जान गंवाने वाले सभी किसानों के नाम भी सदन पटल पर रखे थे। उस समय भी सत्तापक्ष ने ध्वनिमत से इसे नकार दिया था और आज एक बार फिर राज्यसभा के शोक प्रस्ताव में किसानों के नाम शामिल करने और शोक जताने की मांग को ठुकरा दिया गया। इस कदम से देश के करोड़ों किसानों के दिलों को ठेस पहुंची है।