जनजीवन ब्यूरो / चंडीगढ़ : मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी-जेजेपी हरियाणा सरकार विधानसभा में बुधवार को अपना बहुमत साबित करने में सफल रही। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से भाजपा-जजपा सरकार के विरुद्ध पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। खट्टर सरकार के समर्थन में 55 विधायकों ने वोट किया। इससे पहले प्रस्ताव पर बहस के दौरान सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि वह तो चाहते हैं कि विपक्ष हर 6 महीने के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाये। किसानों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के लिये बहुत काम किया है।
इससे पूर्व प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद सुबह अध्यक्ष ने मंत्रिमंडल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार किया था। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, “मुझे नेता प्रतिपक्ष (भूपेंद्र सिंह हुड्डा) और कांग्रेस के 27 अन्य विधायकों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव प्राप्त हुआ है।” अध्यक्ष ने नोटिस को स्वीकार किया। हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाले हरियाणा मंत्रिमंडल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। 90 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में सदस्यों की कुल संख्या 88 है, जिसमें सत्तारूढ़ भाजपा के 40 सदस्य, जजपा के 10 और कांग्रेस के 30 सदस्य हैं। 7 निर्दलीय विधायक हैं और एक सदस्य हरियाणा लोकहित पार्टी का है, जिसने सरकार को अपना समर्थन दिया हुआ है। इससे पहले हुड्डा ने संवाददाताओं से कहा था, ‘अविश्वास प्रस्ताव से लोगों को पता चलेगा कि कितने विधायक सरकार के साथ हैं और कितने विधायक किसानों के साथ खड़े हैं।’
हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाले हरियाणा मंत्रिमंडल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हुए सदन में कहा कि राज्य सरकार ने लोगों का विश्वास खो दिया है। हुड्डा ने अध्यक्ष से अनुरोध किया कि अविश्वास प्रस्ताव पर गोपनीय मतदान की अनुमति दी जाए। केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों का मुद्दा सबसे पहले उठाते हुए हुड्डा ने कहा कि स्थिति ऐसी है कि सत्ताधारी पार्टी के विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों में भी नहीं जा सकते। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हुड्डा ने कहा, “इस सरकार ने लोगों का विश्वास खो दिया है। उनके विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्रों में भी नहीं जा सकते।” किसानों के मुद्दे पर हुड्डा ने मांग रखी कि हरियाणा विधानसभा की श्रद्धांजलि सूची में उन 250 किसानों का नाम शामिल किया जाए जिनकी आंदोलन के दौरान मौत हो गई। उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार ने नवंबर में किसानों को रोका, उनके विरुद्ध पानी की बौछार का इस्तेमाल किया और वे दिल्ली की ओर न जा सकें इसलिए सड़कें तक खोद दी गईं। हुड्डा ने कहा, “सरकार को यह पता होना चाहिए कि वह इन तरीकों का इस्तेमाल कर किसानों के मनोबल को तोड़ नहीं सकती।”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता रघुवीर सिंह कादयान ने कहा कि इस अविश्वास प्रस्ताव से स्पष्ट हो जाएगा कि कौन किसानों के साथ खड़ा है और कौन उनका विरोधी है। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की मां और जजपा की विधायक नैना चौटाला की ओर इशारा करते हुए कादयान ने कहा कि उन्हें किसानों के समर्थन में “झांसी की रानी” की तरह खड़ा होना चाहिए और अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करना चाहिए। हरियाणा के शिक्षा और संसदीय कार्यमंत्री कंवर पाल सिंह ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि वे किसानों को भ्रमित कर रहे हैं और उनके नाम पर राजनीति कर रहे हैं। सिंह ने सरकार द्वारा किसानों के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताया। निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत ने सरकार का समर्थन करते हुए कांग्रेस की आलोचना की।