अमलेंदु भूषण खां
नई दिल्ली। कोरोना कहर के बीच डीआरडीओ ने भारतीय दवा- 2डीजी बनाकर करोड़ों लोगों में उम्मीद की किरण बिखेर दी है। इस तरह से दूसरे लहर से जूझ रहे भारत के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। डीआरडीओ की एक लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज द्वारा डॉक्टर रेड्डी की लैब के साथ मिलकर बनाई गई कोरोना की ओरल दवा- 2- डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज को भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई है। दवा के क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे बताते हैं कि यह दवा अस्पताल में मौजूद कोरोना के मरीजों की जल्दी रिकवरी में सहायक है और इसी के साथ ही यह दवा मरीजों की ऑक्सीजन की जरूरत को भी कम करती है। कोरोना संक्रमित मरीज के लिए यह एक वैकल्पिक इलाज होगा। जिन मरीजों पर इस दवा का इस्तेमाल किया गया, उनकी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आई।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस महामारी मे कोरोना वायरस से जूझ रहे लोगों के लिए यह दवाई काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। कोरोना कहर को देखते हुए डीआरडीओ ने कोरोना की दवा- 2-डीजी बनाने का कदम उठाया। अप्रैल 2020 में, महामारी की पहली लहर के दौरान डीआरडीओ- इनमास वैज्ञानिकों ने हैदराबाद के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) की मदद से प्रयोगशाला में प्रयोग किए गए और पाया कि यह अणु सारस सीओवी-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करता है और वायरस की वृद्धि को रोकता है। इन परिणामों के आधार पर डीजीसीआईने मई,2020 में इस दवा के दूसरे चरण के ट्रायल करने की मंजूरी दी थी।
डीआरडीओ ने अपने उद्योग भागीदार डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल, हैदराबाद) के साथ मिलकर कोविड -19 रोगियों में दवा की सुरक्षा और प्रभावकारिता का परीक्षण शुरू किया। इसके बाद कई चरणों में कई कोविड के मरीजों पर परीक्षण कर पाया गया है कि दवा पूरी तरह से कारगर है और इसे आपात स्थिति में मंजूरी दी जा सकती है। हलांकि शोधकर्ता अभी भी इस दवा को और भी बेहतर करने में जुटे हुए है।
बॉक्स-1
राजस्थान समेत कई राज्यों के करीब 27 अस्पतालों मे हुआ ट्रायल
दिसंबर 2020 से मार्च 2021 तक 220 कोरोना मरीजों पर तीसरे फेज का ट्रायल किया गया। ये ट्रायल दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 अस्पतालों में किया गया। ट्रायल के दौरान तीसरे दिन मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता 42 प्रतिशत से घटकर 31 प्रतिशत हो गई। खास बात यह है कि 65 साल से ज्यादा उम्र के मरीजों पर भी दवा का पॉजिटिव रिस्पॉन्स दिखा।
पानी में घोलकर दी जाती है दवा
दवा पाउडर के रूप में मिलती है। इसे पानी में घोलकर मरीज को पिलाना होता है। ये दवा सीधे उन कोशिकाओं तक पहुंचती है जहां संक्रमण होता है और वायरस को बढ़ने से रोक देती है। लैब टेस्टिंग में पता चला कि ये कोरोना वायरस के खिलाफ काफी प्रभावी है। डीआरडीओ ने बयान जारी कर कहा है कि इसका उत्पादन भारी मात्रा में आसानी से किया जा सकता है।