अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली : दो बूंद जिंदगी का नारा काफी असरदार रहा है और पूरी दुनिया से पोलियो जैसी बीमारी से लोगों को बचाया जा सका है. ठीक उसी तरह अब चार बूंद जिंदगी के लिए की कवायद जल्द ही शुरू होने वाली है. इन चार बूंदों से कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी समाप्त हो जाएगी . खासबात यह है कि ये चार बूंद मुंह में नहीं नाक में डाले जाएंगे. यानि नाक से वैक्सीन. वह भी सिंगल डोज ही असरदार हो सकती है.
कोरोना की खतरनाक दूसरी लहर के बीच यह राहत देने वाली खबर सामने आ रही है. भारत बायोटेक के वैज्ञानिक इस पर शोध पर काम कर रहे हैं और यह आखिरी चरण में है. नेजल वैक्सीन अगर सफल हो जाती है तो यह हमारे लिए एक ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 के अधिकांश मामलों में यह पाया गया है कि कोरोना वायरस म्यूकोसा के माध्यम से शरीर मे प्रवेश करता है और म्यूकोसल मेमब्रेन में मौजूद कोशिकाओं और अणुओं को इन्फेक्टेड करता है. अगर हम नाक के माध्यम से वैक्सीन देंगे तो यह काफी प्रभावी हो सकती है. इसीलिए दुनिया भर में नेजल यानी नाक के जरिए भी इस वैक्सीन को देने के विकल्प के बारे में सोचा जा रहा है.
तीन ग्रुप में बांटकर 175 लोगों दी गई है नेजल वैक्सीन
अप्रैल में ही हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी की इंट्रानेजल वैक्सीन, BBV154 के पहले चरण के परीक्षण की मंजूरी मिल चुकी है. यह मंजूरी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई है. क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री के अनुसार, 175 लोगों को नेजल वैक्सीन दी गई है. इन्हें तीन ग्रुप में बांटा गया है. पहले और दूसरे ग्रुप में 70 वालंटियर रखे गए हैं और तीसरे में 35 वालंटियर रखे गए हैं. पहले ग्रुप को सिंगल डोज वैक्सीन पहली विजिट पर दी जाएगी और प्लेसिबो 28वें दिन पर. वहीं दूसरे ग्रुप को दो डोज, पहले दिन और 28वें दिन इंट्रानेजल वैक्सीन की दी जाएगी. वहीं, तीसरे ग्रुप को पहले दिन और 28वें दिन या तो प्लेसिबो दिया जाएगा या फिर इंट्रानेजल वैक्सीन ही दी जाएगी.
भारत बायोटेक के एम.डी. कृष्णा एल्ला ने कहा कि इंजेक्टेबल टीके केवल निचले फेफड़ों तक की रक्षा करते हैं, ऊपरी फेफड़े और नाक की रक्षा नहीं की जाती है. वह कहते हैं, ‘यदि आप नेजल वैक्सीन की एक खुराक भी लेते हैं तो आप संक्रमण को रोक सकते हैं. इससे आप ट्रांसमिशन चेन को तोड़ पाएंगे. इसलिए केवल चार बूंद लेनी होगी. यह ठीक पोलियो की तरह, एक नथुने में 2 और दूसरे में 2 ड्रॉप. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल के अनुसार, नेजल वैक्सीन सफल होने पर यह हमारे लिए एक ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकती है, क्योंकि इसे आप खुद भी ले सकते हैं.
जानिए क्या-क्या फायदे हैं नेजल वैक्सीन के
- इंजेक्शन से वैक्सीन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी
- नाक के अंदरूनी हिस्सों में इम्यून तैयार होने से सांस से संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा.
- इंजेक्शन से वैक्सीन नहीं लगेगी तो हेल्थवर्कर्स को ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी.
- इसका उत्पादन आसान होगा, जिससे वैक्सीन वेस्टेज की संभावना घटेगी.
- इसे अपने साथ कहीं भी ले जा सकेंगे, स्टोरेज की समस्या कम होगी.
वैक्सीन को लगाने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं. कुछ वैक्सीन इंजेक्शन के जरिए दी जाती हैं तो कुछ ओरल दी जाती हैं, जैसे पोलियो और रोटावायरस वैक्सीन वहीं कुछ वैक्सीन नाक के जरिए भी दी जाती हैं. इंजेक्टेड वैक्सीन को सुई की मदद से हमारी त्वचा पर इंजेक्ट कर लगाया जाता है. वहीं नेजल वैक्सीन को हाथों से या मुंह के जरिए नहीं नाक के जरिए दिया जाता है. इसके माध्यम से म्यूकोसल मेम्ब्रेन में मौजूद वायरस को निशाना बनाया जाता है. वहीं, इंट्रामस्क्युलर टीके या इंजेक्शन, म्यूकोसा से ऐसी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने में सफल नहीं हो पाते हैं और शरीर के अन्य भागों से प्रतिरक्षा पर निर्भर करते हैं.