अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । अस्पतालों में फैली गंदगी व अनाप शनाप कंपनी के बनाए आक्सीजन कंसेंट्रेटर के उपयोग के कारण देश आज ब्लैक फंगस महामारी से जूझ रहा है. एम्स के न्यूरो साइंस सेंटर प्रमुख प्रो. एम वी पद्मा श्रीवास्तव का कहना है कि कई ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की पाइप हाइजेनिक नहीं होती है. जिसके कारण गंदगी पाइप के द्वारा शरीर के अंदर चली जाती है. उनका कहना है कि इसपर रिसर्च करने के बाद ही साफ हो पाएगा. अपोलो अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डाॅ.सुरेश सिंह नरूका का कहना है कि छोटे स्तर के अस्पतालों में साफ सफाई की कमी रहती है। ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली पाइप में गंदगी रहने से भी लोग ब्लैक फंगस के शिकार हो रहे हैं।
निर्धारित मानकों के अनुसार आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर नहीं होने और आक्सीजन कंसंट्रेटर के उपयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार उपयोग नहीं करने से ब्लेक फंगस जैसे संभावित संक्रमण होने की संभावना अधिक हो जाती है और इससे रोगी को लाभ होने के स्थान पर गंभीर संक्रमण की स्थिति होने के हालात भी कई बार बन जाते हैं. कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के दौरान आक्सीजन की आवश्यकता को देखते हुए लोगों द्वारा घरेलू उपयोग के लिए भी आक्सीजन कंसंट्रेटरों की खरीद की जा रही है. आक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदते समय उसके साथ उपयोग मेन्यूअल, मेंटिनेंस मेन्यूअल, डिस्पले बोर्ड, फिल्टर बोटल, डिस्टिल बोटल आदि आवश्यक सभी उपकरण व जानकारी से संबंधित सामग्री होना जरुरी है.
ब्लैक फंगस के बढते मामले के कारण जहां राजस्थान सरकार ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर चुकी है. जबकि महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे स्वीकार रहे हैं कि राज्य में 90 लोगों की मौत हो चुकी है और 1500 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.
कोरोना से बचने के लिए लोग मास्क पहनते हैं लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि गलत मास्क आपकी जिंदगी के लिए घातक भी साबित हो सकता है. एम्स के न्यूरो साइंस सेंटर प्रमुख प्रो. एम वी पद्मा श्रीवास्तव का कहना है कि गंदे व गीले मास्क हाइजेनिक नहीं होते हैं. ऐसे मास्क पहनने से बैक्टीरिया व वायरस शरीर के अंदर चला जाता है जो ब्लैक फंगस जैसी बीमारी को पैदा करता है.
उनका कहना है कि दुनियाभर में भारत डायबिटिक केंद्र बना हुआ है. मधुमेह रोगी जब कोरोना की चपेट में आते हैं तो कई डाॅक्टर स्टेरोइड का उपयोग करने लगते हैं. यह बात सही है कि स्टेरोइड मधुमेह रोगी के लिए लाभदायक है लेकिन इसका उपयोग सही समय पर देनी चाहिए. साथ ही इसकी मात्रा व समय का भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
प्रो. पद्मा का कहना है कि लोग एंटीबायोटिक दवाइयों का भी दुरूपयोग कर रहे हैं जिसके कारण ब्लैक फंगस बढ रहा है.
डाॅ. सुरेश का कहना है कि सीलन भरे कमरे व गंदगी भरे कमरे में कोरोना के मरोजों को रखने से भी ब्लैक फंगस मरीजों को अपनी चपेट में ले लेता है.
म्यूकॉरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा मामले गुजरात में सामने आए हैं. इसके अलावा यह महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा भी पहुंच चुका है.
ब्लैक फंगस सबसे ज्यादा उन पर घातक साबित हो रहा है जो कि कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं और उन्हेंं डायबिटीज यानी मधुमेह है. ब्लैक फंगस ऐसे लोगों के फेफड़ों, आंखों और दिमाग पर असर डाल रहा है और यह उनकी जान पर भारी पड़ रहा है. इसके प्रभाव से लोगों की आंखों में रोशनी भी खत्म हो रही है. यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. इससे शरीर के कई अंग बेहद प्रभावित हो सकते हैं।
म्यूकरमायकोसिस (Mucormycosis) क्या है?
म्यूकरमायकोसिस (ब्लैक फंगस या काली फफूंद) एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. ये म्यूकर फफूंद के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के अनुसार, अब कोविड-19 के कई मरीजों में फंगस इंफेक्शन की शिकायत देखी गई है. इस फंगस इंफेक्शन को ब्लैक फंगस (Black Fungus) यानी म्यूकरमाइकोसिस कहते हैं. ये फंगस (फफूंद) अक्सर गीले सरफेस पर ही होती है.
क्या है ब्लैक फंगस के लक्षण?
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस की पहचान इसके लक्षणों (Black Fungus Symptoms) से की जा सकती है. इसमें नाक बंद हो जाना, नाक व आंख के आस-पास दर्द व लाल होना, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस फूलना, खून की उल्टियां, मानसिक रूप से अस्वस्थ होना और कंफ्यूजन की स्थिति शामिल हैं. यह कोरोना वायरस के उन मरीजों पर सबसे ज्यादा अटैक कर रहा है, जिनको शुगर की बीमारी है. यह इतनी गंभीर बीमारी है कि मरीजों को सीधा आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है.
कोरोना मरीज इन बातों का रखें ख्याल
आईसीएमआर (ICMR) के अनुसार, कोरोना वायरस से ठीक हो चुके लोगों को हाइपरग्लाइसिमिया पर नियंत्रण करना जरूरी है. इसके अलावा डायबिटिक मरीजों को ब्लड ग्लूकोज लेवल चेक करते रहना चाहिए. स्टेरॉयड लेते वक्त सही समय, सही डोज और अवधि का ध्यान रखें. ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ पानी का इस्तेमाल करें. अगर मरीज एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमें भी सावधानी बरतने की जरूरत है.
मरीज भूल कर भी ना करें ये काम
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने बताया है कि ब्लैक फंगस (Black Fungus) के किसी भी लक्षण को हल्के में ना लें. कोविड के इलाज के बाद नाक बंद होने को बैक्टीरियल साइनसिटिस नहीं मानें और लक्षण के नजर आने पर तुरंत जरूरी जांच कराएं. म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस का इलाज अपने आप करने की कोशिश ना करें और ना ही इसमे समय बर्बाद करें.