डाॅ. एम रहमतुल्लाह / नई दिल्ली। अस्पतालों में फैली गंदगी व अनाप शनाप कंपनी के बनाए आक्सीजन कंसेंट्रेटर के उपयोग के कारण देश आज ब्लैक फंगस महामारी से जूझ रहा है। मेडिसिन में पीएचडी प्राप्त और सरकारी एवं निजी अस्पताल में करीब 40 साल का अनुभव प्राप्त वरिष्ठ चिकित्सक डा. मुकुंद नारायण झा का कहना है कि आक्सीजन कंसेंट्रेटर में डिसटिल्ड वाटर, कनटेनर की प्रतिदिन सफाई, कोरटिसोन दवा का समुचित उपयोग और मास्क की प्रतिदिन घुलाई करके बढ़ते ब्लैक फंगस मरीजों की संख्या पर काबू पाया जा सकता है।
अनुभव के 30 साल से ग्रामीण इलाकें के मरीजों का सेवा कर रहें डा. झा का कहना है कि कई ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की पाइप हाइजेनिक नहीं होती है। जिसके कारण गंदगी पाइप के द्वारा शरीर के अंदर चली जाती है। उनका कहना है कि निर्धारित मानकों के अनुसार आक्सीजन कन्सेन्ट्रेटर नहीं होने और आक्सीजन कंसंट्रेटर के उपयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार उपयोग नहीं करने से ब्लैक फंगस जैसे संभावित संक्रमण होने की संभावना अधिक हो जाती है और इससे रोगी को लाभ होने के स्थान पर गंभीर संक्रमण की स्थिति होने के हालात भी कई बार बन जाते हैं। जहां तक मरीजों के डाईबिटीज होने की बात है, वह ब्लैक फंगस क्या किसी भी बीमारी में शुगर को नियंत्रित होना आवश्यक होता है।
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर
डा. झा का कहना है कि आक्सीजन कंसंट्रेटर के उपयोग के दिशा में अस्पताल और मरीज को ऐहितियात बरतना आवश्यक होता है। जिसमें आक्सीजन कंसंट्रेटर में एक पानी आपूर्ति की पाईप होती है, जो मरीज के मुंह से लगा होता है। उस पाईप में उपयोग होनेवाली पानी डिसटिल्ड वाटर होनी चाहिए जो नहींं हो रही है। इसके अलावा आक्सीजन कंसंट्रेटर में लगे कनटेनर की धुलाई प्रतिदिन के आधार पर होनी चाहिए। बहरहाल आक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदते समय उसके साथ उपयोग मेन्यूअल, मेंटिनेंस मेन्यूअल, डिस्पले बोर्ड, फिल्टर बोटल, डिस्टिल बोटल आदि आवश्यक सभी उपकरण व जानकारी से संबंधित सामग्री होना जरुरी है।
कोरटिसोन दवा का समुचित उपयोग
डा. झा ने बताया कि अमूमन देखा जा रहा है कि कोरोना के मरीजों को लक्षण आते ही कोरटिसोन व संबंधित समूह की दवा शुरू कर दी जाती है और फिर लंबे समय तक इस दवा को मरीज को दिया जा रहा है। जो मरीज के लिए खतरनाक है। इस दवा की समुचित उपयोग न होने के कारण से ब्लैक फंगस की घटनाएं बढ़ रही है। जिसपर ऐहतिहात बरतकर ब्लैक फंगस की मरीजों की संख्या को रोका जा सकता है।
मास्क की धुलाई प्रतिदिन आवश्यक
कोरोना से बचने के लिए लोग मास्क पहनते हैं लेकिन कम ही लोगों को पता होगा कि गलत मास्क आपकी जिंदगी के लिए घातक भी साबित हो सकता है। डा़. झा का कहना है कि गंदे व गीले मास्क हाइजेनिक नहीं होते हैं। ऐसे मास्क पहनने से बैक्टीरिया व वायरस शरीर के अंदर चला जाता है जो ब्लैक फंगस जैसी बीमारी को पैदा करता है। इसके अलावा लगातार मुंह में मास्क लगाने से चलनेवाली सांस से मास्क में आद्रता बन जाती है। जिसके लिए आवश्यक होता है कि प्रतिदिन मास्क की घुलाई कर घूप में सूखाकर उपयोग में लाई जाए।