अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली : कोरोना बीमारी जब से आई है प्रत्येक दिन कुछ न कुछ नई परेशानियां बढा रही है. अभी तो कोरोना की दूसरी लहर ने देश में तबाही मचाई है. तीसरी लहर के बारे में सोचकर न सिर्फ आम आदमी परेशान हो जा रहे हैं बल्कि चिकित्सा समुदाय और सरकार की भी पसीने छूट रहे हैं. आशंका जताई जा रही है कि तीसरी लहर की चपेट में सबसे अधिक बच्चे आएंगे. तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी. इसकी झलक अभी से दिखने लगी है. जो बच्चे अबतक कोरोना की चपेट में आए हैं उनमें से कुछ बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्लामेट्री सिंड्रोम इन चिल्ड्रन (MIS-C) कोरोना से मुक्त होने के बाद पाए गए हैं.
पुणे स्थित Dr. D Y PATIL MEDICAL COLLEGE के बाल रोग विभागाध्यक्ष डाॅ.एस.आर.अगरखेडकर का कहना है कि अभीतक उनके पास मल्टी सिस्टम इन्फ्लामेट्री सिंड्रोम से ग्रसित बीस बच्चे इलाज के लिए आ चुके हैं.
कोविड के बाद मल्टी सिस्टम इन्फ्लामेट्री सिंड्रोम इन चिल्ड्रन (MIS-C) से कमोबेश शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है. खास कर खून की नली को सबसे अधिक प्रभावित करता है. जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. इसमें बच्चों को तेज बुखार आता है. 4-5 दिन तक बुखार कंट्रोल नहीं होता है. आंखों के अंदर लाली, दस्त के अलावा शरीर के सभी अंगों पर इसका प्रभाव दिखता है.
डाॅ . अगरखेडकर का कहना है कि कोरोना के बाद न्यूरोलाॅजिकल समस्याएं भी बच्चों में देखा गया है. आंख को ब्लड सप्लाइ करने वाली नसों में रूकावट आने के कारण कुछ बच्चे अंधता के शिकार भी हुए हैं जबकि कुछ अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते हैं.
उनका कहना है कोरोना होने के दो से चार हफ्ते के बीच यह लक्षण देखा जा रहा है. यह एक पोस्ट वायरल कॉम्प्लिकेशन है. समय पर बीमारी के पकड़ में आ जाने पर इलाज संभव है. इलाज के लिए इंट्रा वेनस इम्मयूनो ग्लोबलिन (IVIG) के अलावा स्टेरॉइड का इस्तेमाल किया जाता है. पहले भी ऐसी बीमारी देखी गयी है जिसे कावासाकी के नाम से जाना जाता था. MIS-C भी इसी बीमारी से मिलता जुलता है. इलाज भी कावासाकी से मिलता जुलता है.
12 साल से अधिक उम्र के बच्चों को करेगा
कोरोना की पहली लहर ने बुजुर्गों को प्रभावित किया. तो दूसरी लहर ने व्यस्क लोगों को प्रभावित किया. इसी से अनुमान लगाया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को ज्यादा प्रभावित करेगी. हालांकि चिकित्सक मानते हैं कि छोटे बच्चों को यह लहर ज्यादा गंभीर रूप से प्रभावित नहीं करेगी. 12 साल से अधिक उम्र के बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे. ACE-1 और ACE-2 रिसेप्टर कोशिका के अंदर होता है उसी के माध्यम से वायरस शरीर के अंदर जाता है.