जनजीवन ब्यूरो नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था को 5000 अरब डॉलर तक पहुंचाने का सपना दिखाने वाली सरकार के तहत पिछले सात वर्षों में बैंकों से 5000 अरब रुपये (पांच लाख करोड़ रुपये) की ठगी की गयी है. कांग्रेस ने भारतीय रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह दावा किया. कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ का आरोप था कि केंद्र सरकार बैंकों से जालसाजी को रोकने में क्यों विफल रही और ठगी की रकम की वसूली के लिए वह क्या कदम उठा रही है?
2020-21 में 1.38 लाख करोड़ रुपये की ठगी हुई
उन्होंने डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हाल ही में रिजर्व बैंक ने 2020-2021 के लिए अपनी रिपोर्ट जारी की है. इसमें अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को लेकर कई चौंकाने वाले आंकड़े वाले हैं. इनमें बैंकों से ठगी से जुड़े आंकड़े भी हैं. कांग्रेस नेता ने कहा, ‘बैंक ठगी के मामलों में 2014-2015 के बाद तेज वृद्धि हुई है. अकेले 2020-21 में 1.38 लाख करोड़ रुपये की ठगी की गयी है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया, ‘पिछले सात वर्षों में मोदी सरकार बैंकों के साथ ठगी रोकने में विफहल क्यों हो गयी? ठगी के सभी मामलों में रकम को वापस हासिल करने के लिए सरकार क्या कर रही है? बैंकिंग व्यवस्था को कमजोर करने ठगों से अब तक कितना पैसा अभी तक वसूला गया?
वल्लभ ने कहा, ”अगर यह राशि वसूल ली जाये. तो गरीब परिवारों को सालाना 72000 रुपये की मदद दी जा सकती है. देश में 500 एम्स खोले जा सकते हैं. आम लोगों को आयकर में बड़ी राहत मिल सकती है.
एक प्रश्न पर कि सबसे ज्यादा फ्रॉड किस बैंक से हुआ है? प्रो. गौरव वल्लभ ने कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से हुआ है . सबसे बड़ा अमाउंट वहीं से फ्रॉड हुआ, इस 5 लाख करोड़ का जो कुल फ्रॉड हुआ है, इसमें सबसे बड़ा अमाउंट उसी बैंक का है. तो पिछले सात सालों में 5 लाख करोड़ हुआ है। 2014-15 में 19,455 था, जो 2020-21 में बढ़कर 1 लाख 38 हजार 422 है। ध्यान रहे 2020-21 में 6 महीने तक का मोरेटोरियम था औऱ तीन महीने तक लोन रिस्ट्रक्चरिंग थी. उसके बावजूद ये फ्रॉड हुआ. तो कौन लोग हैं वो, जो बैकों को चूना लगाकर जा रहे हैं? कौन लोग हैं वो, जिनके कारण बैंक के जो फ्रॉड हैं, एवरेज फ्रॉड 4 करोड़ 20 लाख था, 2014-15 में, जो आज बढ़कर लगभग 20 करोड़ रुपए हो गया है? कौन लोग हैं वो? आप अपनी जिम्मेदारी से अब नहीं बच सकते, क्योंकि एवरेज टाइम लेग का भी रिजर्व बैंक ने हवाला दिया है कि जो 2020-21 के फ्रॉड हैं, वो 2018-19 के अंदर बैंकों में घुसे. 2020-21 के फ्रॉड हैं, वो 2017-18 के मध्य में बैंकों के अंदर घुसे और 2017-18 और 2018-19 में किसकी सरकार थी, वो सबको पता है.
गौरव ने कहा हम ये पूछ रहे हैं कि ये कौन लोग हैं, जो बैंकों को चूना लगाकर निरंतर जा रहे हैं? ये कौन लोग हैं, जो कि फ्रॉड के एवरेज को जो 4 करोड़ रुपए होता था, उसको 20 करोड़ किया? ये कौन लोग हैं, जब देश कोरोना से जूझ रहा है, जब 6 महीने का मोरेटोरियम है, उसके बावजूद 38 हजार 422 करोड़ रुपए का बैंकों को चूना लगाकर कौन लोग गए? तीन महीने तक रिस्ट्रक्चरिंग थी, फिर भी बैंकों से फ्रॉड हो रहा है, कौन हैं वो लोग? यही तो हम जानना चाहते हैं। अब एक्ट ऑफ गोड से काम नहीं चलेगा, एक्ट ऑफ प्रीवियस के पीछे भी जाकर आप अपनी नाकामियों को नहीं छुपा पाओगे, आपको आगे आकर बताना पड़ेगा कि क्यों ऐसा किया, किसके कहने से ऐसा किया, किसके कहने से ऐसा हुआ कि 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का सपना देखते-देखते देश के लोगों को 5 ट्रिलियन रुपए का फ्रॉड झेलना पड़ा? और ये 5 ट्रिलियन रुपए किसके हैं – ये उस हर टैक्स पेयर के पैसे हैं, जो समय पर अपना इंकम टैक्स देता है। ये हर उस व्यक्ति के पैसे हैं, जो जब भी कोई चीज खरीदता है, तो जीएसटी देता है। उसके पैसे लेकर कौन फरार हो रहा है? यही हम पूछ रहे हैं।
एक अन्य प्रश्न पर कि 100 करोड़ से ज्यादा राशि के टोटल फ्रॉड कितने हैं? दूसरे लगातार जो बैंक फ्रॉड होते जा रहे हैं, इसमें सरकार का डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रोल का आरोप आप लगाना चाहते हैं? प्रो. वल्लभ ने कहा कि नहीं, हम तो आपसे ये पूछ रहे हैं कि 19 हजार 455 रुपए का कुल फ्रॉड हुआ था 2014-15 में, जो 2020-21 में 1 लाख 38 हजार 422 करोड़ हो गया, कैसे हो गया? किसी की इंकम नहीं बढ़ी, दो जनों की इंकम जरुर इसी रफ्तार से बढ़ी। सिर्फ तीन चीजें हो रही हैं – 2 जनों की इंकम 57 प्रतिशत से ज्यादा से बढ़ रही होगी और ये बैंकों में वो फ्रॉड है, ये 57 प्रतिशत से बढ़ रहे हैं। अब 100 करोड़ से ऊपर के कितने हुए, इसका बाइफरकेशन रिजर्व बैंक ने नहीं दिया। पर मैं आपको एक ओपिनियन दे रहा हूं कि ये 5 लाख करोड़ में से 80 प्रतिशत तक, 70 से 80 प्रतिशत जो अमाउंट होगा, वो 100 करोड़ से ज्यादा के बड़े एक्सपोजर का होगा। रिजर्व बैंक ने इसका एक्सप्लनेशन अपनी एनुअल रिपोर्ट में नहीं दिया। उन्होंने तो ये कहा कि इस 5 ट्रिलियन रुपए का फ्रॉड पिछले सात सालों में हुआ। मैंने 2014-15 से लेकर 2020-21 की सारी एनुअल रिपोर्ट से वन बाय वन ये सारा डेटा संकलित किया, कलेक्ट किया, जो आपको प्रेस रिलीज के माध्यम से हमने आपको शेयर भी कर दिया। टोटल नंबर ऑफ फ्रॉड भी जो थे, वो 4,639 टोटल फ्रॉड हुए थे 2014-15 में। जो 2019-20 में इतने 1.85 लाख करोड की राशि तक पहुंच गए। एक तरफ तो देश में अर्थव्यवस्था निरंतर नीचे गिरती जा रही है और आप फ्रॉड बढ़ाते जा रहे हैं। ये किसका पैसा है, फ्रॉड से जिसका नुकसान बैंकों को फ्रॉड से हो रहा है? ये आपका, मेरा, हर हिंदुस्तानी का पैसा है, उस पैसे को कौन लोग लेकर जा रहे हैं, कहाँ लेकर जा रहे हैं? क्यों 2016-17, 2017-18, 2018-19, क्योंकि एवरेज टाइम लेग जो मैंने बताया 24 महीने और 23 महीने, उस दौरान किसकी सरकार थी – नरेन्द्र मोदी जी की सरकार थी। किसके कहने से वो लोन दिए गए, किसको लोन दिए गए? उस सारे का विवरण देना पड़ेगा। अब आप छुप नहीं सकते अपनी नाकामियों को लेकर। अब आप ये भी नहीं कह सकते कि ये लोन पहले दिए गए थे, क्योंकि उसी रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि टाइम लेग 24 और 23 महीने में हैं, 2020-21 के फ्रॉड के लिए 23 महीने और 2019-20 के फ्रॉड के लिए 24 महीने हैं। अर्थात् 2019-20 में जो फ्रॉड दिखाया जा रहा है, वो बैंकों में एंटर हुआ 2017-18 में। 2020-21 में जो 1 लाख 38 हजार 422 करोड़ का फ्रॉड करा, वो बैंकों में एंटर हुआ 2018-19 में, तो आप अब अपनी नाकामी से नहीं छुप सकते।
एक अन्य प्रश्न पर कि क्या आप ये कहना चाहते हैं कि इन फ्रॉड में सरकारी मदद मिल रही थी? प्रो. वल्लभ ने कहा कि अब सरकारी मदद, मैं आपको कह रहा हूं कुल अमाउंट ऑफ फ्रॉड क्यों बढ़ा, हम तो ये पूछ रहे हैं, कौन लोग हैं जो ये फ्रॉड करके भाग गए हैं या कौन लोग हैं जिनके कारण ये फ्रॉड हुआ है? कौन लोग हैं, जिनके कारण पिछले सात सालों में 5 लाख करोड़, 5 ट्रिलियन रुपए का फ्रॉड हुआ है? हम तो ये पूछ रहे हैं कि किसके कहने से हो रहा है ये, क्यों हो रहा है? और किसी के कहने से भी हो रहा है, इस फ्रॉड में अगर नुकसान होता है, तो हिंदुस्तान के लोगों का नुकसान होता है। क्योंकि 5 लाख करोड़ किसके पैसे डूबे, ये आपके, मेरे, हम सबके पैसे डुबे ना। ये हमारी जो परियोजनाएं है, हमारे डेवलपमेंट हैं, हमारे डायरेक्ट कैश ट्रांसफर में उपयोग में किए जा सकते थे। 5 लाख करोड़ रुपए में क्या अमाउंट होता है, हम 5 साल तक जो हमारा मनरेगा बजट है, अभी मनरेगा का बजट 5 लाख करोड़ रुपए से कम है, जो हमारे फ्रॉड में चला गया। तो ये सवाल महत्वपूर्ण है.
एक अन्य प्रश्न पर कि बहुत सारे पीएसयू घाटे में चल रही हैं, क्या किसी भी प्रकार के पीएसयूस को सरकार की तरफ से बैंको से कोई मदद मिली या नहीं, दूसरा, जितना आपने 5 लाख करोड़ की राशि बताई, इस राशि से और क्या-क्या हो सकता है, प्रो. वल्लभ ने कहा कि पांच लाख करोड़ में से आप जैसे, मेरे जैसे करोड़ो मध्यम आय वर्गीय, जो टैक्स देते हैं, इंकम टैक्स, वो एक साल तक हमें टैक्स से रीबेट हो सकती है। इतना अमाउंट होता है, क्योंकि पर्सनल जो टैक्स है, पर्सनल इंकम पर वो 5 लाख करोड़ के आस-पास है। मतलब पूरे देश को इंकम टैक्स जीरो इंकम टैक्स दिया जा सकता है, ये पांच लाख करोड़ रुपए अमाउंट होता है। 5 लाख करोड़ का वो अमाउंट है, जिससे कम से कम जो मौजूदा सरकार है, उसका 10 साल का मनरेगा का बजट लगभग 5 लाख करोड़ होता है। 5 लाख करोड़ में जो एम्स होता है, उसकी एवरेज कॉस्ट लगभग 1 हजार करोड़ होती है, तो 5 लाख करोड़ में लगभग 500 एम्स खोले जा सकते हैं देश में, ये रकम होती है, 5 लाख करोड़।
5 लाख करोड़ में हम देश में जो जरुरी सामानों पर, किसान की जो फर्टिलाइजर है, उसके उपकरण हैं, उस पर जीएसटी लगाकर वसूल रहे हैं, उसको जीरो कर सकते हैं, 5 लाख करोड़ इतना अमाउंट होता है, जो पेट्रोल और डीजल के जो रेट हैं, और 95 रुपए प्रति लीटर पर देश के कई भागों में पहुंच चुकी है, उसको वापस आप 50 रुपए और 8 रुपए प्रति लीटर पर सकते हो, इतना अमाउंट होता है, 5 लाख करोड़ का।
आपके फ्रॉड हो जाते हैं, पिछले 7 साल में और टाइम लैग बड़ा सिंपल सवाल है, क्योंकि काश पहले बच जाती, या आर्गूमेंट देकर आ रहे हैं, ये तो पहले हुए थे, आज उजागर हुए हैं, हुए पहले थे। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि 2019-20 में जो फ्रॉड हुए, कितने हुए- 1 लाख, 85 हजार करोड़ और 2020-21 में जो फ्रॉड हुए, 1 लाख, 32 हजार करोड़, अगर हम इन दोनों को जोड़ें तो लगभग सवा तीन लाख करोड़। इन पांच ट्रिलियन में से, सवा तीन ट्रिलियन तो इन दो सालों में हुआ, जो 2019-20 और 2020-21 में जो सवा तीन ट्रिलियन के फ्रॉड हुए वो 2017-18 और 2018-19 के बीच मे बैंको में हुए। तो अब आप बच नहीं सकते, क्योंकि आप ये नहीं कह सकते कि ये तो पहले बैंको में एंटर हए थे। बैंक में एंटर भी 2017-18 और 2018-19 के मध्य हुए हैं। now you can’t escape. आपके पास कोई गली नहीं है, आपको बताना पड़ेगा देश को कि ये कौन लोग हैं, जो 5 लाख करोड़ का बैंकों को फ्रॉड करके देश में बैठे हैं या दुनिया के सूदूर इलाकों में जो बैठे हैं, वो कौन लोग हैं। क्यों फ्रॉड का जो एवरेज अमाउंट है, वो पिछले सालों में 4 गुना से 5 गुना हो गए हैं, क्यों? कौन हैं वो? किसने कहने से ये हो रहा है, ये सारे सवाल पूछने और इनका जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी है और हर हिंदुस्तानी इन सवालों का उत्तर जानना चाहता है।
रहा सवाल आपने पूछा कि पब्लिक सेक्टर यूनिट्स को कितना एक्सपोजर दिया, ये तो रिजर्व बैंक ने अपनी एनुअल रिपोर्ट में लिखा नहीं कि ये लोग फ्रॉड्स्टर्स हैं, पर कौन हैं वो फ्रॉडस्टर्स। गीतांजलि जेम्स एंड ज्वैलर्स होंगे, बिल्कुल है। हमने पहले भी देखा उनके नाम बिल्कुल डिफॉल्टर्स मे हैं। कई लोग जो प्रधानमंत्री जी, हमारे मेहुल भाई, नीरव मोदी, प्रधानमंत्री जी के साथ जिनकी फोटो सबके पास उपलब्ध हैं, जिनके साथ किस तरह के आत्मीयता के रिश्ते थे, पूरे देश ने देखा। किसके कार्यकाल मे विजय माल्या भागा, किसके कार्यकाल में फ्रॉड पर फ्रॉड और हम तो पूछ रहे हैं कि जो देश में भी बैठे हैं, वो कौन लोग हैं, किनके कहने पर आपने ये 5 लाख करोड़ का एक्सपोजर दिया, किसके कहने पर सवा तीन लाख करोड़ का एक्सपोजर 2019-20 और 2020-21 में हुआ, ये 2017-18 और 2018-19 में कौन इसके पीछे था? क्यों कहा जा रहा था, बैंको को उनको एक्सपोजर देने के लिए क्योंकि ये छोटी रकम नहीं है, ये देश के विकास के लिए इसके बड़ा महत्व है और आज इसका महत्व और भी ज्यादा है, क्योंकि कोरोना के कारण बहुत भयंकर मंदी है, अगर 5 लाख करोड़ अभी होते तो हम आराम से 72 हजार रुपए जैसी न्याय स्कीम इमीजेटली इंप्लीमेंट कर देते। हर व्यक्ति के खाते मे 72 हजार रुपए आते। पर हमने ये पैसा गंवा दिया, पिछले सात सालो में फ्रॉड से।