अमलेंदु भूषण खां /नई दिल्ली। सीबीएससी और काउंसिल फॉर द इंडियन सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन ( सीआईएससीई ) की 12वीं की परीक्षा रद्द करने से केंद्र सरकार को लगभग नौ अरब रूपए की बचत होगी. अब देखना यह है कि सीबीएसई व सीआईसीएसई उन बच्चों को पैसे लौटाएगी जिनके माता पिता कर्ज लेकर या किसी गैर सरकारी संगठन के सहयोग से सीबीएसई या सीआईसीएससीई की परीक्षा फीस भरे थे. या इन पैसों को सरकार किन योजनाओं पर खर्च करती है.
सीबीएसई के आंकड़ो के अनुसार इस साल बारहवीं व दसवीं की परीक्षा में लगभग 36 लाख स्टूडेंट्स शामिल होते . प्रत्येक स्टूडेंट्स से सीबीएसई लगभग दो हजार रूपए परीक्षा फीस के रूप में वसूली थी. यानी लगभग आठ अरब रूपए सीबीएसई के खाते में जमा है.
इसी तरह सीआईसीएसई की बारहवीं की परीक्षा में चार लाख स्टूडेंट्स शामिल होते. परीक्षा शुल्क के नाम पर आईसीएसई लगभग ढाई हजार प्रत्येक स्टूडेंट्स से वसूलती है. बताया जाता है कि इस साल लगभग एक अरब रूपए परीक्षा शुल्क वसूले गए थे.
इन पैसों का उपयोग सीबीएसई और सीआईसीएसई प्रश्न पत्र तैयार करने, इनविजिलेटर, कापी जांचने वाले परीक्षकों पर करती है. लेकिन इस साल ना तो प्रश्न पत्र तैयार करना पड़ा और न ही परीक्षकों पर सीबीएसई व सीआईसीएसई को खर्च करने पड़ेंगे. अब सवाल उठता है कि सीबीएसई और सीसीआईसीएसई बोर्ड परीक्षा फीस के नाम पर वसूली गई राशि स्टूडेंट्स को वापस करेगी?
अभिभावक संघ ने भी सीबीएसई व आईसीएसई से फीस वापस करने की मांग कर चुके हैं.