अमलेंदु भूषण खां/ नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार व उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ आज 11 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे। माना जा रहा है कि यूपी से किन किन लोगों को मंत्री बनाए जाएं इसपर मोदी योगी से सलाह मशविरा करेंगे।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला मंत्रिपरिषद विस्तार इस महीने हो सकता है। मंत्रिपरिषद में फेरबदल और बदलाव के लिए 23 मंत्रालयों का चयन किया गया है। असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुकुल रॉय को विस्तार पर चर्चा के लिए जल्द बुलाया जा सकता है। एनडीए में शामिल सहयोगी दलों से विचार विमर्श शुरू कर दिया गया है। सोनोवाल को दिल्ली बुलाया गया था। जबकि विमर्श के लिए ही सिंधिया विदेश यात्रा से पहले हफ्ते ही वापस लौट आए थे।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल होने पर अपनी सहमति दे दी है। हालांकि जदयू को कैबिनेट में किस तरह का प्रतिनिधित्व मिलेगा, इस पर चर्चा होनी बाकी है।
वर्तमान में कई मंत्रियों पर काम का बोझ बहुत ज्यादा है। ऐसा दो मंत्रियों शिवसेना के अरविंद सावंत, अकाली दल की हरसिमरत कौर के इस्तीफे और दो मंत्रियों की मौत के कारण हुआ है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के पास पर्यावरण के साथ भारी उद्योग मंत्रालय का भी प्रभार है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल के पास वाणिज्य, रेल मंत्रालय के अतिरिक्त उपभोक्ता मामलों का भी प्रभार है। इसी तरह पहले ही कृषि , पंचायती राज और ग्रामीण विकास का जिम्मा संभाल रहे नरेंद्र सिंह तोमर के पास खाद्य प्रसंस्करण का अतिरिक्त प्रभार है। जबकि आयुष मंत्री श्रीपद नाईक के सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद उनके मंत्रालय का जिम्मा खेल एवं युवा मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू संभाल रहे हैं।
इसी कड़ी में अपना दल नेता अनुप्रिया पटेल की मुलाकात अमित शाह से करने को लेकर देखा जा रहा है। मोदी के पहले कार्यकाल में अनुप्रिया मंत्रिमंडल में शामिल थीं।
दिल्ली में अटकलों का बाजार तब और गर्म हो गया जब भाजपा अध्यक्ष नड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंच गए। बताया जा रहा है कि यह मुलाकात उत्तर प्रदेश के विषय पर नहीं थी। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार, राज्य में बहुत जल्द कैबिनेट फेरबदल की संभावना जताई जा रही है। दरअसल, योगी के निकलते ही अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल भी शाह से मिलने पहुंचीं। दो दिन पहले वह लखनऊ में योगी से भी मुलाकात कर चुकी हैं। एक अटकल यह है कि केंद्र में भी मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। वैसे भी केंद्र में 2019 में सरकार गठन के बाद से कोई विस्तार नहीं हुआ है। जबकि दिल्ली स्थित उत्तर प्रदेश सदन में योगी से मिलने वालों में जितिन प्रसाद और सत्यपाल सिंह समेत कई और नेता थे।
अटकलों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। शाह ने मुख्यमंत्री को सभी को साथ लेकर चलने का सुझाव दिया। शुक्रवार को योगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलेंगे। इन मुलाकातों में योगी मुख्यत: कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप और उससे निपटने की राज्य सरकार की कोशिशों पर बात करेंगे।
लेकिन सूत्रों का कहना है कि शाह के साथ बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव के समीकरणों, इस लिहाज से नए साथी दलों व प्रभावी चेहरों की तलाश पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात में भी इन्हीं बिंदुओं पर चर्चा हो सकती है। इसके साथ ही राज्य में छोटा मंत्रिमंडल विस्तार संभव है।
चर्चा राजनीति और चुनाव पर ज्यादा केंद्रित रही
योगी के दो दिवसीय दिल्ली दौरे पर पहुंचने के साथ ही राजनीति गर्म हो गई। योगी के नजदीकियों का कहना है कि यह दौरा पूरी तरह औपचारिक है जिसमें मुख्यत: कोरोना की दूसरी लहर में हुए प्रयास और तीसरी लहर की तैयारियों पर जानकारी दी जानी है। लेकिन शाह के साथ लगभग डेढ़ घंटे चली बैठक ने साफ संकेत दिए कि चर्चा राजनीति और चुनाव पर ज्यादा केंद्रित रही।
योगी ने शाह को ‘प्रवासी संकट का समाधान’ की एक किताब भी सौंपी। बताने की जरूरत नहीं है कि चुनाव में प्रवासी भी एक मुद्दा है। सूत्रों के अनुसार कुछ दिनों पहले संगठन महामंत्री बीएल संतोष और प्रभारी राधामोहन सिंह के लखनऊ दौरे में मिले फीडबैक के आधार पर शाह ने भी मुख्यमंत्री को सुझाव दिया कि सभी को साथ लेकर चलें। राहत कार्यों में भी कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता मिले। छिटक रहे ऐसे पुराने दोस्तों को साथ लाएं जिनकी जमीन पर पकड़ है। जाहिर तौर पर यह जातिगत समीकरण दुरुस्त करने का संदेश था। एक दिन पहले ही कांग्रेस से जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हुए हैं। आने वाले दिनों में कुछ और चेहरे भी आ सकते हैं और पार्टी को उनका पूरा उपयोग करना पड़ेगा। साथ ही कोरोना काल में कुछ स्तरों पर बनाए गए नेरेटिव (वर्णन) को तथ्यों के साथ ध्वस्त करने का सुझाव दिया गया।
लेकिन सूत्रों का कहना है कि शाह के साथ बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव के समीकरणों, इस लिहाज से नए साथी दलों व प्रभावी चेहरों की तलाश पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात में भी इन्हीं बिंदुओं पर चर्चा हो सकती है। इसके साथ ही राज्य में छोटा मंत्रिमंडल विस्तार संभव है। अटकलें ये भी तेज हो गई हैं कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के चुनाव में उतरने से पहले केंद्र में भी बहुप्रतीक्षित कैबिनेट विस्तार हो सकता है।