जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली के संस्कृत विभाग द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष में ’वर्तमान स्वास्थ्य समस्याएं एवं परंपरागत उपचार ’ विषय पर एकदिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस मौके पर कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने अपने उद्बोधन में कहा कि योग का प्रचार भारत में प्राचीन काल से ही रहा है। योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने का श्रेय भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है। इस दौरान कार्यक्रम को रोचक बनाते हुए संस्कृत विभागाध्यक्ष डा.जयप्रकाश का कहना है कि योग है, तो जीवन है।
कार्यक्रम का प्रारंभ प्रातः साढ़े आठ बजे योगाभ्यास से हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली की कुलपति प्रो नजमा अख्तर ने अपने उद्बोधन में कहा कि योग का प्रचार भारत में प्राचीन काल से ही रहा है। योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने का श्रेय भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है। उनके ही सत्प्रयास से वर्ष 2015 से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। मुख्य अतिथि ने योग के महत्व को विस्तार से बताते हुए कहा कि हमारे जीवन में इसका बहुत अधिक महत्व है। योग केवल शारीरिक ही नहीं, अपितु मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज कोरोना महामारी के समय में योग और आयुर्वेद का महत्व और अधिक बढ़ गया है। संस्कृत साहित्य में योग और आयुर्वेद से इसके निदान के विषय में विस्तार से विवेचन प्राप्त होता है।
सनद रहे कि 21 जून 2015 को पूरे विश्व में पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया जिसमें करीब 36 हजार लोग शामिल हुए थे। साथ ही, लगभग 84 देशों के प्रतिनिधियों ने भी योग के 21 आसन किए। इस कोरोना काल में स्वस्थ रहने में योग ने अहम भूमिका निभाई है।