जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के भारतीयों के डीएनए को लेकर दिए गए बयान पर सियासत तेज है। भागवत ने लिंचिंग को लेकर कहा कि इसमें शामिल लोग हिंदुत्व के खिलाफ हैं और लोकतंत्र में हिंदुओं या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता है। बयान पर यूपी के पूर्व सीएम मयावती, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आरएसएस प्रमुख पर निशाना साधा है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बयान कि हिंदू और मुसलमान दोनों का डीएनए एक है पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का बयान ‘मुंह में राम बगल में छुरी’ जैसा है। संघ और भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है। वह लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहीं थी। ओवैसी कहा कि कायरता, हिंसा और कत्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का ही हिस्सा है। वहीं दिग्विजय सिंह ने पूछा कि क्या यह शिक्षा आप मोदी-शाह और भाजपा के मुख्यमंत्री को भी देंगे?
मायावती ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के कल एक कार्यक्रम में भारत में सभी धर्मों के लोगों का डीएनए एक होने की बात किसी के भी गले के नीचे आसानी से नहीं उतरने वाली है। आरएसएस और बीजेपी एंड कंपनी के लोगों तथा इनकी सरकारों की कथनी व करनी में अंतर सभी देख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र और उत्तर प्रदेश सहित देश के जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें चल रही हैं, वे भारतीय संविधान की सही मानवतावादी मंशा के मुताबिक चलने की बजाए ज्यादातर आरएसएस के संकीर्ण एजेंडे पर चल रही हैं, ये आम चर्चा है।
मायावती ने कहा कि आरएसएस के सहयोग और समर्थन के बिना बीजेपी का अस्तित्व कुछ भी नहीं है फिर भी आरएसएस अपनी कही गई बातों को बीजेपी और इनकी सरकारों से लागू क्यों नहीं करवा पा रही है?
उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा चुनावी लाभ के लिए धर्मांतरण को मुद्दा बना रही है। अगर ऐसा कहीं कुछ है तो आरोपियों को सजा मिलनी चाहिए पर पूरे मुस्लिम समुदाय को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।
मायावती ने कहा कि यूपी में आज अफरा-तफरी का माहौल है। बसपा हमेशा से ही भाजपा व आरएसएस की नीतियों का विरोध करती रही है। भाजपा सरकारें आरएसएस के एजेंडे पर काम कर रही हैं।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर मोहन भागवत को घेरा। ओवैसी ने ट्वीट में लिखा, ”आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फर्क नहीं पता होगा, लेकिन कत्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे। ये नफरत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है।”
भाजपा पर भी साधा निशाना
ओवैसी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती है, अखलाक के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है, आसिफ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है, जहां भाजपा का प्रवक्ता पूछता है कि क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते? उन्होंने कहा कि यह कायरता, हिंसा और कत्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोंच का अटूट हिस्सा है। मुसलमानो की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है।
दिग्विजय सिंह ने पूछा- क्या मोदी-शाह को भी देंगे यह शिक्षा
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी भागवत के बयान पर पलटवार किया। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर पूछा, ”मोहन भागवत यह विचार क्या आप अपने शिष्यों, प्रचारकों, विश्व हिंदू परिषद/ बजरंग दल कार्यकर्ताओं को भी देंगे? क्या यह शिक्षा आप मोदी-शाह व भाजपा मुख्यमंत्री को भी देंगे?”
एनसीपी ने किया भागवत के बयान का स्वागत
एनसीपी नेता नवाब मलिक ने संघ प्रमुख के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ”मोहन भागवत का बयान कि भारत में रहने वाले सभी लोगों का डीएनए एक है। अगर भागवत जी का हृदय बदल रहा है तो हम उसका स्वागत करते हैं। वर्ण व्यवस्था में विश्वास करने वाला संगठन अगर धर्म की हदों को तोड़ना चाहता है तो ये अच्छी बात है।”
संघ प्रमुख ने क्या कहा था?
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख भागवत ने कहा था कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। उन्होंने लिंचिंग को लेकर कहा कि इसमें शामिल लोग हिंदुत्व के खिलाफ हैं और लोकतंत्र में हिंदुओं या मुसलमानों का प्रभुत्व नहीं हो सकता है। हिंदू-मुस्लिम एकता भ्रामक है क्योंकि वे अलग नहीं बल्कि एक हैं। उन्होंने कहा था कि पूजा करने के तरीके को लेकर लोगों के बीच अंतर नहीं किया जा सकता। कुछ काम ऐसे हैं, जो राजनीति नहीं कर सकती। राजनीति लोगों को एकजुट नहीं कर सकती।