जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : मानसून सत्र का आज 10वां दिन था। पेगासस जासूसी कांड, महंगाई, कोरोना और कृषि कानूनों को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में दूसरे सप्ताह के आखिरी दिन भी जोरदार हंगामा हुआ। उधर सुप्रीमकोर्ट पेगासस जासूसी मामले की किसी वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा स्वतंत्र जांच कराए जाने की मांग वाली वरिष्ठ पत्रकार एन. राम की याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई करने के लिए शुक्रवार को सहमत हो गया। चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने राम एवं वरिष्ठ पत्रकार शशि कुमार की ओर से पेश कपिल सिब्बल की इस बात पर गौर किया कि याचिका दायर की गई, सूचीबद्ध की गई और कथित जासूसी के व्यापक असर को देखते हुए इस पर सुनवाई की जरूरत है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हम इसे अगले हफ्ते के लिए सूचीबद्ध करेंगे।’
राज्यसभा में दो बजे के बाद जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई कि विपक्षी दलों के सांसदों ने पेगासस जासूसी कांड को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। भारी हंगामे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार 11 बजे तक स्थगित कर दी गई।
भारी हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
याचिका में कहा गया कि कथित जासूसी भारत में विरोध की स्वतंत्र अभिव्यक्ति को दबाने और हतोत्साहित करने के एजेंसियों एवं संगठनों के प्रयास की बानगी है। गौरतलब है कि एक अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संघ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को इजराइल के पेगासस स्पाइवेयर के जरिए निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में रखा गया।
पेगासस जासूसी का मामला भारत में तूल पकड़ता जा रहा है। संसद से लेकर सड़क तक सरकार इस मुद्दे पर विपक्ष के निशाने पर है। वहीं अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। पेगासस कांड पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। शीर्ष कोर्ट वरिष्ठ पत्रकार एन. राम की निष्पक्ष जांच कराने वाली याचिका पर सुनवाई करने को तैयार हो गया है। अगले हफ्ते मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस पर सुनवाई होगी।
कपिल सिब्बल ने सीजेआई के सामने रखी याचिका
वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार की याचिका वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने रखी और कोर्ट से आग्रह किया कि कथित जासूसी के व्यापक असर को देखते हुए इसपर सुनवाई की जरूरत है, जिसपर प्रधान न्यायाधीश ने सहमति जताते हुए अगले हफ्ते सुनवाई करने की बात कही।
वरिष्ठ पत्रकारों की याचिका में कहा गया कि कथित जासूसी भारत में विरोध की स्वतंत्र अभिव्यक्ति को दबाने और हतोत्साहित करने के एजेंसियों एवं संगठनों के प्रयास की बानगी है।
तीन सौ से ज्यादा लोगों की फोन टैपिंग कराने का मामला
गौरतलब है कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 300 से अधिक लोगों के फोन नंबरों को इजराइल के पेगासस स्पाइवेयर से टैप कराया गया है। इसमें विपक्षी दलों के नेता, पत्रकार, जज समेत कुछ कारोबारी भी शामिल हैं।