टोक्यो : ड्रैगफ्लिकर गुरजीत कौर के गोल और गोलकीपर सविता की अगुवाई में रक्षापंक्ति के बेहतरीन प्रदर्शन से भारतीय महिला हॉकी टीम ने तोक्यो ओलंपिक खेलों के क्वार्टर फाइनल में सोमवार को यहां विश्व में नंबर दो आस्ट्रेलिया को करीबी मुकाबले में 1-0 से हराकर पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में प्रवेश करके नया इतिहास रचा। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के 49 वर्ष बाद सेमीफाइनल में जगह बनाने के बाद विश्व में नौवें नंबर की महिला टीम ने यह इतिहास रचा। सेमीफाइनल में उसका सामना बुधवार को अर्जेंटीना से होगा जिसने एक अन्य क्वार्टर फाइनल में जर्मनी को 3-0 से हराया। गुरजीत ने 22वें मिनट में पेनल्टी कार्नर पर महत्वपूर्ण गोल किया। इसके बाद भारतीय टीम ने अपनी पूरी ताकत गोल बचाने में लगा दी जिसमें वह सफल भी रही। गोलकीपर सविता ने बेहतरीन खेल दिखाया और बाकी रक्षकों ने उनका अच्छा साथ दिया। आखिरी दो क्वार्टर में आस्ट्रेलिया ने लगातार हमले किये लेकिन भारतीयों ने उन्हें अच्छी तरह से नाकाम किया। भारतीय टीम आत्मविश्वास से भरी और खुद को साबित करने के लिये प्रतिबद्ध दिखी। उसने साहसिक प्रदर्शन किया और आस्ट्रेलिया पर करीबी जीत दर्ज की। गुरजीत ने मैच के बाद कहा, ‘‘हम बहुत खुश हैं। यह हमारी कड़ी मेहनत का परिणाम है। हमने 1980 में ओलंपिक के लिये क्वालीफाई किया था लेकिन इस बार हम सेमीफाइनल में पहुंचे हैं। यह हमारे लिये गौरवशाली क्षण है।” उन्होंने कहा, ‘‘टीम परिवार की तरह है। हम एक दूसरे का समर्थन करते हैं और हमें देश का भी समर्थन मिलता है। हम बहुत खुश हैं।”
भारतीय टीम का ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन इससे पहले मास्को ओलंपिक 1980 में था जबकि टीम चौथे स्थान पर रही थी लेकिन तब केवल छह टीमों ने हिस्सा लिया था और मैच राउंड रोबिन आधार पर खेले गये थे। रानी रामपाल की अगुवाई वाली टीम की यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि क्योंकि पूल चरण में उसे शुरू में संघर्ष करना पड़ा। भारतीय टीम अपने पूल में दक्षिण अफ्रीका और आयरलैंड को हराकर चौथे स्थान पर रही थी जबकि आस्ट्रेलिया अपने पूल में शीर्ष पर रहा था।
विश्व में दूसरे नंबर के आस्ट्रेलिया ने शुरुआती मिनटों में भारतीय रक्षकों को व्यस्त रखा। भाग्य भारत के साथ था जो दूसरे मिनट में स्टीफेनी केरशॉ के क्रास पर एंब्रोसिया मालोनी का शॉट पोस्ट से टकराने के कारण आस्ट्रेलिया बढ़त हासिल नहीं कर पाया। भारतीय खिलाड़ी हालांकि अधिक आत्मविश्वास में दिखी। भारत नौवें मिनट में गोल करने के करीब भी पहुंच गया था। लालरेमसियामी और वंदना कटारिया के प्रयासों से भारत ने आस्ट्रेलियाई रक्षापंक्ति में सेंध लगायी लेकिन रानी रामपाल का शॉट पोस्ट से टकरा गया। भारत ने पहले क्वार्टर में गेंद पर अच्छा नियंत्रण बनाया और दूसरे क्वार्टर में भी अपने खेल में निंरतरता बनाये रखी। आस्ट्रेलिया को 19वें मिनट में मैच का पहला पेनल्टी कार्नर मिला लेकिन भारतीयों ने बेहतरीन रक्षण से यह खतरा टाल दिया। इसके बाद मोनिका के आस्ट्रेलियाई सर्कल में बेहतरीन प्रयास से भारत ने पेनल्टी कार्नर हासिल किया और गुरजीत ने उसे गोल में बदलकर 22वें मिनट में टीम को बढ़त दिला दी। गोल के बायें छोर पर गये उनके शॉट का आस्ट्रेलियाई रक्षकों के पास कोई जवाब नहीं था।
भारत के पास 26वें मिनट में बढ़त दोगुनी करने का मौका था जब सलीमा टेटे बीच मैदान से गेंद लेकर आगे बढ़ी लेकिन उनका शॉट निशाने पर नहीं लगा। इस तरह से रानी रामपाल की अगुवाई वाली टीम मध्यांतर तक 1-0 से आगे थी। आस्ट्रेलिया गोल करने के लिये बेताब था और उसने तीसरे क्वार्टर के शुरू में स्टीवर्ट ग्रेस के प्रयासों से मौका भी बनाया लेकिन भारतीय गोलकीपर सविता ने मारिया विलियम्स के शॉट को रोककर यह हमला नाकाम कर दिया। आस्ट्रेलिया ने इसके बाद दो पेनल्टी कार्नर हासिल किये लेकिन सविता की अगुवाई में भारतीय रक्षापंक्ति अद्भुत और अदम्य साहस दिखाकर खतरे टालती रही। इस क्वार्टर में भारत की मध्यपंक्ति और रक्षापंक्ति का खेल दर्शनीय रहा। सुशील चानू, दीप ग्रेस एक्का, सलीमा टेटे, मोनिका सभी ने बेहतरीन खेल दिखाया।
इस क्वार्टर में भारत के पास गोल करने का सबसे अच्छा मौका 44वें मिनट में था जब शर्मिला देवी ने दायें छोर से गेंद रानी को थमायी लेकिन वह फिर से निशाने पर शॉट जमाने से चूक गयी। भारतीय रक्षकों ने चौथे क्वार्टर में भी बेहतरीन खेल दिखाया। आस्ट्रेलिया के पास 50वें मिनट में गोल करने का मौका था लेकिन इस बार निक्की प्रधान उसकी राह में रोड़ा बनी। आस्ट्रेलिया को इसके बाद लगातार दो पेनल्टी कार्नर मिले लेकिन सविता रूपी दीवार को भेद पाना उसके लिये मुश्किल था।
आस्ट्रेलिया ने मैच समाप्त होने से दो मिनट पहले पेनल्टी कार्नर हासिल किया लेकिन सविता ने फिर से भारत पर आया खतरा टाल दिया। अंतिम सीटी बजने के साथ ही भारतीय खिलाड़ी झूमने लगी और एक दूसरे के गले लग गयी। भारतीय कोच सोर्ड मारिन भी खुशी में उछल पड़े और उनके आंसू निकल आये।
3 हार के बाद एक फिल्म देखकर जाग उठा आत्मविश्वास
भारतीय महिला हॉकी टीम के मुख्य कोच सोर्ड मारिन ने सोमवार को खुलासा किया कि लगातार तीन हार से टीम का मनोबल टूट गया था लेकिन इसके बाद खिलाड़ियों ने आत्मविश्वास जगाने वाली फिल्म देखी जिससे उनमें नया जोश भरा और वे पहली बार ओलंपिक सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रचने में सफल रही। भारतीय टीम ने लगातार हार के बाद शानदार वापसी की और मारिन ने कहा कि आयरलैंड के खिलाफ करो या मरो मैच से पहले एक फिल्म देखने से टीम को मनोवैज्ञानिक रूप से मदद मिली। उन्होंने इस फिल्म के नाम का खुलासा नहीं किया।
भारत की क्वार्टर फाइनल में विश्व के नंबर दो आस्ट्रेलिया पर 1-0 की जीत के बाद मारिन ने कहा, ‘स्वयं पर विश्वास करने और अपने सपनों पर विश्वास करने से अंतर पैदा हुआ और यह अतीत को ध्यान में रखते हुए वास्तविकता का सामना करने से जुड़ा था। यह अहम चीज थी और हमने यही किया।’ उन्होंने कहा, ‘यदि आप हार जाते हैं तो आप स्वयं पर विश्वास करना नहीं छोड़ते हैं और यही मैंने लड़कियों से कहा। सबसे महत्वपूर्ण उस पल में जीना होता है। मैंने उन्हें एक फिल्म दिखायी और यह फिल्म वर्तमान पल को जीने से जुड़ी थी और मुझे लगता है कि इससे वास्तव में मदद मिली। आयरलैंड के खिलाफ हम इस फिल्म का जिक्र करते रहे।’
मारिन ने फिल्म का नाम बताने से इन्कार करते हुए कहा, ‘मैंने इसका जिक्र अपनी किताब में किया है जो मैंने लॉकडाउन के दौरान भारत में अपने अनुभवों के बारे में लिखी है।’ मुख्य कोच ने कहा कि उन्होंने टीम से केवल अपने सर्वोच्च लक्ष्य के बारे में सोचने के लिये कहा। मारिन ने कहा, ‘भारत में आपको ऊंची सोच रखनी चाहिए और यही मैंने लड़कियों से कहा। यदि आप सर्वोच्च को लक्ष्य बनाते हो, बादल छूने का लक्ष्य बनाते हो तो आप सबसे ऊंचे पर्वत पर गिरोगे और आप पहाड़ को लक्ष्य बनाते हो तो मैदान पर गिरोगे।’ उन्होंने कहा, ‘हमने बादलों को छूने का लक्ष्य बनाया और मैंने कहा कि इसके बाद जो कुछ होगा वह मायने नहीं रखता लेकिन हमें अपना लक्ष्य ऊंचा रखना है।’
भारतीय कप्तान रानी रामपाल ने टीम का भाग्य बदलने के लिये फिल्म को श्रेय दिया। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि फिल्म ने वास्तव में हमारी मदद की। फिल्म ने हमें वर्तमान पल को जीने के लिये प्रेरित किया। केवल आपके सामने जो है उसके बारे में सोचने और अतीत के बारे में नहीं सोचने की सीख दी। आज कोच ने कहा कि केवल 60 मिनट पर ध्यान लगाओ, केवल 60 मिनट में भूमिका निभाओ।’ मुख्य कोच ने कहा कि वह गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं क्योंकि यह उपलब्धि भारत में महिला हॉकी के लिये काफी मायने रखती है। मारिन ने कहा, ‘‘हम सोच रहे थे कि महिला टीम के लिये सबसे बड़ा लक्ष्य क्या है और यह पदक जीतने को लेकर नहीं है। यह भारत में महिलाओं को प्रेरित करने और युवा लड़कियों को प्रेरित करने से जुड़ा है। आप ऐसी विरासत ही तैयार करना चाहते है। यही वह विरासत है जो लड़कियां बनाना चाहती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमारी सोच ऐसी है और मैं इसमें सहायता करने के लिये यहां हूं तथा पदक इन चीजों में मदद करता है।’
कप्तान रानी ने पिछले पांच साल की कड़ी मेहनत को भी श्रेय दिया। भारतीय टीम रियो ओलंपिक 2016 में अंतिम स्थान पर रही थी। उन्होंने कहा, ‘रियो हमारे लिये वास्तव में अच्छा अनुभव नहीं रहा। हम रियो के बारे में नहीं सोचना चाहते क्योंकि उसने हमें कुछ उदासीन पल दिये थे। लेकिन उसके बाद पिछले पांच वर्षों में हमने कड़ी मेहनत की और प्रशिक्षकों ने भी इस यात्रा में अहम भूमिका निभायी।’