डाॅ. एम रहमतुल्लाह / नई दिल्ली। पंजाब में कई दशक से कांग्रेस के पर्याय रहे और 2017 में अपने दम पर पार्टी को सत्ता में लाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के बाद पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें अपमानित किया,मुझे हटाने की साजिश लंबे समय से जारी थी। इस साजिश में नवजोत सिंह सिद्धू मुख्य रुप से शाामिल हे। पर सिद्धू न सीएम के तौर पर ठीक है और न ही पंजाब और देश के लिए ठीक है। सिद्धू की पाकिस्तान से मिलीभगत है। वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का दोस्त है। वह पाकिस्तान के आर्मी प्रमुख जनरल बाजवा के गले मिलता है।
प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर सिद्धू को लाने और फिर उनकी लगातार बयानबाजी से कैप्टन अमरिंदर सिंह नाराज बताए जा रहे थे। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि यह नाराजगी पार्टी के लिए कोई हैरान करने वाली बात नहीं है क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व राज्य में परिवर्तन के बारे में सोच ही रहा था। बीते करीब एक साल से विधायकों की गुटबाजी, नवजोत को महत्व देने और कैप्टन को कई बार नसीहतें मिलने से इस बात के संकेत मिल ही रहे थे।
कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने दम पर फैसले लेने और मजबूत साख वाले नेताओं में शुमार किया जाता रहा है। 2017 में वह पार्टी को उस वक्त राज्य की सत्ता में लाए थे, जब देश भर में उसे हार का सामना करना पड़ रहा था। अब भी देश भर में कांग्रेस के लिए हालात अच्छे नहीं हैं और ऐसे वक्त में अमरिंदर के इस्तीफे से यह सवाल उठता है कि क्या पंजाब में कांग्रेस वापस आ पाएगी? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस को आंध्र प्रदेश जैसा हाल भी देखना पड़ सकता है। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर के आकस्मिक निधन के बाद उनके बेटे जगनमोहन रेड्डी ने सीएम पद के लिए दावा ठोका था, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें किनारे लगा दिया था।
फिर प्रदेश का बंटवारा हुआ और जगनमोहन रेड्डी ने पूरे राज्य में आशीर्वाद यात्रा निकाली थी। इसका असर हुआ कि आज जगन मोहन रेड्डी सत्ता में हैं, टीडीपी विपक्ष में है और कांग्रेस कहीं भी नहीं हैं। कांग्रेस के लिए पंजाब में भी कुछ ऐसा ही हाल हो सकता है। दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू कुछ साल पहले ही पार्टी में आए हैं और उस तरह से पार्टी का चेहरा अभी नहीं कहे जा सकते। ऐसे में यह देखना होगा कि कांग्रेस कैसे इस नुकसान की भरपाई कर सकती है। बता दें कि हाल ही में आए एक सर्वे में आम आदमी पार्टी के जीतने की राय सामने आई थी। ऐसे में पार्टी को बेहद संभलकर चलना होगा, वरना कांग्रेस के लिए यह अहम राज्य ‘उड़ता पंजाब’ साबित हो सकता है।
इस्तीफे के बाद पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें कांग्रेस हाईकमान ने अपमानित किया,मुझे हटाने की साजिश लंबे समय से जारी थी। इस साजिश में नवजोत सिंह सिद्धू मुख्य रुप से शाामिल हे। पर सिद्धू न सीएम के तौर पर ठीक है और न ही पंजाब और देश के लिए ठीक है। सिद्धू की पाकिस्तान से मिलीभगत है। वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का दोस्त है। वह पाकिस्तान के आर्मी प्रमुख जनरल बाजवा के गले मिलता है।
कैप्टन ने कहा कि इस्तीफे के बाद सक्रिय राजनीति नहीं छोड़ेंगे पर उनकी सियासत का नया मंच क्या होगा इस बारे में फैसला अपने समर्थकों से विचार करने के बाद करेंगे। कैप्टन ने कहा कि वह अपने 52 वर्ष के सियासी केरियर को जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि, “ मैं फौजी हूं इतनी जल्दी हार नहीं मानूंगा। पंजाब और पंजाबियत की लड़ाई जारी रहेगी’।
कैप्टन ने मीडिया से बातचीत से कहा कि कांग्रेस हाईकमान जिसे चाहे सीएम बनाए उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। पर नवजोत सिंह सिद्धू सीएम के काबिल नहीं। कैप्टन ने सिद्धू को लेकर कहा कि जो अपना मंत्रालय नहीं चला सका वह पूरा पंजाब क्या चलाएगा? कैप्टन ने कहा कि वह कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र का 92 फीसदी पूरा कर चुके हैं। बहुत सी बातें जो मेनिफेस्टो में नहीं थी वे भी की हैं। 6 महीने तक सब कुछ ठीक चल रहा था। कांग्रेस आलाकमान बताए बात क्या है,उन्हें क्यों हटाया गया। उन्होंने कहा कि मैंने जब कांग्रेस अध्यक्षा को सुबह 10 बजे ही अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी थी तो सीएलपी की बैठक बुलाने की क्या जरुरत थी। कैप्टन ने कहा कि इससे पहले भी तीन महीनें में विधायकों की दिल्ली के अलावा चंडीगढ़ में भी कई बैठकें उनकी मंजूरी के बगैर बुलाई गई जिससे वे अपमानित होते रहे। शनिवार को बुलाई गई विधायक दल की बैठक के बारे में भी कैप्टन अनभिज्ञ थे।