मृत्युंजय कुमार / नई दिल्ली । पंजाब में कांग्रेस की गुत्थी उलझती ही जा रही है। एक तरफ जहां सीएम की कुर्सी के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच शह और मात का खेल चला वहीं कांग्रेस की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी ने सीएम कुर्सी को ठुकरा दी है। आलम यह है कि विधायक दल के नेता के चयन के लिए रविवार 11 बजे होने वाली विधायकों की बैठक भी रद्द कर दी गई। अब नए मुख्यमंत्री का ऐलान सीधे कांग्रेस हाईकमान करेगा। सीएम की दौड़ में सुनील जाखड़,सुखजिंदर रंधावा और प्रताप बाजवा के बीच अब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना नाम भी उछाल दिया है। सूत्रों मुताबिक सिद्धू ने हाईकमान को मुख्यमंत्री बनने की अपनी मंशा जाहिर कर दी है। शनिवार देर सांय तक चली विधायकों दल की बैठक के बाद देर रात सिद्धू ने कई विधायकों से मुलाकात कर उन्हें सीएम चुने जाने की लॉबिंग तेज कर दी है। सिद्धू ने विधायकों से साफ कहा कि उन्हें सीएम बनाया जाए सरकार विधायकों के मुताबिक चलेगी। इधर चंडीगढ़ के एक होटल में प्रदेश प्रभारी हरीश रावत व पर्यवेक्षक अजय माकन और हरीश चौधरी से बैठक करने वाले विधायकों का आना जाना जारी है।
इधर सीएम की दौड़ में सुनील जाखड़ के घर सुबह से ही विधायकों का तांता लगा हुआ है वहीं सुखजिंदर रंधावा के घर भी विधायकों की बैठक जारी है। माना जा रहा है कि हिंदु चेहरे के तौर पर जाखड़ मुख्यमंत्री हो सकते हैं वहीं रंधावा को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शनिवार पारित प्रस्ताव कर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से आग्रह किया गया कि वे विधायक दल के अगले नेता के बारे फैसला करें।
कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने कहा कि यह सब कांग्रेस आलाकमान पर निर्भर है। यह आलाकमान का विशेषाधिकार है। सीएलपी की बैठक कल हुई थी और इसे जनादेश दिया गया है। सीएलपी की एक और बैठक की जरूरत नहीं।
पंजाब में कांग्रेस विधायक दल ने राज्य के नए मुख्यमंत्री को चुनने का फैसला भले ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है लेकिन पार्टी के चार वरिष्ठ नेताओं- सुनील जाखड़, नवजोत सिंह सिद्धू, सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रताप सिंह बाजवा का नाम इस पद के लिए संभावित प्रत्याशी के रूप में चर्चा में हैं।
सुनील जाखड़
पूर्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख सुनील जाखड़ का नाम संभावित सीएम के रूप में चल रहा है। यदि जाखड़ मुख्यमंत्री बनते हैं तो 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के बाद यह पहली बार होगा राज्य में कोई हिंदू मुख्यमंत्री बनेगा। बता दें कि हरियाणा के सुचारू निर्माण के लिए राष्ट्रपति शासन लागू होने से पहले 1964 से 1966 तक दो साल के कार्यकाल के लिए राम किशन आखिरी हिंदू मुख्यमंत्री थे। सुनील जाखड़ अबोहर के जाने-माने जमींदार और कृषक हैं और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ के बेटे हैं। 67 वर्षीय कांग्रेस नेता अबोहर निर्वाचन क्षेत्र (2002-2017) से 3 बार विधायक रहे हैं और उन्होंने गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी किया है।
प्रताप सिंह बाजवा
गुरदासपुर जिले के 64 वर्षीय प्रताप सिंह बाजवा भी सीएम की दौड़ में हैं। वह भी प्रदेश के सबसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं में से हैं और इस समय पंजाब से राज्यसभा सांसद हैं। प्रताप सिंह बाजवा के पिता सतनाम सिंह बाजवा भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और मंत्री रह चुके थे। प्रताप के छोटे भाई, फतेह जंग सिंह बाजवा भी कांग्रेस विधायक हैं, वहीं उनकी पत्नी चरणजीत कौर बाजवा भी पिछली विधानसभा में विधायक रही हैं।
सुखजिंदर सिंह रंधावा
कैप्टन अमरिंदर सिंह की निवर्तमान कैबिनेट में जेल और सहकारिता मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा (62) पंजाब के जंगली पश्चिम माने जाने वाले माझा क्षेत्र के गुरदासपुर जिले के रहने वाले रंधावा तीन बार के कांग्रेस विधायक हैं। वे 2002, 2007 और 2017 में विधायक बने। वह राज्य कांग्रेस के उपाध्यक्ष और महासचिव रह चुके हैं। उनका परिवार भी कांग्रेस से जुड़ा रहा है। उनके पिता, संतोख सिंह, दो बार राज्य कांग्रेस अध्यक्ष थे और माझा क्षेत्र में एक बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति थे।
नवजोत सिंह सिद्धू
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट में एक पूर्व मंत्री हैं। सिद्धू सरकार में आने के साथ ही लगातार अमरिंदर सिंह पर हमला बोलते रहे हैं। अमरिंदर के कड़े विरोध के बीच सिद्धू प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद पाने में सफल रहे और अब वह कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से हटाने में कामयाब रहे हैं। अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से 3 बार के सांसद और भाजपा के सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए मनोनीत सांसद, 58 वर्षीय मुख्यमंत्री पद के चेहरों में सबसे कम उम्र के हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के कुछ घंटे बाद कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर तेज हमला किया और उन्हें ‘राष्ट्र विरोधी, खतरनाक तथा पूरी तरह विपत्ति’ करार दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यह भी कहा कि वह सिद्धू को वह अगले मुख्यमंत्री के रूप में या आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के चेहरे के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे। कैप्टन के इन हमलों के बाद राज्य कांग्रेस प्रमुख सिद्धू की मुसीबतें भी बढ़ गई हैं। दरअसल, कैप्टन के इस्तीफे के बाद सिद्धू का नाम भी मुख्यमंत्री पद की रेस में है, लेकिन अमरिंदर के सख्त रवैये ने इस राह में परेशानियां खड़ी कर दी है।
सिद्धू पर कैप्टन का प्रहार-
-अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी कदम का पुरजोर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का समर्थन करने का कोई प्रश्न नहीं उठता। उन्होंने आरोप लगाया कि वह (सिद्धू) ‘साफतौर पर पाकिस्तान के साथ मिले हैं और पंजाब तथा देश के लिए खतरा और विपदा’ हैं।
-सिंह ने पाकिस्तान के नेतृत्व के साथ सिद्धू की करीबी को लेकर उन पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘मैं ऐसे व्यक्ति को हमें तबाह नहीं करने दे सकता। मैं राज्य और उसकी जनता के लिए खराब मुद्दों पर लड़ता रहूंगा।’’उन्होंने कहा, ‘‘हम सब ने सिद्धू को इमरान खान (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री) और जनरल बाजवा (पाक सेना प्रमुख) को गले लगाते देखा है और करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की तारीफ करते सुना है, जबकि सीमा पर रोजाना हमारे जवान मारे जा रहे थे।’’
-उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब सरकार का मतलब है भारत की सुरक्षा और अगर सिद्धू को मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस का चेहरा बनाया जाता है तो मैं पूरी ताकत से विरोध करुंगा।’’
-सिंह ने कहा कि सिद्धू कभी पंजाब के लिए अच्छे नेता नहीं हो सकते। उन्होंने कहा, ‘‘वह पूरी तरह विपत्ति हैं। जब वह पंजाब में मंत्री थे तो वह एक मंत्रालय नहीं चला सके, अब वह पूरा पंजाब कैसे चला सकते हैं? मैं जानता हूं कि उनमें सामर्थ्य ही नहीं है।’’अमरिंदर सिंह ने एक निजी चैनल के साथ बातचीत में यह दावा भी किया कि अगर सिद्धू को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो वह पंजाब का बेड़ा गर्ग कर देंगे। उन्होंने पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘एक मंत्रालय तो चला नहीं सके, राज्य क्या चलाएंगे। सब बर्बाद कर देंगे। उनकी कुव्वत नहीं है। पूरे राज्य का बेड़ा गर्क कर देंगे।’’
-कांग्रेस नेता ने राजनीति छोड़ने की संभावना से इनकार करते हुए कहा कि एक सैनिक के तौर पर उनमें बहुत दृढ़ इच्छाशक्ति है और पंजाब में आगामी विधानसभा चुनाव में वह सक्रिय रहेंगे। सिंह ने दावा किया कि खुद उन्होंने अपने समर्थक विधायकों से कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल होने को कहा था और किसी बैठक में बड़ी संख्या में विधायकों की मौजूदगी का मतलब यह नहीं है कि वे सिद्धू का समर्थन कर रहे थे।