जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । भाजपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित हो चुकी है। नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 80 लोगों के नाम है। इसके अलावा 50 विशेष आमंत्रित सदस्य हैं और 179 स्थाई सदस्य हैं जिसमें मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधानसभा में पार्टी के नेता, प्रवक्ता और राष्ट्रीय मोर्चा के अध्यक्ष शामिल हैं। नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, उनके बेटे वरुण गांधी और वरिष्ठ नेता विनय कटियार को जगह नहीं दी गई है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची में सबसे ऊपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम है। इसके बाद दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का नाम है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, गिरिराज सिंह, रविशंकर प्रसाद, नित्यानंद राय, सरोज पांडे, हर्षवर्धन, एस जयशंकर, मीनाक्षी लेखी, मनोज तिवारी, पुरुषोत्तम रुपाला, भूपेंद्र यादव, अनुराग ठाकुर, जितेंद्र सिंह जैसे नेता शामिल है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में पहला देशों से निर्मला सीतारमण, नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रकाश जावड़ेकर, धर्मेंद्र प्रधान, अश्विनी वैष्णव, स्मृति ईरानी, मुख्तार अब्बास नकवी, मिथुन चक्रवर्ती के नाम शामिल हैं। उपाध्यक्ष के रूप में रमन सिंह, वसुंधरा राजे सिंधिया, राधा मोहन सिंह, रघुवर दास, बेबी रानी मौर्य, दिलीप घोष के नाम शामिल हैं। पार्टी के महासचिव के रूप में अरुण सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, दुष्यंत कुमार गौतम, तरुण चुग के नाम शामिल है।
पार्टी ने प्रवक्ताओं के लिए भी अपनी सूची जारी की है जिसमें अनिल बलूनी, संजय मयूख, संबित पात्रा, सुधांशु त्रिवेदी, सैयद शाहनवाज हुसैन, राजीव प्रताप रूडी, शाजिया इल्मी, नलिन कोहली, गौरव भाटिया, सैयद जफर इस्लाम, टॉम वडक्कन के नाम शामिल हैं। प्रवक्ताओं की सूची में राज्यवर्धन सिंह राठौर, नूपुर शर्मा, राजू बिष्ट, के के शर्मा और प्रेम शुक्ला का भी नाम है।
वरुण गांधी के बागी तेवर लखीमपुर खीरी हिंसा से पहले भी दिखाई दिए। वरुण गांधी ने गन्ने का रेट 400 रुपये घोषित करने की मांग की। इसके लिए वरुण ने सीएम योगी को खत भी लिखा था। वरुण ने 12 सितंबर को भी किसानों के मुद्दे उठाते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ को खत लिखा था। तब वरुण ने भूमिपुत्रों की बात सुनते की अपील करते हुए पत्र में 7 पॉइंट लिखे थे। वरुण गांधी ने इसमें गन्ना के दाम, बकाया भुगतान, धान की खरीदारी समेत 7 मुद्दों को उठाया था। 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत में वरुण गांधी ने किसानों का समर्थन कर सरकार को असहज महसूस कराया था।
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गौर करने वाली बात है कि बीजेपी कार्यकारिणी की लिस्ट में यूपी से कई बड़े चेहरों को शामिल किया गया। इसमें महेंद्रनाथ पांडेय, स्मृति इरानी, ब्रजेश पाठक, अनिल जैन, संजीव बालियान, राजनाथ सिंह, संतोष गंगवार और स्वामी प्रसाद मौर्य का नाम भी जुड़ गया है। लेकिन वरुण और उनकी मां मेनका का नाम नदारद रहा।
वरुण की नाराजगी का कारण क्या?
सूत्रों के अनुसार, अपनी और मां मेनका गांधी की लगातार उपेक्षा से वरुण गांधी खासे नाराज हैं और यही वजह से पार्टी लाइन से अलग जाकर बयानबाजी कर रहे हैं। इस बार मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार में वरुण गांधी की भी चर्चा हो रही थी लेकिन उन्हें शामिल नहीं किया गया। इसके अलावा अगले साल होने वाले यूपी चुनाव में भी वरुण गांधी को कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई।
वरुण का वह बयान जो बीजेपी को चुभ गया
वरुण और बीजेपी हाईकमान के बीच खटास के पीछे एक नहीं बल्कि कई वजहें हैं लेकिन इसकी शुरुआत 2013 में मानी जाती है। तब वरुण बीजेपी के पश्चिम बंगाल प्रभारी थे। लोकसभा चुनाव से पहले कोलकाता के परेड ग्राउंड तत्कालीन पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने रैली की थी। रैली का पूरा प्रबंध वरुण गांधी ने ही संभाला था। बीजेपी इसे अच्छी रैली मान रही थी लेकिन वरुण ने अगले दिन अखबार में बयान दे दिया कि रैली विफल रही। बताती हैं कि यहीं से बीजेपी और वरुण गांधी के रिश्ते में दरार पैदा हो गई।
वरुण का वह बयान पार्टी नेताओं को नागवार गुजरा और धीरे-धीरे उन्हें साइडलाइन कर दिया गया। 2014 लोकसभा चुनाव में वरुण सुल्तानपुर से जरूर जीते लेकिन कैबिनेट पद नहीं मिला। 2015 में अमित शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही वरुण गांधी को राष्ट्रीय महासचिव पद से हटाया। वरुण की जगह कैलाश विजयवर्गीय को महासचिव और बंगाल प्रभारी की कमान सौंप दी गई।
वरुण को सता रहा है टिकट कटने का डर
यूपी के वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ल के अनुसार, ‘वरुण को इस बात की भी आशंका है कि शायद अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट न मिले। फिर जब वह पार्टी लाइन से अलग जाकर ट्वीट करते हैं तो उन्हें बीजेपी के अंदर से कोई प्रतिक्रिया भी नहीं मिलती। इस वजह से उनमें छटपटाहट होना लाजिमी है।’
क्या है आगे का प्लान?
वरुण की बगावत को देखते हुए अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह बीजेपी छोड़ सकते हैं। बीते दिनों उनके ट्विटर प्रोफाइल का स्क्रीनशॉट भी वायरल हुआ जिसमें कहा गया कि उन्होंने अपने ट्विटर बायो से बीजेपी हटा लिया गया है। हालांकि वरुण गांधी के करीबियों ने इसका खंडन करते हुए स्पष्ट किया कि वरुण ने कभी भी पार्टी का नाम बायो में नहीं लिखा था।