सुधांशु त्रिवेदी / पटना. बिहार में विधान सभा की दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव ने प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है. राजनीति के धुरंधर माने जाने वाले राजद सुप्रीमो लालू यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. तारापुर और कुशेश्वरस्थान दोनों सीटों पर होने वाले हार-जीत का असर दूरगामी होगा, इसलिए पूरे प्रदेश की जनता भी चुनावी घमासान पर टकटकी लगाए हुए है.
राजद से कांग्रेस के अलग होने के बाद ऐसा लग रहा था कि जदयू की राह आसान हो गई है. लेकिन राजनीतिक वनवास से लौटे लालू यादव ने बिहार आते ही ऐसी सियासी चाल चली कि उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उर्फ सुशासन बाबू फंसते नजर आ रहे हैं. राजद सुप्रीमो ने बुधवार को तारापुर में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए सीधे नीतीश कुमार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि हम मौजूदा सरकार का विसर्जन करने के लिए आए हैं. नीतीश कुमार के ‘गोली मरवा देने वाले’ बयान पर तंज कसते हुए कहा ‘हम काहे किसी को गोली मरवाएंगे, वो खुद ही मर जाएंगे’. गौरतलब है कि एक दिन पहले ही नीतीश कुमार ने कहा था कि ‘वो (लालू) कुछ नही कर सकते केवल गोली ही मरवा सकते हैं’. यही नहीं रोजगार तथा विकास के मुद्दे पर भी नीतीश कुमार को घेरने की कोशिश की जा रही है. लालू यादव का आरोप है कि प्रदेश में विकास के सभी कार्य ठप हैं. सडकें बदहाल हैं तथ युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिला पाने का ठीकरा भी मुख्यमंत्री के सिर पर फोडा जा रहा है.
परंपरा से हटकर उतारा उम्मीवार
तारापुर सीट पर राजद ने पारंपरिक वोट बैंक से हटकर वैश्य उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है. जातिगत आंकडों को देखा जाए तो इस निर्वाचन क्षेत्र में यादव 50 हजार, कुशवाहा 45 हजार, वैश्य 30 हजार, सवर्ण 30 हजार तथा पासवान करीब 10 हजार हैं. ऐसी स्थिति में यादव और मुसलमान के साथ वैश्य समुदाय एकजुट हो जाता है तो बाजी पलटने के आसार बन जाएंगे. 2020 के विधान सभा चुनाव में राजद उम्मीदवार करीब सात हजार मतों से पराजित हुआ था और जदयू की झोली में यह सीट चली गई थी. लिहाजा इस बार राजद वैश्य समुदाय को अपने पाले में कर जातीय समीकरण को साधने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस तथा चिराग पासवान ने यहां से सवर्ण उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं, जो कि जदयू के वोट बैंक में ही सेंध लगाएंगे.
कुशेश्वर स्थान सीट पर कांटे की टक्कर
कुशेश्वरस्थान सीट आरक्षित है. यहां पर राजद ने कांग्रेस से अपनी राह अलग करते हुए मुसहर समाज के गणेश भारती को अपना उम्मीदवार बनाया है. जबकि जदयू ने विधायक शशिभूषण हजारी के बडे बेटे अमन भूषण हजारी को अपना उम्मीदवार बनाया है. पिछली बार जदयू ने महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस उम्मीदवार अशोक राम को करीब सात हजार मतों से हराया था. जातीय समीकरण के अनुसार इस निर्वाचन क्षेत्र में यादव 30 हजार, मुसलमान 26 हजार, मुसहर 25 हजार, मल्लाह 25 हजार, कुर्मी-कोयरी-कुशवाहा 36 हजार, सवर्ण 25 हजार, पासवान 18 हजार, अति पिछडा 30 के करीब हैं. राजद यहां पर मुसहर, यादव और मुसलमान को अपने पाले में करने के लिए एडी-चोटी का जोर लगाए हुए है. हालांकि एनडीए का मानना है कि कांग्रेस से राजद अलग हो गई है. साथ ही राजद के घर में बगावत है, इसलिए उनके सामने प्रतिद्वंदी नहीं टिकेगा.
राजद को मिली ‘संजीवनी’
फिलहाल दोनों ही सीटों पर चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है. 30 अक्टूबर को मतदान है तथा 2 नवंबर को मतगणना है. चुनाव परिणाम क्या होगा? यह भविष्य के गर्त में है. लेकिन चुनावी दंगल में लालू यादव के आने से मुकाबला रोचक हो गया है. कांग्रेस ेके अलग होने से सदमे में आई राजद को ‘संजीवनी’ मिल गई है. यही नहीं महागठबंधन में टूट से खुश हो रहे विपक्षी खेमे में भी बेचैनी छाई हुई है.