जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बुनकरों को नसीहत देते हुए कहा कि कबीर समाज की विसंगतियों पर चोट करते थे, उनका ध्यान रहता था कि धागा जहां कहीं टूटे, उसे ढंग से जोड़ते जाओ, ऐसा जोड़ो कि धागा धागे में मिल जाए, कोई गांठ न पड़े, फिर टूटने की सम्भावना भी न रहे। यही कबीर के समाज का सूत्र भी है। कबीर का यह संकल्प बाद में महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपना लिया। गांधी का चरखा तो पंडित दीनदयाल का अंत्योदय कार्यक्रम अभियान इसी कड़ी का हिस्सा है। महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल के कामों का उदाहरण देते हुए बुनकरों को अपने पैरों पर खड़े होने के कई रास्ते सुझाए।
बुनकर कुटीर उद्योगों को बढ़ावा और प्रोत्साहन देने के लिए बुनकर विकास और अनुसंधान संगठन ने दो दिवसीय बुनकर नीति विचार मंथन आयोजन किया है। विकास और अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष विजय कुमार भारती ने कहा कि सम्मेलन का उद्देश्य अपनी चार मांगों की तरफ केन्द्र सरकार का ध्यान आर्कषित करना है। संगठन की मांगें हैं- पहला- हैंडलूम वस्त्र को जीएसटी से मुक्त रखा जाए। दूसरा-बुनकरों को सिंगल विंडों सिस्टम में लाया जाए। तीसरा-बुनकर विकास आयोग का गठन किया जाए। चौथा- बुनकर मंत्रालय बनाया जाए।
विजय कुमार भारती ने कहा कि कबीर जुलाहा को जाति नहीं सृष्टि का निर्माता कहते थे, यहीं करघे पर बैठ एक तरफ तो कबीर समाज की विसंगतियों पर चोट करते थे, तो दूसरी तरफ उनका ध्यान रहता कि धागा जहां कहीं टूटे, उसे ढंग से जोड़ते जाओ, ऐसा जोड़ों की धागा धागे में मिल जाए, कोई गांठ न पड़े, फिर टूटने की सम्भावना भी न रहे, यही कबीर के समाज का सूत्र भी है। अब कबीर के इस दर्शन को आगे बढ़ाने का संकल्प बुनकर विकास और अनुसंधान संगठन ने लिया है। भारती ने कहा कि औद्योगिक विकास की लहर गाँव में पहुँच जाने से बुनकरों को रोटी के लाले पड़ गये हैं। बुनकर समाज अपने मूल कार्य को छोड़ते जा रहे हैं और दूसरे धंधे अपनाने को बाध्य हो रहे हैं। अगर इस समाज को सरकारी सुविधाएं मिल जाएं, तो ये लोग रोजी-रोटी की कठिनाइयों से पार पा सकते हैं। इनके नष्ट होते उद्योगों को बचाने के लिए बैंकों से सस्ते ब्याज की दर पर ऋणों की सुविधा दी जानी चाहिए। साथ ही इनके बुनाई के पारंपरिक औजारों में आधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ाकर उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि बुनकर विकास और अनुसंधान संगठन ( डब्ल्यूडीआरओ) एक गैर सरकारी संगठन है, जो नई दिल्ली में ट्रस्ट आईटी अधिनियम 1961 के तहत 2018 में पंजीकृत है। संगठन का मुख्य उद्देश्य हर दिशा में रचनात्मक सुधार लाकर बुनकरों और कारीगरों को देश की मुख्य धारा से जोडऩा है। इसके लिए राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के उद्देश्य से संगठन आगे बढ़ रहा है। संगठन बुनकरों के बीच ट्रेनिंग, जागृति, शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यों को करना। वस्त्र का उत्पादन कर बुनकरों को विक्रय में मदद करना ।
केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा लिए डरें लाभांशों के संबंध में बुनकर और कारीगरों को जानकारी देना।