डॉ.एम.रहमतुल्लाह / नई दिल्ली । 12 सांसदों का पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबन केंद्र सरकार के लिए भारी पड़ सकता है। बताया जाता है कि कांग्रेस के नेतृत्व में 14 दलों का विपक्षी संगठन पूरे शीतकालीन सत्र का बहिष्कार करने की योजना बनाया है। माना जा रहा है कि संसद का वर्तमान शीतकालीन सत्र का भी मॉनसून सत्र की तरह हंगामे की भेंट चढ़ सकता है। कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी बिल पर चर्चा न होने से नाराज विपक्ष ने मानसून सत्र के दौरान हंगामे के आरोप में राज्यसभा के 12 सदस्यों के निलंबन के मामले को बड़ा मुद्दा बनाने का निर्णय लिया है। विपक्ष ने इस फैसले के विरोध में कार्यवाही के बहिष्कार के साथ निलंबन के फैसले को अदालत में चुनौती देने की घोषणा की है।
मानसून सत्र में पेगासस जासूसी में लगभग पूरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया था। खासतौर से लोकसभा में पूरे सत्र के दौरान महज 21 घंटे 14 मिनट ही कार्यवाही चली। इस दौरान करीब 72 घंटे हंगामे की भेंट चढ़ गए।
हालांकि इस दौरान सरकार ने हंगामे के बीच ही सभी विधायी कामकाज निपटा लिए थे। पूरे सत्र में ओबीसी सूची तैयार करने संबंधी अधिकार राज्य सरकारों को देने संबंधी बिल के अलावा किसी अन्य जन सरोकारों के एक भी मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पाई थी।