जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान फिलहाल वापस नहीं जा रहे। संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि किसानों पर दर्ज मुकदमे वापसी समेत सभी लंबित मांगों पर सहमति के बाद ही आंदोलन वापस लेने के बारे में विचार किया जाएगा। मोर्चा ने किसानों से जुड़े मुद्दों पर सरकार से बातचीत करने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी ही फैसला करेगी कि किस राज्य सरकार से कौन-सा किसान नेता व प्रतिनिधिमंडल बातचीत करेगा। मोर्चा ने कहा कि 2 दिन तक सरकार का रवैया देखने के बाद 7 दिसंबर को कुंडली-सिंघु बॉर्डर पर दोबारा बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
कुंडली-सिंघु बार्डर पर शनिवार को करीब 4 घंटे चली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि मोर्चा ने 5 लोगों की कमेटी गठित की है। यह कमेटी भविष्य में हर मुद्दे पर सरकार से बातचीत करने के लिए अधिकृत होगी। कमेटी में बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, शिव कुमार कक्का, युद्धवीर सिंह और अशोक धवले शामिल हैं।
किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बयान की निंदा करते हुए कहा कि आंदोलन के दौरान मारे गये किसानों का आंकड़ा न होने की बात कह कर सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। उन्होंने कहा कि आंदोलन के 708 शहीदों के परिजनों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था भी सरकार को करनी होगी। किसान नेता अशोक धवले ने कहा कि विद्युत संशोधन विधेयक वापस नहीं लिया गया तो भविष्य में किसानों को बिजली बिलों पर 10 गुना अधिक खर्च करना पड़ेगा। यह रकम पूंजीपतियों की जेब में जाएगी। महंगे बिजली बिलों का भुगतान करके खेती करना संभव नहीं।
यें मांगें बाकी : टिकैत ने कहा कि जब तक किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं होंगे, तब तक आंदोलन वापस लेने के बारे में नहीं सोच सकते। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर गारंटी कानून, आंदोलन में शहीद हुए किसानों को मुआवजा, शहीद किसानों के स्मारक के लिए जमीन, लखीमपुर खीरी मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी और केंद्रीय मंत्रिमंडल से अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी की मांगें पूरी होने तक किसान सभी मोर्चों पर डटे रहेंग