अमलेंदु भूषण खां / चंडीगढ़। चरणजीत सिंह चन्नी ने जब से पंजाब के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, वो लगातार राज्य की जनता के हितों में फ़ैसले ले रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे पंजाब में सीएम चन्नी ख़ुद के बल बूते पर सत्ता में कांग्रेस को लाने की कोशिश में हैं। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा लिए गए फ़ैसले कांग्रेस के लिए चुनावी हथियार साबित हो सकते हैं। पिछले दिनों सीएम चन्नी की अध्यक्षता मैं कैबिनेट बैठक हुई। इस दौरान कई अहम फ़ैसले लिए गए जो की चुनावी प्रचार-प्रसार के दौरान कांग्रेस को फ़ायदा पहुंचा रही है। सफ़ाई कर्मचारियों को पक्का करने का फ़ैसला सफ़ाई कर्मचारियों को पक्का करने का फ़ैसला पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में ‘सफाई सेवकों’ को पक्का करने पर फ़ैसला लिया गया। सीएम चन्नी के इस फ़ैसले से आगमी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका फ़ायदा मिल सकता है क्योंकि मतदाताओं के ऐतबार से देखें तो करीब चार हज़ार सफ़ाई कर्मचारियों की नौकरी पक्की हो गई। पक्के हुए कर्मचारी ख़ुश हो कर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वोट दे सकते हैं इन चार हज़ार परिवारों की वजह से एक तरह से कांग्रेस का चुनाव प्रचार भी घर-घर तक पहहुंच रहा है। वहीं कैबिनेट बैठक में बकाया बिजली के बकाया बिल को माफ करने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
किसानों को भी साधने की कोशिश किसानों को भी साधने की कोशिश पंजाब में कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसान संगठन सियासी दलों का बहिष्कार कर रहे थे लेकिन खेती बिल की वापसी के बाद सियासी समीकरण बदलते हुए नज़र आ रहे हैं। एक तरफ़ भाजपा कृषि कानूना वापस करने के फ़ैसले का सियासी माइलेज लेना चाह रही है। वहीं दूसरी ओर सीएम चन्नी की कैबिनेट ने कपास की फसल के नुकसान पर राहत राशी को 12 हजार रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 17 हजार रुपए प्रति एकड़ करने की मंजूरी दे दी है। सीएम चन्नी के इस फ़ैसले से किसानों का झुकाव कांग्रेस की तरफ़ हो सकता है क्योंकि किसान आंदोलन की वजह से भाजपा की तरफ़ किसानों का रुख होने की कम उम्मीद है दूसरी तरफ़ कांग्रेस के दिए सौगात की वजह से किसान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पाले में जा सकते हैं। पानी का बकाया बिल माफ़ी का लिया फ़ैसला पानी का बकाया बिल माफ़ी का लिया फ़ैसला सीएम चन्नी की कैबिनेट ने जो पंजाब में बकाया बिजली बिल माफ़ी का फ़ैसला किया है। इस फ़ैसले से पंजाब पर पांच सौ करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ बढेगा। अगर इसके सियासी फ़ायदे की बात की जाए तो पंजाब सरकार पर आर्थिक बोझ तो पड़ेगा लेकिन जिन परिवारों के हज़ारों रुपये का बक़ाया बिल माफ होगा तो कही न कही सरकार के प्रति उसका झुकाव देखने को मिल सकता है जो कि वोट में भी बदल सकता है। सरकार की तरफ से लिए गए फैसले के मुताबिक ग्रामीण उपभोक्ताओं के 256.97 करोड़ रुपये और शहरी उपभोक्ताओं को 17.98 करोड़ रुपये के बिल माफ किए जाएंगे। इसके साथ ही ग्राम पंचायत और समितियों की तरफ से चलाई जा रही जल आपूर्ति योजनाओं के भी 224.55 करोड़ रुपये माफ होंगे। ज़ाहिर सी बात है कि जिन परुवारों के बिल माफ़ होंगे उसमें ज़्यादातर परिवार के वोट तब्दील होने की उम्मीद है। चूंकि पंजाब में कांग्रेस सत्ता में है तो चुनाव के वक्त कनवर्ट हुए वोट कांग्रेस को ही मिलेंगे।
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इससे हले एक और बड़ा क़दम बिजली बिल दरों में कटौती का उठाया था। पंजाब में बिजली की दरें सभी सियासी दलों का चुनावी मुद्दा बना हुआ था। लेकिन सीएम चन्नी ने बिजली समझौता रद्द करते हुए बिजली की दरें में कटौती कर दी। इसके साथ ही चन्नी कैबिनेट ने दिसंबर के बजाए नवंबर से ही बिजली की दरें 3 रुपये प्रति यूनिट करने कम करने के फ़ैसले पर मुहर लगा दी। आपको बता दें कि 7 किलोवॉट तक लोड वाले उपभोक्ताओं के टैरिफ में 3 रुपये प्रति यूनिट कम किए जाएंगे। सरकार के इस फ़ैसले से सरकार के खज़ाने पर 151 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आर्थिक बोझ आएगा। नहीं चन्नी कैबिनेट ने पंजाब अपार्टमेंट एंड प्रॉपर्टी रेग्युलेशन एक्ट में नया नियम शामिल करते हुए अनधिकृत कॉलोनियों और प्लॉट को नियमित करने का फ़ैसला लिया गया है। इसी के तहत जालंधर में दो निजी स्कूलों के निर्माण को भी मंजूरी दी गई है। सीएम चन्नी ने जो फ़ैसले लिए हैं पंजाब कांग्रेस के लिए यह फ़ैसले चुनावी पथियार की तरह काम आ सकते हैं।