जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में चुनाव सिर पर हैं और इससे ठीक पहले आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय, जीएसटी विभाग सक्रिय हो गए हैं। पीयूष जैन के यहां से मिली अकूत सम्पत्ति के बाद अब इन संस्थाओं ने पुष्पराज जैन का दरवाजा खटखटाया है। समाजवादी पार्टी अभी पीयूष जैन के मामले से पल्ला झाड़ भी नहीं पाई थी कि उसके सामने सवालों की एक और लंबी सूची तैयार होने वाली है। हालांकि अखिलेश यादव ये पहले ही कह चुके हैं कि पीयूष जैन तो गलती से इन संस्थाओं का शिकार हो गए है, जबकि इनका असली टारगेट पुष्पराज जैन थे।
पीयूष जैन के यहां छापे के बाद अखिलेश यादव ने एक जनसभा में कहा था कि भाजपा वाले तो नाम में धोखा खा गए, समाजवादी इत्र जिसने लॉन्च किया था उसका नाम पुष्पराज जैन है। इन लोगों को किसी ने गलत सूचना दे दी और ये पीयूष जैन के घर पहुंच गए जहां भाजपा वालों का पैसा छिपा पड़ा था।
पीयूष जैन के घर से मिले नोटों के बंडल
इन सब के बावजूद इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों पर हुई जीएसटी की रेड के बाद जिस तरह से दीवारों के अंदर, अंडरग्राउंड तहखानों में से नोट के बंडल मिले उससे राजनीतिक पार्टियों के हाथ में सपा को घेरने के लिए एक बड़ा चुनावी मुद्दा हाथ लग गया है।
खुद प्रधानमंत्री, गृहमंत्री से लेकर तमाम मंत्री और नेता पीयूष जैन को सपा का सगा बताने में लग गए हैं। वहीं समाजवादी पार्टी इससे शुरू से ही अपना पल्ला झाड़ रही है। अखिलेश यादव पीयूष जैन मामले को लेकर प्रेसवार्ता करने वाले थे और पुष्पराज जैन इसका हिस्सा बनने वाले थे लेकिन अब एक बार फिर समाजवादी पार्टी को कुछ नए सवालों का सामना करना पड़ सकता है।
तो क्या अखिलेश के बोल ने पड़वाई पुष्पराज के घर रेड
ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि आज (31 दिसंबर) इत्र कारोबारी और समाजवादी पार्टी के एमएलसी पुष्पराज जैन के यहां पड़े आयकर विभाग के छापे पर अखिलेश यादव ने जो कहा था वह बात सच थी। क्या पहले जो जीएसटी की रेड कारोबारी पीयूष जैन के यहां पड़ी थी वह गलती से पड़ी और वह वास्तव में पुष्पराज जैन के यहां पड़ने वाली थी।