जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । नेपाल में चल रहे राजनीतिक अस्थिरता पर भारत ने साफ तौर पर कहा है कि नेपाल के आंतरिक मामले में भारत किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगा। नेपाल में जारी गतिरोध से भारत पर भी असर पड़ रहा है। भारत ने कहा है कि नेपाल की स्थिति खराब होने से उसे भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
भारत की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब नेपाल ने धमकी दी कि यदि नाकेबंदी समाप्त नहीं हुई तो वह भारत से परे कहीं और रास्ते की तलाश करेगा । भारत में नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा है कि यदि असंवैधानिक विरोध करने वाले लोगों ने उसकी सीमाओं पर नाकेबंदी को खत्म नहीं किया तो उनके देश को भारत से परे कहीं और देखना पड़ेगा तथा उसका स्वाभाविक भागीदार चीन होगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नेपाल से बेहतर संबंध बनाए रखने के लिए भारत हमेशा से प्रयास किया है। संबंध को मजबूती देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो बार नेपाल की यात्रा कर चुके हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी नेपाल का दौरा कर चुकी हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि नेपाल के संविधान में सभी वर्गों पर ध्यान रखा जाए और सबों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके इसका प्रावधान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नेपाल के नौ प्रवेश मार्ग पर पांच हजार से ज्यादा ट्रक खड़े हैं। नेपाल में आंदोलन चल रहा है जिसके कारण कोई भी ट्रक लेकर अंदर नहीं जाना चाहता है, क्योंकि सुरक्षा की समस्या है।
विकास स्वरूप ने भारतीय सेंटीमेंट जगाने के आरोप का जवाब देते हुए कहा कि इसे जगाने वाला कौन है। वहां की सरकार और व्यवस्था के कारण लोगों में यह भावना जगी है न कि भारत के कारण। भारत हमेशा से शांति और सुरक्षा का पक्षधर रहा है।
नेपाल में नाकेबंदी के कारण आवश्यक वस्तुओं के परिवहन पर बुरी तरह प्रभाव पड़ा है, विशेषकर इंर्धन पर। इंडियन आयल कार्पोरेशन एवं नेपाल आयल कार्पोशन के बीच समझौते हैं जिसके कारण भारत तेल आपूर्ति करता है। नेपाल तीन तरफ से भारत से घिरा है । एक तरफ हिमालय है जहां की भौगोलिक स्थिति बहुत दुर्गम है ।