जनजीवन ब्यूरो / देहरादून । उत्तर प्रदेश में पहले व दूसरे चरण के चुनाव में 20 विधायकों का टिकट कटने के बाद उत्तराखंड के विधायकों हाथ फूलने लगे हैं दिल्ली में नामों पर मंथन होने से पहले भाजपा के आधा दर्जन से ज्यादा विधायक अपने टिकट बचाने में जुट गए हैं। भाजपा के लिए अब सिटिंग विधायकों की नाराजगी ही सबसे बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। पार्टी के अंदर सर्वे और दूसरे तरीकों से सिटिंग विधायकों की परफॉरमेंस के आधार पर ही टिकट दिए जाने की चर्चा ने कई विधायकों के इस बार टिकट कटने के संकेत मिल रहे हैं। जिनके नामों पर लगातार मीडिया में खबरें वायरल हो रही हैं। ऐसे विधायकों ने अब टिकट प्रक्रिया शुरू होते ही एकजुटता दिखाना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को ऐसा ही नजारा देखने को मिला जब भाजपा के आधा दर्जन से ज्यादा विधायक पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर मिलने पहुंचे।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र से मिले आधा दर्जन विधायक
सूत्रों का दावा है कि इस पर आगे की रणनीति पर भी चर्चा हुई है। जिसमें टिकट ही सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। जो विधायक इस दौरान आवास पर मौजूद रहे, इनमें टिहरी विधायक धन सिंह नेगी, पौड़ी से मुकेश कोली, लैंसडाउन से दिलीप सिंह रावत, प्रताप नगर से विजय सिंह पंवार ,नानकमत्ता से प्रेम सिंह राणा रुद्रप्रयाग से भरत चौधरी शामिल रहे । पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत से मुलाकात करने वाले अधिकतर विधायक ऐसे हैं कि जिनके टिकट काटे जाने को लेकर संगठन में चर्चाएं जोर शोर से चल रही है। शनिवार को भाजपा कोर ग्रुप की बैठक होनी है। जिसमें उम्मीदवारों के चयन को लेकर विस्तृत चर्चा होगी। जिला पदाधिकारियों के फीडबैक को लेकर भी इस में चर्चा की जाएगी। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मिलकर यह सभी विधायक अपने कटते हुए टिकट को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरीके से सभी सिटिंग विधायक एकजुटता के जरिए हाईकमान पर प्रेशर पॉलिटिक्स भी जता रहे हैं। जिससे किसी का भी टिकट कटने पर एकजुट नजर आ सकें। भाजपा इस बार मिशन 60 प्लस के लिए जिताऊ प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की बात कर रही है। जिस वजह से सिटिंग विधायकों की भी परफॉरमेंस देखी जा रही है। इन विधायकों की क्षेत्र में पकड़ और काम के आधार पर सर्वे किया जा चुका है।
दर्जनभर से ज्यादा विधायकों के टिकट कटने के संकेत
भाजपा सूत्रों का दावा है कि दर्जन भर से अधिक ऐसे विधायक हैं जो इस सर्वे और रिपोर्ट में पिछ़ड रहे हैं। ऐसे में इन विधायकों को इस बात की भनक लगते ही ये क्षेत्र में सक्रिय होने के साथ ही सीनियर नेताओं की परिक्रमा में जुटे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर मुलाकात करना इसी का परिणाम माना जा रहा है। लेकिन क्या त्रिवेंद्र सिंह रावत इन सभी विधायकों को टिकट दिला पाएंगे। ये बड़ा सवाल है। भाजपा सूत्र दावा कर रहे हैं कि डोईवाला में त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद सर्वे में पीछे होते नजर आ रहे हैं। ऐसे में दूसरे विधायकों की पैरवी करना आसान नहीं होगी। भाजपा का दूसरा खेमा इन विधायकों के एकजुट होने को प्रेशर पॉलिटिक्स बता रहे हैं।