आलोक रंजन / नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विधानसभा चुनाव के पहले उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। पार्टी ने पहले और दूसरे फेज के लिए 107 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। भगवा दल ने जहां 20 फीसदी विधायकों के टिकट काटे हैं तो 10 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को उतारा है। लिस्ट में 63 मौजूदा विधायकों के नाम हैं तो 21 नए चेहरों को शामिल किया गया है। इसके अलावा पार्टी ने दलितों और पिछड़ों पर भी बड़ा दांव खेला है। पार्टी की पहली लिस्ट पर नजर डालें तो इसमें ओबीसी कैंडिडेट्स का दबदबा ज्यादा दिखाई दिया। लिस्ट में शामिल करीब 60 फीसदी उम्मीदवार पिछड़ी जातियों से ताल्लुक रखते हैं। हाल ही में तीन मंत्रियों समेत कई ओबीसी उम्मीदवारों के पार्टी छोड़ने के बाद भाजपा ने 60 फीसदी से अधिक सीटों पर दलित और पिछड़ों को टिकट दिया है। पार्टी ने ऐसी सीटों पर भी ओबीसी और एससी उम्मीदवार उतारे हैं जो आरक्षित नहीं हैं।
107 बीजेपी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट केंद्रीय मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र प्रधान ने जारी की। इस दौरान उन्होंने बताया कि उम्मीदवारों में डॉक्टरों, महिलाओं और कई सिटिंग विधायकों का नाम है। इसके अलावा 21 नए चेहरों के साथ चुनावी मैदान में बीजेपी उतरने को तैयार है।
मालूम हो कि आज 107 नामों की घोषणा की गई जिसमें से 83 सिटिंग विधायक हैं और 63 सिटिंग विधायक को रिपीट किया गया है। इसके अलाला 20 प्रत्याशी बदले गए है और 21 नए चेहरों को स्थान दिया गया है। कुल 107 सीटों में से भाजपा ने महिलाओं के लिए 10 सीटें, ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 44 सीटें और एससी के लिए 19 सीटें रिजर्व की हैं। महिला प्रत्याशियों में सबसे चर्चित नाम बेबी रानी मौर्य का है। वो पहले उत्तराखंड की राज्यपाल थीं। हाईकमान के निर्देश के बाद उन्होंने पिछले साल पद से इस्तीफा दे दिया और यूपी की राजनीति में सक्रिय हो गईं। अब उन्होंने आगरा ग्रामीण से ताल ठोकी है।
ओबीसी-दलित वोट साधने की कोशिश
भाजपा को 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व सफलता मिली थी। पार्टी 403 विधानसभा सीटों में से 300 से अधिक पर कमल खिलाने में कामयाब रही थी। माना जाता है कि उस समय बीजेपी को ओबसी और दलित मतदाताओं का काफी साथ मिला था। लेकिन हाल ही में जिस तरह कई ओबीसी नेताओं ने भाजपा से किनारा किया, उसके बाद भगवा कैंप की चिंता बढ़ गई थी। सपा में शामिल होने के बाद शुक्रवार को स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव की मौजूदगी में चुनाव को अगड़ों और पिछड़ों की लड़ाई बताने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने यहां तक कहा कि सरकार 85 फीसदी पिछड़े बनाते हैं और मलाई 15 फीसदी अगड़े खाते हैं। ऐसे में भाजपा ने अधिकतर सीटों पर ओबीसी-दलित उम्मीदवारों को उतारकर बड़ा दांव चल दिया है। माना जाता है कि राज्य की आबादी में करीब 45 फीसदी हिस्सेदारी ओबीसी की है।