अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने रविदास जयंती के कारण पंजाब विधानसभा चुनाव की तिथि में फेर बदल कर 20 फरवरी कर दिया है। दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव के लिए पंजाब कांग्रेस की पहली सूची जारी होते ही पार्टी में बगावत शुरू हो चुकी है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अपने क़रीबियों को टिकट दिलाने में जुटे हुए हैं। ग़ौरतलब है कि कांग्रेस ने अपनी पहली सूची में मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है। मलोट, मोगा, मनसा और श्री हरगोविंदपुर के मौजूदा विधायकों को नाम पहली सूची में शामिल नहीं किया गया, वहीं 12 और भी टिकट के दावेदारों का नाम सूची से ग़ायब है।
टिकट बंटवारे के बाद बढ़ी नाराज़गी
पंजाब के चुनावी रण में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भाई डॉ. मनोहर सिंह खुद को बस्सी पठानां से टिकट का दावेदार मान रहे थे और उन्होंने चुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी थी, लेकिन बस्सी पठाना से मौजूदा विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी को चुनावी रण में उतारा गया है। सीएम चन्नी के भाई ने बग़ावती सुर तेज़ करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। हालांकि सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस डॉ. मनोहर सिंह को मनाने की पुरज़ोर कोशिश में है। आपको बता दें कि चुनाव सड़ने की वजह उन्होंने पिछले महीने सरकारी एसएमओ की पद से इस्तीफा दे दिया था और बस्सी पठानां सीट से चुनाव लड़ने की ख्वाहिश का इज़हार किया था। श्री हरगोविंदपुर से विधायक बलविंदर सिंह लाडी ने टिकट कटने की वजह से ही कांग्रेस का दामन छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे।
CM चन्नी के कहने पर भी नहीं मिला टिकट
सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने ही श्री हरगोविंदपुर से विधायक बलविंदर सिंह लाडी को टिकट का आश्वासन देकर पार्टी में वापस बुलाया था। सीएम चन्नी के आश्वासन के बाद ही लाडी छह दिनों में ही भाजपा को छोड़कर वापस कांग्रेस में शामिल हुए थे। इसके बावजूद पहली सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया गया। खबर यह आ रही है कि अगर दूसरी सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया था तो वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी रण में उतर सकते हैं। वहीं सीएम चन्नी के क़रीब रिश्तेदार मोहिंदर सिंह केपी को भी टिकट नहीं दिया गया है। वह आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे और वहां से टिकट के दावेदार भी माने जा रहे थे। ग़ौरतलब है कि पिछले महीने दिसंबर में सुखविंदर सिंह कोटली बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए और पार्टी ने उन्हें आदमपुर से उम्मीदवार घोषित कर दिया। इन्ही सब वजहों से पंजाब कांग्रेस में असंतोष पनप रहा है।
सिद्धू और चन्नी आमने-सामने
पंजाब कांग्रेस ने मोगा के मौजूदा विधायक हरजोत कमल के जगह पर मालविका सूद को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया । इससे नाराज़ होकर हरजोत कमल ने कांग्रेस को अलविदा कह भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली है। अजैब सिंह भट्टी जो उप विधानसभा अध्यक्ष हैं वह भी मलोट से टिकट की दावेदारी कर रहे थे लेकिन उन्हें भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया। हाल ही में रूपिंदर कौर रूबी ने आम आदमी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली थी। पार्टी ने मलोट से उन्हें (रूबी) को उम्मीदवार घोषित किया है। इसके अलावा मानसा विधानसभा सीट से पुराने कांग्रेसी नेता नजर सिंह मनशाहिया, चुष्पिंदरबीर चहल टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे लेकिन पार्टी ने उनकी जगह गायक सिद्धू मूसेवाला को चुनावी रण में उतारा है। सियासी गलियारों में यह चर्चाएं ज़ोरों पर हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू की वजह से चन्नी के क़रीबी लोगों को टिकट नहीं दिया गया है। यह वजह कि सिद्धू और चन्नी में तकरार बढ़ सकती है। हालांकि सिद्धू भी भोलाथ और फतेहगढ़ चुरियन से अपने करीबी को टिकट नहीं दिलाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं। सभी की निगाहें दूसरी सूची पर टिकीं हुईं हैं अगर उसमें नाम नहीं आता है तो फिर चुनाव में कांग्रेस के लिए काफ़ी मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।