प्रीति झा / नोएडा । गौतम बुद्ध नगर में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। यहां से तीन दिन पहले नामांकन दाखिल करने वाले सपा रालोद गठबंधन में आरएलडी के प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना ने अपना नाम वापस ले लिया है। वे गौतमबुद्ध नगर की जेवर विधानसभा से प्रत्याशी थे। वे कोविड पॉजिटिव पाए गए हैं। इस बात की जानकारी उनके वकील ने दी और कहा कि अवतार सिंह भड़ाना जेवर विधानसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे।
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही आरएलडी ने पिछले हफ्ते अपने 29 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी, जिसमें भड़ाना को गौतम बुद्ध नगर जिले की जेवर सीटे से आरएलडी का उम्मीदवार बनाया गया था। भड़ाना ने इससे कुछ दिनों पहले ही भाजपा छोड़ आरएलडी का दामन थामा था।उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुजफ्फरनगर जिले के मीरापुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।
भाजपा में शामिल होने से पहले वह फरीदाबाद से कांग्रेस के चार बार के सांसद रह चुके हैं। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से 7 चरणों में चुनाव होगा, जबकि चुनाव परिणाम 10 मार्च को घोषित होंगे। वर्तमान में भाजपा के धीरेंद्र सिंह जेवर विधानसभा से विधायक हैं। जेवर में 10 फरवरी को ही चुनाव होगा, इस विधानसभा में 3.46 लाख वोटर हैं। भाजपा ने जेवर में जिस तरह विकास की घोषणाएं की हैं, उससे इस सीट पर किसी और पार्टी के उम्मीदवार की जीत काफी मुश्किल दिखाई दे रही है। बता दें कि जेवर में भारत का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनना शुरू हो चुका है, जिसका उद्घाटन हाल ही में पीएम मोदी और सीएम योगी ने किया था।
भाजपा छोड़कर आरएलडी में शामिल हुए
हरियाणा के रहने वाले 64 साल के अवतार सिंह भड़ाना का लंबा राजनीतिक सफर है। वह कांग्रेस के टिकट फरीदाबाद से तीन बार और मेरठ से एक बार सांसद रहे चुके हैं। साल 2017 में भाजपा से मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा और महज 193 वोटों से जीत दर्ज की।
योगी सरकार में वह अपनी अनदेखी मानते रहे। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने हरियाणा की फरीदाबाद सीट से कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और हार गए। इसके बाद 12 जनवरी को दिल्ली में रालोद मुखिया जयंत चौधरी से मिलकर राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हुए।
चुनाव न लड़ने की पांच मुख्य वजह
हार का डर- अवतार भड़ाना चार बार सांसद रह चुके हैं और मौजूद समय में मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से विधायक हैं। मीरापुर सीट पर 2017 में मात्र 193 वोटों से जीत नसीब हुई थी। जीत के बाद वह मीरापुर की तरफ कम गए। योगी कैबिनेट में जगह नहीं मिली, तो पार्टी बदलने का फैसला लिया और सुरक्षित सीट मानते हुए गौतमबुद्धनगर की जेवर सीट की तैयारी की। यहां आरएलडी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया। मगर, हार के डर के कारण अवतार भडाना ने अपना पर्चा वापस ले लिया।
गुर्जर बिरादरी को न साध पाना- अवतार भड़ाना के पास तीन दशक की राजनीति का लंबा अनुभव है। चुनाव भी वह पैराशूट से उतरे उम्मीदवार के रूप में लड़ते रहे हैं। पिछले एक सप्ताह में उन्होंने जमीनी हकीकत भी जेवर विधानसभा में देख ली। इस सीट पर भाजपा के मौजूद विधायक धीरेंद्र सिंह की स्थिति के आगे वह कमजोर नजर आए। कांग्रेस और बसपा ने भी गुर्जर को टिकट दिया। गुर्जर वोटों में बंटवारा होता देखकर वह चुनाव से पीछे हट गए।
कहीं भाजपा का दबाव तो नहीं- अवतार भड़ाना पर भाजपा का दबाव भी माना जा सकता है। वह मूलत: हरियाणा के रहने वाले हैं, जहां भाजपा सरकार है। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि उनका कहीं कारोबार प्रभावित न हो। ऐसे में वह चुनाव से पीछे हट गए। भाजपा में रहते हुए वह किसानों के पक्ष में बोलते रहे हैं। नोएडा में मिहिर भोज प्रकरण में भी वह गुर्जरों की महापंचायत में शामिल हुए। अब भाजपा कहीं उन्हें साधने की कोशिश तो नहीं कर रही।
सुरक्षित सीट की तलाश- अवतार सिंह भड़ाना ने अपना टिकट रालोद के सिंबल पर वापस ले लिया है। वह सियायत में माहौल को भांपने की कोशिश कर रहे हैं। यह भी चर्चा है कि वह बसपा में शामिल हो सकते हैं। अवतार सिंह भड़ाना के दूसरे भाई करतार सिंह भड़ाना को बसपा ने मुजफ्फरनगर की खतौली सीट से प्रत्याशी बनाया है। वह बाद में कह सकते हैं कि मैं कोरोना से ठीक होकर चुनाव लड़ने की स्थिति में हूं। ऐसे में वह अपने लिए दूसरी पार्टी से सुरक्षित सीट की तलाश में भी बताए जा रहे हैं।
पार्टी में तालमेल न बैठना- राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि कोरोना पॉजिटव होने के कारण अवतार सिंह भड़ाना ने चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है। हालांकि, अंदरखाने में यह भी चर्चा है कि लोकदल में आने के बाद वह पार्टी के प्रति वफादारी नहीं निभा रहे थे। उनके टिकट काटे जाने की चर्चा है। इस पर लोकदल ने अपना अधिकारिक बयान जारी नहीं किया है क्योंकि अवतार भड़ाना के दूसरे भाई भी बसपा में शामिल हुए हैं।