अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । पहले बीजेपी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को अयोध्या की बजाए गोरखपुर शहर से टिकट देकर सियासी हलचल पैदा की तो उसका जवाब समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने दिया। सपा ने अखिलेश का टिकट मैनपुरी जिले के करहल सीट से फाइनल कर दिया है। यानी वर्तमान सीएम और पूर्व सीएम दोनों इस बार चुनावी मैदान में होंगे। वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगी। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर शुक्रवार को तस्वीर साफ हो गई है। कांग्रेस मुख्यालय में उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस के घोषणा पत्र जारी करने के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा वह सीएम चेहरा हैं।
पत्रकारों के उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के मुख्यमंत्री चेहरा के बारे में पूछने पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने स्पष्ट कहा कि क्या आपको उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की तरफ से किसी और का चेहरा दिख रहा है। मेरा चेहरा हर जगह दिख रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी काफी अच्छा प्रदर्शन करेगी। जहां तक मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बारे में सवाल है, तो मेरा ही चेहरा सबसे अधिक दिख रहा है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव तथा उत्तर प्रदेश की कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि पंजाब में हमारी पार्टी के सभी नेता सामूहिक रूप से पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने के प्रयास में लगे हैं। उत्तराखंड में भी परिणाम हमारे पक्ष में रहेंगे। उत्तर प्रदेश में हमारी पार्टी के प्रत्याशी काफी अच्छा चुनाव लड़ेंगे। जिससे कि लोगों को कुछ अप्रत्याशित परिणाम भी देखने को मिलेंगे।
उत्ततर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने महिला कार्ड चला है। लड़की हूं लड़ सकती हूं के नारे के साथ कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी चुनाव मैदान में नजर आ रही हैं। अभी तक लोग ये जानना चाहते थे कि कांग्रेस का इस इस चुनाव में सीएम चेहरा कौ0न होगा? शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रें स में प्रियंका गांधी ने इसका खुलासा करते हुए कहा क्या आपको मेरे अलावा किसी और का चेहरा दिख रहा है?
आगामी यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने ये जवाब दिया। उन्हों ने कहा आप उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी से किसी और का चेहरा देखते हैं? आप हर जगह मेरा चेहरा देख सकते हैं।
यूपी में महिलाओं और युवाओं को टॉरगेट कर रही कांग्रे
403 सदस्यीय उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए सात चरणों में 10 फरवरी से 7 मार्च तक मतदान होना है! वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी। कांग्रेस पार्टी जो पिछले वर्षों में उत्तर प्रदेश में चंद सीटों पर सिमट कर रह गई है, इस चुनाव में युवाओं और महिलाओं को वो टारगेट कर रही है। यूपी में सबसे पहले कांग्रेस ने महिलाओं के लिए 40 प्रतिशत टिकट आरक्षित कर दिए हैं। प्रियंका गांधी ने यूपी में लंबे समय से कांग्रेस में नई जान फूंकने में जुटी हुई हैं। वो यूपी जैसे प्रदेश में कांग्रेस के अभियान की अगुवाई कर रही हैं, जहां कांग्रेस पार्टी 1989 से सत्ता से बाहर है।
कांग्रेस ने किया है ये दावा
इससे पहले प्रियंका और उनके भाई राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र जारी करते हुए कहा कि केवल पार्टी ही राज्य में युवाओं को एक नया दृष्टिकोण दे सकती है। प्रियंका ने कहा कि राज्य में सबसे बड़ी समस्या भर्ती है और युवा निराश हैं। उन्होंने कहा कि यूपी में उनकी पार्टी चाहती है कि विकास पर ध्यान दिया जाए, न कि जाति या सांप्रदायिकता पर आधारित नकारात्मक प्रचार पर।
जनमत सर्वेक्षण में कांग्रेस को मिल रही महज इतनी सीटें
बता दें कई जनमत सर्वेक्षणों ने विधानसभा चुनावों में सबसे पुरानी पार्टी की हार की भविष्यवाणी की है। ग्राउंड जीरो रिसर्च फॉर इंडिया टीवी के एक जनमत सर्वेक्षण के अनुसार, कांग्रेस पार्टी चुनाव में 2 से 5 सीटें जीतेगी।
2017 में कांग्रेस ने जीती थी महज 7 सीटें
2017 में हुए पिछले चुनाव में, भाजपा ने 403 विधानसभा सीटों में से 312 पर जीत हासिल करते हुए शानदार जीत दर्ज की थी। सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी ने 47 सीटें हासिल की थीं और कांग्रेस को सिर्फ सात सीटें मिली थीं।
दशकों से यूपी में नहीं बनी कांग्रेस की सरकार
उत्तर प्रदेश में 1967 तक कांग्रेस के मुख्यमंत्री थे, फिर 1969 से 1970 तक कांग्रेस सीएम रहे। राज्य ने राष्ट्रपति शासन की एक छोटी सी अवधि को छोड़कर 1975 तक कांग्रेस के ही सीएम रहे। कांग्रेस नेता एनडी तिवारी उत्तर प्रदेश के सीएम के रूप में सेवा करने वाले अंतिम कांग्रेस नेता थे। उन्होंने तीन बार पद संभाला – 1976 से 1977 तक, 1984 से 1985 और 1988 से 1989 तक। इसके बाद से कांग्रेस का एक भी मुख्यमंत्री ऐसा नहीं हुआ जिसने देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य यूपी पर शासन किया।
सीएम पद की होड़ में चार चेहरे
यह यूपी चुनाव प्रतियोगिता को और भी दिलचस्प बनाता है, जिसमें चार भारी नेता सीएम पद के लिए होड़ में हैं – योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव, मायावती और प्रियंका गांधी। जबकि सीएम योगी और अखिलेश यादव ने पुष्टि की है कि वे क्रमशः गोरखपुर और करहल सीटों से चुनाव लड़ेंगे, मायावती चुनाव नहीं लड़ेंगी। अब, सभी की निगाहें प्रियंका पर होंगी कि क्या वह चुनाव लड़ती हैं या अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो विधान परिषद का रास्ता अपनाएगी। हालांकि औपचारिक घोषणा का इंतजार है।
कांग्रेस ने महिलाओं पर लगाया दांव
कांग्रेस पार्टी ने इस बार यूपी चुनाव में महिलाओं पर बड़ा दांव लगाया है। पार्टी ने न केवल महिलाओं के लिए 40 फीसदी टिकट आरक्षित किए हैं, बल्कि उनके लिए 40 फीसदी नौकरियां आरक्षित करने का भी वादा किया है। पार्टी पहले ही छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी देने का वादा कर चुकी है। प्रियंका ने ‘भारती विधान’ नाम से पार्टी के युवा घोषणापत्र को लॉन्च करते हुए वादा किया कि अगर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में आती है, तो प्राथमिक स्कूलों में 1.5 लाख शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा।
मैनपुरी के करहल सीट से लड़ेंगे अखिलेश
दरअसल इससे पहले समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के मैनपुरी के करहल से चुनाव लड़ने के लिए तैयार होने के साथ, आगामी यूपी चुनावों में न केवल एक सीट जीतने के लिए, बल्कि इसे एक सुविधाजनक तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि आसपास के कई जिलों में इसका असर डाला जा सके। इसी को ध्याान में रखते हुए सपा ने अखिलेश को करहल सीट से टिकट दिया जहां इतिहास इस बात की गवाही देता है कि वहां बीजेपी केवल एक बार ही जीत पाई है। यानी सपा के लिहाज से वह बेहद सेफ सीट है। लेकिन इस सीट के पास करीब आधा दर्जन जिलों में अखिलेश के लड़ने का असर बनेगा ऐसा पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है।
गोरखपुर शहरी सीट से लड़ेंगे योगी
ठीक इसी तरह बीजेपी ने गोरखपुर (शहरी) से सीएम योगी आदित्यनाथ और सिराथू (कौशांबी) से डिप्टी सीएम केशव मौर्य की उम्मीदवारी की घोषणा के साथ एक हफ्ते से अधिक समय पहले इस प्रवृत्ति को पकड़ लिया। जबकि योगी गोरखपुर से पांच बार भाजपा के सांसद रहे, जब तक उन्होंने 2017 में यूपी की बागडोर संभाली, मौर्य ने 2014 के लोकसभा चुनावों में फूलपुर से सांसद के रूप में चुने जाने से पहले 2012 के विधानसभा चुनावों में पहली बार भगवा संगठन के लिए सिराथू जीता। योगी और मौर्य दोनों वर्तमान में यूपी विधान परिषद के सदस्य हैं।
योगी के लड़ने का पूर्वांचल में होगा असर
भाजपा सूत्रों ने कहा, गोरखपुर से योगी की उम्मीदवारी का असर कोर पूर्वांचल क्षेत्र की कम से कम 50 विधानसभा सीटों पर पड़ सकता है, खासकर आजमगढ़, महाराजगंज, बस्ती, देवरिया, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर और संत कबीर नगर जिलों में। इसी तरह, भाजपा वाराणसी, गाजीपुर, मऊ, प्रयागराज, कौशाम्बी, प्रतापगढ़ और विंध्य क्षेत्र के कुछ हिस्सों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मौर्य की उम्मीदवारी पर दांव लगाया है।
अखिलेश मैनपुरी से बनाएंगे माहौल
इसी तरह, अखिलेश, हालांकि पूर्वी यूपी के आजमगढ़ से सांसद हैं, अपने पिता और सपा संरक्षक मुलायम सिंह की संसदीय सीट मैनपुरी के करहल से चुनाव लड़ेंगे। सूत्रों ने कहा, अखिलेश शुरू में आजमगढ़ की गोपालपुर सीट पर विचार कर रहे थे, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में सपा के नफीस अहमद कर रहे हैं। आजमगढ़ भी सपा का गढ़ था, जहां उसने 2017 में 10 में से पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा, भगवा लहर के बावजूद, फूलपुर पवई में केवल एक सीट जीत सकी। राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा, अखिलेश यादव बेल्ट से मैदान में आने से पार्टी को न केवल यादव और मुसलमानों के अपने मूल वोट-बैंक को मजबूत करने में मदद मिल सकती है, बल्कि गैर-यादव ओबीसी को भी स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान के दलबदल के बाद में मदद मिल सकती है।