प्रीति झा / देहरादून । उत्तराखंड में चुनाव से ठीक पहले दलबदल का खेल चरम पर है। नामांकन की आखिरी तारीख से पहले ही भाजपा को किशोर उपाध्याय के रुप में एक बड़ा चेहरा मिल गया है। उधर किशोर उपाध्याय के भाजपा ज्वाइन करते ही टिहरी के विधायक धन सिंह नेगी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। धन सिंह नेगी ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से मिलकर कांग्रेस की सदस्यता ली। उन्होंने किशोर उपाध्याय और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दोनों नेताओं के दलबदल के बाद साफ हो गया है कि टिहरी में किशोर उपाध्याय और धन सिंह नेगी के बीच फिर से मुकाबला होगा। हालांकि इस बार दोनों अलग-अलग दलों से चुनाव लड़ेंगे।
2017 से कांग्रेस में कर रहे थे असहज महसूस
करीब 40 वर्षों तक कांग्रेस के साथ रहे किशोर उपाध्याय अचानक ही भाजपा में शामिल नहीं हुए। किशोर उपाध्याय 2017 के विधानसभा चुनाव से ही कांग्रेस पार्टी में खुद को असहज महसूस कर रहे थे, इसके पीछे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की भी भूमिका रही है। किशोर उपाध्याय ने बतौर कांग्रेस अध्यक्ष कांग्रेस को मजबूत करने का काम किया। किसी समय हरीश रावत के सबसे करीबी रहे किशोर 2017 के चुनाव के बाद से हरीश रावत के विरोधी खेमे में शामिल हो गए। किशोर उपाध्याय ने वनाधिकार आंदोलन लड़कर प्रदेश के जल, जंगल, जमीन के लिए लड़ाई लड़नी भी शुरू की। इसके लिए उन्होंने पार्टी फोरम से बाहर आकर भी दूसरे दलों के नेताओं से संवाद स्थापित किया। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से भी मिलकर उन्होंने वनाधिकार को लेकर समर्थन मांगा। इसके बाद वे भाजपा के नेताओं के संपर्क में आए। करीब एक माह से चल रहा लुकाछुपी का खेल गुृरुवार को खत्म हो गया और किशोर उपाध्याय ने भाजपा की सदस्यता ले ली। किशोर उपाध्याय के भाजपा ज्वाइन करने से कुछ घंटे पहले ही कांग्रेस ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया।
2 बार विधायक, एक बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे किशोर
1 जून 1958 को ग्राम पाली, जाखणीधार, टिहरी गढ़वाल में जन्में किशोर उपाध्याय ने स्नातकोत्तर और पीएचडी की पढ़ाई की है। किशोर उत्तराखंड आंदोलन के समय से ही सक्रिय राजनीति में अहम भूमिका निभा चुके हैं, वे उत्तराखंड संघर्ष समिति के पदाधिकारियों में शामिल रहे। किशोर उपाध्याय गांधी परिवार के सबसे निकटतम नेताओं में शुमार रहे हैं। उत्तराखंड बनने के बाद 2002 में पहली बार टिहरी सीट से विधायक चुने गए और एनडी तिवारी सरकार में औद्योगिक राज्य मंत्री बने। इसके बाद 2007 में वे लगातार दूसरी बार टिहरी से विधायक चुने गए। लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में टिहरी सीट पर निर्दलीय दिनेश धनै से 377 मामूली मतों से चुनाव हार गए। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें देहरादून जिले की सहसपुर सीट से चुनाव लड़ाया गया, लेकिन वे भाजपा के सहदेव पुंडीर से हार गए। इस हार के लिए किशोर ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को दोषी करार दिया। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ षडयंत्र रचा गया। तब से वे कांग्रेस पार्टी में हाशिए पर चले गए। 2014 से 2017 तक किशोर उपाध्याय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। प्रदेश अध्यक्ष रहते किशोर हरीश रावत और प्रीतम सिंह के भी काफी करीबी माने जाते थे। लेकिन दिनेश धनै के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद से ही वे पार्टी से नाराज होते गए। इसके बाद सहसपुर से चुनाव हारना उनकी नाराजगी का सबसे बड़ा कारण रहा। किशोर उपाध्याय टिहरी लोकसभा सीट पर बड़े ब्राह्रमण चेहरा हैं। जिनका टिहरी और उत्तरकाशी जिले की सीटों पर अच्छा खासा प्रभाव रहा है। ऐसे में किशोर भाजपा के लिए बड़ा ब्राह्रमण चेहरा साबित हो सकते हैं। साथ ही किशोर उपाध्याय टिहरी सीट से भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं।