प्रीति झा / देहरादून । उत्तराखंड में 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने खंडूरी है जरुरी का नारा दिया था और खंडूरी के चेहरे पर ही भाजपा ने विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन खंडूरी अपनी ही सीट नहीं निकाल पाए थे। तब सुरेंन्द्र सिंह नेगी ने खंडूरी को चुनाव में शिकस्त दी थी। इसबार भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की बेटी ऋतु खंडूरी भूषण को मैदान में उतारा है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी की बेटी ऋतु खंडूरी भूषण को उतारकर भाजपा इमोशनल कार्ड खेल रही है। ये भी दावा किया जा रहा है कि बेटी अपने पिता की हार का बदला लेने को कोटद्वार की जनता से वोट मांगेगी।
2012 में खंडूरी है जरुरी का नारा दिया था भाजपा ने
2007 से 2009 और 2011 से 2012 के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे बीसी खंडूरी सेना से रिटायर होने के बाद राजनीति में आए। मेजर जनरल रैंक से रिटायर हुए खंडूरी को 1982 में अति विशिष्ट सेवा मेडल दिया गया था। गढ़वाल लोकसभा से जीतने वाले वो पहले सांसद हैं और यहां से कुल 5 बार जीतकर सांसद और केन्द्र में मंत्री भी रहे। 2007 में खंडूरी के नेतृत्व में बीजेपी को उत्तराखंड में जीत मिली और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। पहले वे 2009 तक मुख्यमंत्री बने रहे। बीच में डॉ रमेश पोखरियाल निशंक मुख्यमंत्री रहे। फिर 2011 से 2012 तक चुनाव से ठीक पहले बीसी खंडूरी दोबारा मुख्यमंत्री बने रहे और 2012 के विधानसभा चुनाव खंडूरी है जरुरी के नारे पर भाजपा ने चुनाव लड़ा, लेकिन खंडूरी अपनी ही सीट नहीं निकाल पाए।
बेटी संभाल रही पिता की राजनीतिक विरासत
बेटी संभाल रही पिता की राजनीतिक विरासत
तब कोटद्वार सीट पर कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी ने खंडूरी को 4,623 वोटों से हराया था। खंडूरी को 27,174 वोट और नेगी को 31,797 वोट मिले थे। इस हार के बाद खंडूरी सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। खंडूरी की विरासत संभालने के लिए उनकी बेटी ऋतु खंडूरी भूषण राजनीति में आई, वे भाजपा की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी हैं, जबकि 2017 से वर्तमान में वह यमकेश्वर से विधायक भी रहीं हैं। हालांकि बीसी खंडूरी के बेटे मनीष खंडूरी कांग्रेस पार्टी में हैं और गढ़वाल सीट से सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाए।
कोटद्वार को मिला हमेशा पैराशूट प्रत्याशी
2002 में भाजपा ने कोटद्वार से अनिल बलूनी को मैदान में उतारा। लेकिन, उनका नामांकन निरस्त होने के कारण पार्टी को निर्दलीय प्रत्याशी भुवनेश खर्कवाल को समर्थन देना पड़ा। 2005 के उपचुनाव में फिर से अनिल बलूनी को मैदान में उतारा गया। 2007 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए तत्कालीन ब्लॉक प्रमुख शैलेंद्र रावत, 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी और 2017 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए डा. हरक सिंह रावत मैदान में उतारे गए। इस तरह इस सीट पर हमेशा भाजपा ने पैराशूट प्रत्याशी उतारा है। जिसको लेकर इस बार लोगों में नाराजगी भी नजर आ रही है। कोटद्वार सीट पर 2017 में हरक सिंह रावत भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे, लेकिन अब हरक सिंह रावत कांग्रेस के साथ हैं। ऐसे में इस बार कोटद्वार से भाजपा ने ऋतु खंडूरी भूषण को टिकट दिया है। ऋतु खंडूरी भूषण 2017 में यमकेश्वर विधानसभा सीट से विधायक थीं, लेकिन इस बार पार्टी ने यमकेश्वर से रेनू बिष्ट को प्रत्याशी बनाया है। कोटद्वार सीट पर सुरेंद्र सिंह नेगी का ही दबदबा रहा है। 2002, 2005, 2012 में इस सीट पर कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी ही विधायक रहे। 2007 में भाजपा के शेलेन्द्र रावत और 2017 में भाजपा के टिकट पर हरक सिंह रावत चुनाव जीतकर विधायक रहे।